भीम ताल से चार कि.मी. पर पहाड़ियों से घिरी इस नौकुचिया ताल के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कोई पर्यटक इस ताल के किसी एक कोने से नौ कोने देख ले तो उसकी मृत्यु सम्भावित है या उस पर सन्निपात का प्रकोप होगा। नौ कोनों वाले नौकुचिया ताल की लम्बाई 1,004 मीटर तथा चौड़ाई 750 मीटर है। यह झील 45 मीटर गहरी है। इन झीलों में महासीर एवम् हिल ट्राउट मछली बहुतायत में पाई जाती हैं।
Hindi Title
नौकुचिया ताल
विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
नौकुचियाताल
नौकुछियाताल भीमताल से ४ किलोमीटर दक्षिण-पूरब समुद्र की सतह से १२९२ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। नैनीताल से इस ताल की दूरी २६.२ कि.मी. है। यह ९३६ मीटर लम्बी, ६८० मीटर चौड़ी और ४० मीटर गहरी है। इस नौ कोने वाले ताल की अपनी विशिष्ट महत्ता है। इसके टेढ़े-मेढ़े नौ कोने हैं। इस अञ्चल के लोगों का विश्वास है कि यदि कोई व्यक्ति एक ही दृष्टि से इस ताल के नौ कोनों को देख ले तो उसकी तत्काल मृत्यु हो जाती है। परन्तु वास्तविकता यह है कि सात से अधिक कोने एक बार में नहीं देखे जा सकते।
इस ताल की एक और विशेषता यह है कि इसमें विदेशों से आये हुए नाना प्रकार के पक्षी रहते हैं। ताल में कमल के फूल खिले रहते हैं। इस ताल में मछलियों का शिकार बड़े अच्छे ढ़ंग से होता है। २०-२५ पौण्ड तक गी मछलियाँ इस ताल में आसानी से मिल जाती है। मछली के शिकार करने वाले और नौका विहार शौकिनों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। इस ताल के पानी का रंग गहरा नीला है। यह भी आकर्षण का एक मुख्य कारण है। पर्यटकों के लिए यहाँ पर खाने और रहने की सुविधा है। धूप और वर्षा से बचने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्ता की गयी है।
अन्य स्रोतों से
नौकुचियाताल
मुसाफिर हूं यारों (ब्लॉग से)
भीमताल से चार किलोमीटर पूर्व में है। पक्की सड़क बनी हुई है। जहाँ भीमताल 1370 मीटर की ऊँचाई पर है, वहीं नौकुचियाताल अपेक्षाकृत कम ऊँचाई पर है।भीमताल से नौकुचियाताल तक चार किलोमीटर का रास्ता पैदल चलने के लिए भी एकदम उपयुक्त है। चूंकि ऊँचाई में कोई ज्यादा परिवर्तन नहीं होता। तो ना तो पहाड़ पर जोरदार चढाई का झंझट है, ना ही तीव्र उतराई का। रास्ते में दो गाँव भी पड़ते हैं- पहाडी गाँव।
नौकुचियाताल नौ कोनों वाला ताल है। कहते हैं कि अगर कोई एक ही निगाह में सभी कोनों को देख ले, तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। वैसे मुझे हद से हद पांच कोने ही दिखे थे, यानी कि मोक्ष से चार कोने दूर।यहाँ पर भी ठहरने के लिए बढ़िया इंतजाम है। भीडभाड तो बिलकुल भी नहीं है। मैं यहाँ पर दो घंटे तक बैठा रहा। दोपहर बाद तीन बजे यहाँ से चला। चार बजे तक वापिस भीमताल पहुँच गया। दिन छिपता है सात बजे तो सोचा कि तीन घंटे तक क्या किया जाये? चलो, नैनीताल चलते हैं। देखते हैं वहां पर क्या हो रहा है? भीडभाड तो जबरदस्त ही होगी। आखिर महाप्रसिद्ध जगह जो ठहरी।