नीम

Submitted by Hindi on Fri, 08/19/2011 - 09:51
नीम मेलिएसिई (Meliaceae) गण का वृक्ष है। इसका वानस्पतिक नाम अज़ैडिरेक्टा इंडिका (Axadirachta indica) है। नीम के पूर्ण विकसित वृक्ष की ऊँचाई 40 से लेकर 50 फुट तक होती है। पत्तियाँ साधारण विषम पक्षवत्‌ (imparipinnate), संयुक्त, एक से चार इंच तक लंबी तथा आधे से डेढ़ इंच तक चौड़ी होती हैं। इसके किनारे आरी की तरह होते हैं तथा सिरे निशिताग्र (acute) या लंबाग्र (acuminate) होते हैं। इसका फूल छोटा, सफेद, मधुर गंधवाला एवं गुच्छों में पत्तियों के कक्ष पर लगा रहता है। पुष्प में पाँच दल तथा पाँच बाह्यदल होते हैं। इसकी फलियाँ निबौली कहलाती हैं और ये भी गुच्छों में लगती हैं। फलियाँ एक बीजवाली तथा दीर्घवृत्तीय आकार की होती हैं। इस वृक्ष की छाल, फूल, पत्ती तथा फल सभी कड़वे होते हैं।

भारत में यह वृक्ष शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। बीज के द्वारा इसका रोपण होता है। फलियों के पक जाने के तत्काल बाद ही बीज बोना चाहिए।

इस वृक्ष की लकड़ी किवाड़, नाव, गाड़ी इत्यादि बनाने के काम में आती है। पतली टहनियाँ दातून के लिए व्यवहृत होती हैं। वैद्यक में नीम शीतल तथा कफ, ्व्राण, कृमि, वमन, सूजन पित्तदोष और हृदय के दाह को नाश करनेवाली मानी जाती है। दूषित रक्त को शुद्ध करने के लिए भी इसका उपयोग होता है। पुराने पेड़ों पर प्राप्त होनेवाला मद या गोंद भी औषध के रूप में व्यवहृत होता है। निबौली से प्राप्त होनेवाले बीज से गहरे पीले रंग का तेल प्राप्त होता है, जिसकी गंध अरुचिकर होती है। यह तेल पूतदोषरोधी तथा कृमिहर होता है। साबुन बनाने तथा जलाने में इसका उपयोग होता है। कुत्ते को खाज हो जाने पर यह तैल लगाया और पिलाया जाता है। छाल से पौष्टिक आसव बनाया जाता है। (अजितनारायण मेहरोत्रा)

Hindi Title


विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)




अन्य स्रोतों से




संदर्भ
1 -

2 -

बाहरी कड़ियाँ
1 -
2 -
3 -