मनरेगा 100 दिनों का रोजगार देने में विफल

Submitted by Shivendra on Fri, 07/03/2020 - 14:46

फोटो - Newa click


देश में मनरेगा का सूरत-ए-हाल बताने के लिए हम सीरीज चला रहे हैं। जिसमें विभिन्न राज्यों में मनरेगा से जुड़े विभिन्न पहलुओं को आंकड़ों के साथ प्रस्तुत किया जाएगा। प्रस्तुत है सीरीज का पहला अंश - 


राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 का प्रारंभ 2 फरवरी 2003 को हुआ। दोनों सदनों में पारित होने के बाद इसने 25 अगस्त 2005 को कानून का रूप ले लिया था। उस दौरान इसे ‘नरेगा’ नाम दिया गया था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसके बाद महात्मा गांधी का नाम जुड़ गया और तभी ये योजना का नाम नरेगा से मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005) पड़ गया। योजना का उद्देश्य गांव में ग्रामीणों को निश्चित रोजगार उपलब्ध कराना है। इसमें 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाती है। रोजगार न मिलने पर बेरोजगार भत्ता दिया जाएगा। लेकिन मनरेगा सौ दिन का निश्चित रोजगार उपलब्ध कराने में ही विफल नहीं हो रही है, बल्कि मजूदरों को समय पर मजदूरी भी नहीं दी जाती है। 

लाॅकडाउन के कारण देशभर में मनरेगा के अंतर्गत काम की मांग बढ़ गई है। वर्ष 2020-21 में अभी तक मनरेगा के अंतर्गत 14 करोड़ 27 लाख 14 हजार 284 जाॅबकार्ड के लिए आवेदन किया था, जिनमें से 13 करोड़ 58 लाख 46 हजार 866 जाॅबकार्ड जारी किए गए हैं। सबसे ज्यादा जाॅबकार्ड उत्तर प्रदेश (1,79,90,082), बिहार (1,72,95,379), पश्चिम बंगाल (1,25,34,566) और राजस्थान (1,07,71,416) में जारी किए गए हैं। तो वहीं, वर्ष 2019-20 में 13,28,07,536, वर्ष 2018-19 में 12,80,24,159 और वर्ष 2017-18 में 12,30,20,533 जाॅबकार्ड जारी किए गए थे। इस वर्ष अभी तक 7 करोड़ 86 लाख 88 हजार 774 काम की डिमांड की जिनमें से 7 करोड़ 83 लाख 78 हजार 398 लोगों को काम दिया जा चुका है। पिछले साले 8,83,55,836 में से 8,80,46,929 लोगों को काम दिया गया था। 

मनरेगा करोड़ों मजदूरों को हर साल रोजगार दे रहा है। योजना के अंतर्गत सात से से 15 दिन के अंदर भुगतान करने का प्रावधान है। भुगतान में देरी हुई तो मुआवजा भी दिया जाता है। इसके लिए ग्राम सभा और पंचायत खुद तय करेंगी कि कौन से काम किये जाने हैं ? उनसे क्या लाभ होगा ? 

ग्राम सभा और पंचायते हीं कार्यों को सोशल ऑडिट करने के लिए अधिकृत हैं।  सीएसई की ‘स्टेट आफ इंडियाज़ इनवायरमेंट रिपोर्ट 2020’ के अनसार वर्ष 2014-14 में लगभग 93 प्रतिशत हाउसहोल्ड को रोजगार दिया गया था, जबकि वर्ष 2014-15 में 89 प्रतिशत, वर्ष 2015-16 में लगभग 90 प्रतिशत, वर्ष 2016-17 में 90 प्रतिशत, वर्ष 2017-18 में 89 प्रतिशत, वर्ष 2018-19 में 90 प्रतिशत, वर्ष 2019-20 में 89 प्रतिशत रोजगार दिया था, लेकिन सौ दिन के रोजगार की गारंटी को पूरा करना हमेशा दूर को कौड़ी ही रहा है।

