नरेगा में कौन क्या है
केंद्र –
ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार
केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद –
नरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्यों पर नजर रखती है | केंद्रीय स्तर पर रोज़गार गारटी परिषद नरेगा सम्बंधित जानकारियों के प्रचार-प्रसार, राज्य रोज़गार गारंटी फंड बनाने, नरेगा के लिए दिए जाने वाले राज्य के हिस्से का बजट और इसके अंतर्गत चल रहे कार्यों पर निगरानी और समय - समय पर जांच करते रहने का काम होता हैं |
केंद्रीय स्तर पर अधिकारी –
नरेगा संयुक्त सचिव
नरेगा निदेशक
राज्य –
राज्य सरकार/ग्रामीण विकास मंत्रालय या विभाग
राज्य रोजगार गारंटी परिषद -
राज्य स्तर पर रोज़गार गारटी परिषद नरेगा सम्बंधित जानकारियों के प्रचार – प्रसार, राज्य रोज़गार गारंटी फंड बनाने, नरेगा के लिए दिए जाने वाले राज्य के हिस्से का बजट और इसके अंतर्गत चल रहे कार्यों पर निगरानी और समय - समय पर जांच करते रहने का काम होता हैं |
जिला –
जिला कार्यक्रम अधिकारी/समन्वयक
पंचायत समिति स्तर पर जिला कार्यक्रम समन्वयक इस अधिनियम के अंतर्गत बनाई गयी किसी भी योजना में पंचायत द्वारा करवाये जा रहे कार्यों में सहायता करता है |
जहाँ कहीं आवश्यक हो वहाँ प्रशासनिक मंजूरी देना और अपने अधिकार के भीतर कार्यक्रम अधिकारियों और नरेगा के कार्यों को क्रियान्वित करने वाले एजेंसियों के बीच समन्वयन करना कि आवेदकों को इस अधिनियम के तहत उनकी हकदारी के अनुसार रोज़गार मिल जाए. ये सभी कार्य जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा किये जाते हैं |
इसके अलावा चल रहे कार्यों का समय - समय पर निरीक्षण करना और आवेदकों कि शिकायतों का सुनना और दूर करना. जैसे काम भी जिला कार्यक्रम समन्वयक की जिम्मेदारी होते हैं |
राज्य सरकारों द्वारा जिला कार्यक्रम समन्वयक को कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां दी गयी हैं जो इस अधिनियम के अधीन उसके कर्तव्यों का पालन करने के लिए उत्तरदायी बनाते हैं |जिला कार्यक्रम समन्वयक के कार्यों में प्रति वर्ष दिसंबर के महीने में आगले वित्तीय वर्ष के लिए श्रम बजट तैयार करना भी शामिल है|
जिला पंचायत -
पंचायतों के बारे में अगर बात की जाए तो ये किसी कार्यक्रम के अंतर्गत हाथ में ली जाने वाली परियोजना की खन्डानुसार सूची को अंतिम रूप देती हैं और उसे अनुमोदित करती हैं|
ब्लॉक (पंचायत समिति स्तर) –
ब्लॉक नरेगा कार्यक्रम अधिकारी
ग्राम पंचयतों के माध्यम से कार्यान्वित की जाने वाली स्कीम के तहत उसकी लागत के अनुसार कामों को कम से कम पचास फीसदी आवंटित कर सकता है |
हर एक पंचायत को उसके द्वारा चालू किये जाने वाले मंज़ूर कार्यों के लिए मस्टर रोल जारी करने, ग्राम पंचायतों के निवासियों के लिए अन्य जगह उपलब्ध रोजगार के अवसरों की सूची तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री भी आवंटित करता है|
ग्राम पंचायत -
ग्राम पंचायतों के क्षेत्र में ग्राम सभा और वार्ड सभाओं में लिए गए सुझावों के आधार पर किसी योजना के तहत हाथ में ली जाने वाली परियोजनाओं की पहचान करने के लिए और ऐसे कार्यों का निष्पादन करने के लिए उत्तरदायी होती है |
कोई भी ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र के भीतर किसी भी प्रकार की स्कीम के तहत किसी भी परियोजना को अपने हाथ ले सकती हैग्राम पंचायतें आवेदकों में रोजगारों का आवंटन करती है और जिनको रोज़गार मिल जाता है उन्हें काम पर आकर रिपोर्ट करने को कहती हैं |
अगर पंचायतों की बात की जाये तो राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी को सफलतापूर्वक चलाने के लिए वहां सचिव, सरपंच, रोज़गार सहायक और मेट होते हैं
सरपंच:
पंचायत द्वारा अपने क्षेत्र में विकास की योजनाओं को बनाने का कार्य ग्राम पंचायत का सरपंच करता है
वह ये तय करता है कि किन किन जगह पर नरेगा का कार्य शुरू करना है, नालियों की सफाई, स्वाथ्य संबधी सुविधाओं की उचित व्यवस्था इत्यादि ये सभी योजनाएँ सरपंच द्वारा ही बनाई जाती हैंपंचायतों में सारा हिसाब पहले सचिव ही रखा करते थे लेकिन इतनी सारी जिम्मेदारियों के बढ़ने से पंचायतों के सभी सचिवों ने एक रोज़गार सहायक की मांग की ताकि सभी कार्य व्यवस्थित रूप से चलाये जा सकें |
रोजगार सहायक का कर्तव्य सभी जॉब कार्ड धारकों की सूची तैयार करना एवं उनका आवेदन लेना होता है..... और अपने क्षेत्र में कार्य चलवाने के लिए पंचायत समिति से मस्टर रोल भी रोज़गार सहायक ही लेकर आता है|
मेट -
कार्यस्थल पर मेट के पास हमेशा एक वाटर प्रूफ थैला रहता है जिसमे लेमिनेटेड फ़ाइल कवर में रखी गयी मस्टर रोल, एक फ़ाइल जिसमें कार्य की वित्तीय स्वीकृति, फीता, कैलकुलेटर व मेडिकल किट आदि होने चाहिए|
कार्य प्रारंभ होने से पूर्व नापती बोर्ड, पक्का कार्य, सडक कार्य में इस्तेमाल होने वाली सामाग्री आदि की पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाना भी मेट का ही कार्य होता है
मजदूरों को रोजाना काम माप कर देना तथा दिन के अंत में मजदूरों द्वारा किये गए कार्य की माप नोट करना मेट का मुख्य कार्य हैइसके अलावा मेट की यह जिम्मेदारी भी होती है कि मस्टर रोल पर खर्च होने वाली राशि को रोज़गार सहायक से लगातार पूर्ति करवाएयदि कोई भी निर्माण सामग्री कार्यस्थल पर आये तो वह सामग्री स्टॉक रजिस्टर में उसको दर्ज करे और अंतिम कॉलम में अपने व एक कारीगर मजदूर के हस्ताक्षर अथवा अंगूठा लगवाता है|
कार्यस्थल पर अगर मजदूरों के स्वाथ्य को लेकर अगर बातचीत की जाए तो यह भी मेट ही सुनिश्चित करता है कि हर वक़्त एक प्राथमिक उपचार पेटी कार्यस्थल पर उपलब्ध रहे और उसमें उपलब्ध दवाइयों की जानकारी उसे हो ताकि वह ज़रूरत पड़ने पर मजदूरों का प्राथमिक उपचार कर सके|
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