ओमान

Submitted by Hindi on Sat, 08/06/2011 - 11:33
ओमान (160-25´ उ.अ. तथा 550 50´-600 पू.दे.) को मस्कत और ओमान के संयुक्त नाम से भी पुकारते हैं। ब्रिटिश संरक्षण के अंतर्गत अरब प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्वी कोने पर समुद्रतटीय क्षेत्र में स्थित, 2,12,380 वर्ग कि.मी. (82,000 वर्ग मील) पर विस्तीर्ण यह भी एक स्वतंत्र अरब सल्तनत है। इसके उत्तर में ओमान की खाड़ी, पूर्व एवं दक्षिण में अरब सागर, पश्चिम में अदन है। अत: प्रतिवर्ग कि.मी. जनंसख्या केवल 35 व्यक्ति है। मस्कत इसकी राजधानी है। मैत्राह दूसरा प्रमुख नगर है। इसमें बतिना का समुद्रतटीय मैदान, अरब सागरतटीय धुफार प्रांत, आंतरिक पठारी भाग, ओमान के ईमाम का क्षेत्र एवं मस्कत नगर सम्मिलित हैं। समुद्रतट कुल लगभग 1,600 कि.मी. लंबा है।

धरातलीय स्वरूप मस्कत के पश्चिम समुद्रतट की ओर ओमान पर्वत (9,000 फुट ऊँचाई, जेबेल जाम शिखर 9,900फुट) फैले हैं। इनके पृष्ठभाग में चीका तथा ढोकेदार चट्टानयुक्त पठारी भाग विस्तीर्ण है जिसका विस्तार उत्तर पश्चिम में रबे-अल-खाली अर्थात 'दक्षिणी अरब के खाली क्षेत्र' में समाहित हो जाता है। दक्षिण में तटीय धुफार प्रांत में नीची हरी भरी पहाड़ियाँ मिलती हैं और उनके नीचे उपजाऊ तटीय मैदान फैला है।

जलवायु, वनस्पति एवं जीवजंतु ओमान भी एक शुष्क रेगिस्तानी क्षेत्र है। यह मानसूनी हवाओं के क्षेत्र में पड़ता है, फिर भी वर्षा कम होती है। मस्कत तथा तटीय भागों में वार्षिक वर्षा की औसत मात्रा लगभग 10 सें. है। 10 सें. है लेकिन पहाड़ों की ओर वर्षा अधिक होती जाती है और ओमान पर्वत पर लगभग 30 सें. होती है। धुफार क्षत्र में 60 सें.से भी अधिक वर्षा हो जाती है जिससे यहाँ हरियाली रहती है और खेती बारी होती है। इस क्षेत्र में अधिकतम तापमान 90 फा. तक पहुँचता है किंतु ओमान का अधिकतम तापमान 135° फा. तक बढ़ जाता है। मस्कत की जलवायु अत्यधिक गर्म और आर्द्र है। जलवायु में क्षेत्रीय विषमता के कारण कई तरह की प्राकृतिक वनस्पतियाँ मिलती हैं। यहाँ प्रमुखतया दक्षिणी अरब में पाए जानेवाले रेगिस्तानी झाड़ झंखाड़ तथा घासें उगती हैं लेकिन उत्तरी रेगिस्तानी पठार में वनस्पति विरल हो जाती है। ओमान पर्वत और धुफार क्षेत्रों में हरी घासें और पेड़ मिलते हैं। हजारों वर्षो की अंधाधुंध चराई एवं ईधंन के लिए वनों के लगातार काटे जाने से वनों का प्रचुर ह्रास हुआ है। अब भी आंतरिक भागों में वन पाए जाते हैं और ईरान की खाड़ी प्रदेश में यहाँ से ईधंन की लकड़ी का प्रचुर निर्यात होता है। जंगली जानवरों में चीते, भेड़िए, लोमड़ी तथा खरहे आदि पाए जाते हैं। कई तरह के पक्षी भी मिलते हैं।

जनसंख्या अधिकांश जनसंख्या अरब तथा अरबी भाषा है और इस्लाम धर्म (ईबाहदी संप्रदाय) को मानती है किंतु नगरों में कई अन्य प्रजातियों और देशों के लोग मिलते हैं। मस्कत मैत्राह द्विनगर (Twin Cities) में वस्तुत: भारतीय, हब्शी तथा बलूची लोगों का आधिक्य है और अरब वहाँ अल्पसंख्यक हैं। इन नगरों में हिंदी और बलूची बोली जाती है।

