ओज़ोन ( Ozone )

Submitted by admin on Mon, 09/28/2009 - 09:28
ओज़ोन दो क्षेत्रो मे पाया जाता है जमीन के समीप "क्षोभमंडल (Troposhere)" जो की "स्मॉग" (Smog)" का मुख्य घटक है, ऊपरी सतह "परतमंडल (Stratosphere)" पर जो कि सूर्य के विभिन्न विकिरणों को जमीन तक पहुँचने से रोकती है। ओज़ोन का कोई प्रारंभिक स्त्रोत नहीं है, परन्तु यह सूर्य के प्रकाश में नायट्रोजन के ऑक्साइडû (NOx) व वाष्पित कार्बनिक यौगिक (VOCx) की जटिल क्रिया से उत्पन्न होती है। नायट्रोजन के ऑक्साइडû विभिन्न भूगर्भीय ईधन तथा कोयले के जलाने से उत्पन्न होते है। वाष्पित कार्बनिक यौगिक कई प्रकार के होते है तथा ये पेड़-पौधों तथा कल-कारखानों से उत्पन्न होते है।

दमा रोग से पीड़ित लोगों पर ओज़ोन का बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ता है, इसके अलावा यह गले की सूजन, खाँसी तथा श्व्सन संबंधी बीमारीयों का कारण हो सकता है, यहाँ तक कि यह समय से पहले मृत्यु का कारण बन सकता है। ओज़ोन का फसलों व पेड़-पौधों के विकास पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

ओज़ोन धुँए का एक मुख्य हानिकारक अवयव है,इसका कोइ भी प्रत्यक्ष स्रोत नहीं है, किन्तु यह प्रकाश में नायट्रोजन के ऑक्साइडû (NOx) व वाष्पित कार्बनिक यौगिक (VOCx) की जटिल क्रिया से उत्पन्न होती है। कार्बनिक हाइड्रोकार्बन जैसी गैसें जो कि ओज़ोन के निर्माण में सहायक है। मुख्यतः मानवीय गतिविधियों से उत्सर्जीत होती है। इसके मुख्य स्रोत रिफाइनरी, गैस स्टोव, मोटर गाड़ी, रसायनिक प्लांट, पेंट तथा अन्य रसायनिक द्रव्य है। जमीन के समीप और ऊपरी वायुमंडल में उपस्थित ओज़ोन की अलग-अलग भूमिका है।जैसे कि ऊपरी वायुमंडल में यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है।



स्वास्थ पर पड़ने वाला प्रभाव:
ओज़ोन फेफड़े की कोशिकाओ में जा पहुँच कर श्वसन नलिका में जलन करती है व फेफड़े की कार्यशक्ति कम करके खाँसी तथा सीने में जलन जैसी बीमारियाँ उत्पन्न करती है।