निर्जलन (डिहाईड्रेशन)

Submitted by Hindi on Sun, 07/05/2015 - 12:55
Source
यथावत, 16-30 जून 2015
गर्मी के मौसम में पानी की कमी से निर्जलन की शिकायत हो सकती है। इस मौसम में कुछ सावधानियाँ अपनाकर और ज्यादा से ज्यादा पानी पीकर इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।

. हमारे शरीर का 70 प्रतिशत भाग पानी है। शरीर में हमेशा जलीय अंश की सामान्य मात्रा बनी रहती है। यदि किसी कारण वश इसमें असन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाए या शरीर से अधिक पानी बाहर निकल जाए तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसे ही निर्जलन या डिहाईड्रेशन कहते हैं। शरीर से पानी सांस छोड़ते समय, पसीने, पेशाब और मल के द्वारा बाहर निकलता है। यदि शरीर में ज्यादा पानी की कमी हो जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है।

आजकल धूप बहुत तेज है इसलिए अगर धूप में ज्यादा निकलेंगे तो शरीर में पानी की कमी होगी जिससे डिहाईड्रेशन हो सकता है। इसीलिए गर्मियों में पानी पीने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। डिहाईड्रेशन के कारण हमारे शरीर में मिनरल, जैसे-सोडियम और पोटैसियम आदि की कमी हो जाती है जिससे मांसपेशियों और नसों की कार्य करने की क्षमता में कमी आती है, इसलिए समय-समय पर पानी पीते रहना चाहिए। शरीर के लिए पानी उपयुक्त मात्रा में आवश्यक है। यह व्यक्ति को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। यहाँ तक कि अगर शरीर में पेशाब बनाने के लिए उचित मात्रा में पानी उपलब्ध न हो तो 24 घंटों में गुर्दे काम करना बंद कर सकते हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि डिहाईड्रेशन तभी होता है जब जितना पानी शरीर से निकलता है उतना शरीर को ना मिले। डिहाईड्रेशन बच्चों में, बूढ़ों में, जो व्यक्ति लम्बे समय से किसी बीमारी से ग्रसित हों, जो ज्यादा शारीरिक काम करते हों, ज्यादा गर्म वातावरण में रहते हों, उन्हें ज्यादा हो सकता है। डिहाईड्रेशन ज्यादा उल्टी-दस्त के कारण भी हो सकता है। तेज बुखार, मधुमेह, पेशाब के बढ़ जाने, त्वाचा के रोगों में, ज्यादा जलने पर पानी की कमी हो जाती है, इसलिए ऐसे में इनकी कमी को पूरा करना भी आवश्यक है।

लक्षणः बहुत ज्यादा प्यास लगना, मुँह, आँख और होठों का सूख जाना, सिरदर्द, जीव की सूजन, पेशाब का रंग पीला होना, थकान, कमजोरी, बेहोशी, मांसपेशियों का कमजोर होना, धड़कनें तेज होना, ब्लड प्रेशर का कम होना, चक्कर आना आदि डिहाईड्रेशन के लक्षण हो सकते हैं। डिहाईड्रेशन को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है। (पानी की कमी के आधार पर)

1. अधिक डिहाईड्रेशन
यह स्थिति उत्पन्न होने के लिए निम्न में से दो लक्षणों का होना आवश्यक है।

1. कमजोरी होना, बेहोशी होना।
2. आँखे सिकुड़ कर छोटा होना।
3. पानी नहीं पी पाना या बहुत कम पानी पी पाना।
4. स्किन पिंच ठीक होने में 2 सेकेंड से अधिक समय लगना।
5. पेशाब बहुत कम होना या न होना।

2. हल्का डिहाईड्रेशन
इस स्थिति में भी दो लक्षणों का होना आवश्यक है

1. बेचैनी, चिड़चिड़ापन।
2. आँखों का सिकुड़ना।
3. पानी की ज्यादा प्यास लगना या जल्दी-जल्दी पानी पीना।
4. स्किन पिंच ठीक होने में 2 सेकेंड से कम समय लगना।
5. पेशाब कम होना।

यह कैसे जाना जाए कि डिहाईड्रेशन कितना है, किस स्तर का है? यह जानने के लिए स्किन पिंच टेस्ट होता है और यह पर आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए पेट पर हल्का-सा पिंच (चुटकी) करें और ध्यान दें कि स्किन को सामान्य होने में कितना समय लगता है। स्किन का सामान्य होना शरीर में उपस्थित पानी और नमक की मात्रा पर निर्भर करता है- अगर बहुत अधिक डिहाईड्रेशन है तो स्किन को ठीक होने में 2 सेकेंड से अधिक समय लगेगा। हल्के डिहाइड्रेशन में 1-2 सेकेंड और अगर डिहाइड्रेशन नहीं है तो स्किन तुरन्त ठीक हो जाएगी।

इलाज : डिहाईड्रेसन का इलाज है शरीर में पानी की कमी को पूरा करना। पानी के साथ-साथ शरीर में नमक एवं चीनी की मात्रा को भी पूरा करना चाहिए। इसके लिए ओआरएस घोल या फिर घर पर ही पानी में नमक और चीनी का घोल बनाकर पीना चाहिए जिससे स्थिति पर काबू पाया जा सकता है, इसे जीवन रक्षक घोल कहा जाता है। बाहर जाते समय पानी हमेशा साथ लेकर चलें। तेज धूप से अपने को बचा कर रखें। दिनभर में कम से कम 8-10 ग्लास पानी जरूर पीएँ। नारियल पानी लाभदायक होता है। इसमें बहुत से मिनरल हैं जो शरीर के लिए आवश्यक हैं, इसे सबसे अच्छा इलेक्ट्रोलाइट माना गया है। अतः नारियल पानी का सेवन डिहाईड्रेशन में फायदा करता है। नींबू का प्रयोग अवश्य करें।

डिहाईड्रेशन में थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिए। ज्यादा कपड़े अगर पहने हैं तो उन्हें कम कर देना चाहिए। पहने हुए कपड़ों को ढीला कर देना चाहिए। ऐसे में व्यक्ति को ए.सी. में, पंखे में या छाँव में ले जाना लाभदायक होता है। व्यक्ति के शरीर पर गीला तौलिया डाल देना चाहिए। ऐसा करने से शरीर का तापमान सामान्य होने में मदद मिलती है। डिहाईड्रेशन में बर्फ का पानी या ज्यादा ठण्डा पानी नहीं डालना चाहिए, इससे त्वचा के अंदर की रक्त वाहिकाएँ सिकुड़ जाती हैं, जिससे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अगर इन छोटी बातों का विशेष ध्यान रखा जाए तो घर पर डिहाईड्रेसन की स्थिति पर काबू पाया जा सकता है और अस्पताल जाने की मुसीबत से बचा जा सकता है।

(लेखिका एम.डी. (होम्यो.) और स्त्री एवं बाल रोग विशेषज्ञ हैं।)