आर्थिक तंत्र- ओमान की आर्थिक धुरी प्रमुखतया खनिज तेल तथा अल्पमात्रा में तटीय क्षेत्रों की खेती बाड़ी और व्यापारिक शक्ति पर निर्भर है। अन्य आर्थिक संसाधन कम हैं और उद्योगधंधों का विकास अभी नहीं हो पाया है। फाहुद, नातिह एवं यिबाल क्षेत्रों में खनिज तेल पाए जाते हैं। 1969 में खजिन तेल का कुल उत्पादन 1.6 करोड़ टन से भी अधिक था। सरकार को इससे प्राप्त निवल आमदनी का अर्धांश और उसके अतिरिक्त कुल तेल निर्यात का 12.5 प्रतिशत मिलता है। बतिना तथा शुमाइलिया क्षेत्रों में, जहाँ पर्याप्त कुएँ हैं और 15 फुट तक भूमिगत जल मिल जाता है, खेती की जाती है। आंतरिक भागों में वादियों (नदियाँ जो ऊपर से सूखी रहती हैं और खोदने पर जिनसे पानी प्राप्त होता है) के समीप तथा अन्य क्षेत्रों में जहाँ पर्वतों से पानी स्रवित होता रहता है, पानी को करेज जैसी प्रणाली द्वारा खेतों में पहुँचाकर खेती की जाती है। जल ले जाने तथा कुओं के लिए अब मोटर पंप प्रचुर संख्या में लगाए जा रहे हैं। खजूर प्रमुख फसल है और बतिना तटीय क्षेत्र में तो खजूरों के बगानों की ढाई सौ कि. मी. लंबी और 40 कि.मी. चौड़ी पट्टी है; इसके अतिरिक्त यहाँ गेहूँ, चावल, दर्रा एवं केले, खुबानी, अनार, इमली, आम, अंगूर, अंजीर, तरबूज, बादाम आदि फल उगाए जाते हैं। धुफार क्षेत्र के केले, बेर, नारियल आदि प्रसिद्ध हैं। कई क्षेत्रों में रसदार फल, तंबाकू आदि उगाए जाते हैं। ऊँट, भेड़, बकरियाँ, खच्चर आदि भी पाले जाते है। ओमान के ऊँटों की सारे अरब में ऊँची कीमत मिलती है क्योंकि वे सवारी के लिए उत्तम माने जाते हैं। खेतीबाड़ी तथा पशुपालन व्यवसायों तथा उनपर आधारित कई उपभोक्ता उद्योग धंधों का भविष्य उज्वल है। मत्स्य उत्पादन अभी भी काफी पिछड़ा है, लेकिन इसके विकास की प्रचुर संभावनाएँ हैं। पिछड़ी विधियों के बावजूद प्रचुर मात्रा में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। सुखाकर सार्डिन का निर्यात यूरोप को होता है जहाँ उनका उपयोग पशुओं के चारे तथा उर्वरक के रूप में किया जाता है। श्रीलंका तथा चीन को भी मछलियों का निर्यात होता है।

यातायात एवं आयात निर्यात मस्कत राजधानी ही नहीं, यातायात तथा व्यापारिक केंद्र भी है। मस्कत तथा मैत्राह दोनों नगरों से बतिना मैदान में काल्बा तक 340 कि.मी. लंबी सड़कें जाती हैं। मस्कत में दूसरी सड़क आंतरिक भाग की ओर निर्माणाधीन है। वस्तुत: आंतरिक भागों में अब भी रेगिस्तान के जहाज ऊँट से काम लिया जाता है। मैत्राह एवं सलाला में हवाई अड्डे हैं और अन्यत्र छोटी हवाई पट्टियाँ हैं। मस्कत और बहरेन के गल्फ़ एवियेशन कंपनी द्वारा सप्ताह में एक बार तथा अदन और सलाला के मध्य अदन एयरवेज़ द्वारा वायु यातायात संचालित होता है। बंबई, कराँची तथा ईरान की खाड़ी के क्षेत्रों से साप्ताहिक जहाजी सेवाओं द्वारा सबंध है। ओमान की निर्यात वस्तुओं में खजूर (प्रमुखतया बतिना क्षेत्र से), मछलियाँ तथा उत्पाद, फल (अनार लाइम, प्रधानतया धुफार क्षेत्र से), ऊँट (आंतरिक भागों से) और ईधन की लकड़ियाँ प्रमुख हैं। चावल, कहवा, मोटर तथा उनके पुरजे, सूती वस्त्र, चीनी गेहूँ, और सीमेंट आदि का आयात किया जाता है। अधिकांश व्यापार भारत, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और ईरान के खाड़ीक्षेत्रीय राज्यों से होता है।

ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य समुद्रतटीय होने के कारण ओमान प्राचीन काल से ही सुज्ञात रहा है। यूनानी नाविकों का भी इससे संपर्क रहा। हजरत मुहम्मद के जीवनकाल में ही यहाँ के लोगों ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। लेकिन थोड़े दिनों बाद ही उदारवादी ईबाहदी संप्रदाय का प्रचार हुआ। तदनुसार यहाँ आठवीं सदी के उत्तरार्ध से ही इमामों का चुनाव होता रहा है। 1508 ई. में मस्कत पर पुर्तगालियों ने अधिकार कर लिया। 1798 ई. में फ्रांसीसी प्रभाववृद्धि देखकर ब्रिटेन ने मस्कत से अपनी प्रथम संधि की। बाह्य दबाव तथा आंतरिक अराजकता के कारण सईद इब्न सुल्तान (1804-1856 ई.) लगभग पूर्णतया ब्रिटेन पर आश्रित हो गया। बाद में मस्कत ने संयुक्त राज्य अमरीका (1833 ई.), फ्रांस (1846 ई.), नीदरलैंड (1877ई.) तथा ब्रिटेन से कई संधियाँ की। अरब क्षेत्रों में खनिज तेल की प्राप्ति तथा ओमान में भी इसकी संभावनाओं के साथ अंतर्राष्ट्रीय खींचतान और दबाव का कुप्रभाव पड़ा है। 1920 ई में सुल्तान और इमाम के मध्य भी संधि हुई। लेकिन फिर भी अराजकता चलती रही और 1957 ई. में ब्रिटिश फौजों को विद्रोह दबाना पड़ा। सऊदी अरब एवं अन्य अरब राष्ट्र इमाम की सुल्तान से स्वतंत्रता की माँग का समर्थन करते हैं।

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संदर्भ
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