केंद्रीय ग्रामीण मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2019-20 में काम की डिमांड करने वाले 5,88,31,620 हाउसहोल्ड में से केवल 38,85,965 हाउसहोल्ड को ही सौ दिन का रोजगार मिल पाया था। तो वहीं वर्ष 2018-19 में 5,59,53,8869 हाउसहोल्ड में से 5032142, वर्ष 2017-18 में 5,43,26,162 हाउसहोल्ड में से 27,51,596, वर्ष 2016-17 में 5,41,66,760 हाउसहोल्ड में से 38,09,531, वर्ष 2015-16 में  5,05,19,747 हाउसहोल्ड में से 44,23,020, वर्ष 2014-15 में  4,35,78,375 हाउसहोल्ड में से 23,15,209  और वर्ष 2013-14 में 4,88,99,936 हाउसहोल्ड में से 44,44,866 हाउसहोल्ड को ही सौ दिन का रोजगार मिला था। 

वर्ष 2019-20 में मरेगा के अंतर्गत काम की डिमांड करने वाले और सौ दिन का रोजगार पाने वालों की राज्यवार सूची (स्रोत - मनरेगा)

क्र.  राज्य कुल व्यक्तियों द्वारा काम की मांग     कुल हाउसहोल्ड द्वारा काम की मांग    कुल हाउसहोल्ड जिन्हें 100 दिन का काम मिला
1 नागालैंड़ 4,30,467 3,93,978 1
2 आंध्र प्रदेश 77,56,142 45,11,581 5,81,431
3 अरुणाचल प्रदेश 1,91,712 1,84,660 412
4 असम  32,20,819 21,59,224 30,090
5 बिहार  49,19,968 41,88,120 20,462
6 छत्तीसगढ़  58,95,163 29,04,068 4,18,192
7 गोवा  1,798 1744 0
8 गुजरात  15,85,975 9,41,128 13,168
9 हरियाणा  4,60,085 3,09,346 4,831
10 हिमाचल प्रदेश  7,93,068 5,80,573 61,192
11 जम्मू कश्मीर 10,93,734 7,27,018 12,945
12 झारखंड  21,86,950 16,26,157 30,989
13 कर्नाटक  47,60,791 24,77,241 1,88,764
14 केरल  18,61,759 15,92,407 2,51,150
15 मध्य प्रदेश 77,86,141 42,44,256 90,665
16 महाराष्ट्र  32,58,296 17,29,444 1,24,342
17 मणिपुर  6,08,272 5,47,419 857
18 मेघालय  7,30,125 5,12,796 1,80,536
19 मिज़ोरम  2,09,268 2,04,099 1,57,672
20 ओडिशा  43,70,361 25,77,527 1,61,194
21 पुड्डुचेरी  50,842 44,978 3
22 पंजाब  11,69,391 9,19,900 7,689
23 राजस्थान  95,66,929 62,09,191 8,48,726
24 सिक्किम  73,956 62,020 3,550
25 तमिलनाडु  68,70,708 58,80,953 1,20,722
26 त्रिपुरा  8,13,715 5,78,313 55,381
27 उत्तर प्रदेश 78,57,306 62,68,224 1,33,130
28 उत्तराखंड  7,34,557 5,47,334 21,909
29 पश्चिम बंगाल 90,97,538 59,07,921 3,65,962
  Total: 8,83,55,836 5,88,31,620 38,85,965

यदि गंभीरता से मनरेगा को देखा जाए, तो हर साल 10 प्रतिशत लोगों को भी 100 दिन का रोजगार नहीं मिल पाता है। ये कहीं न कहीं योजना की विसंगितयों को दर्शाता है। साथ ही न्यूनतन मजूदरी भी काफी कम है। ऐसे में सरकार को इस ओर गंभीरता से सोचने की जरूरत है और इन विसंगतियों को दूर करना होगा।

शेष जल्द -


हिमांशु भट्ट (8057170025)

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