ओरछा

Submitted by Hindi on Sat, 08/06/2011 - 11:47
ओरछा बुंदेलखंड में स्थित यह एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर है। अतीत काल में यह ओरछा राज्य की राजधानी रहा। इस नगर की स्थापना सन्‌ 1531 ई. में भारतीचंद द्वारा की गई थी। यह बेतवा नदी के किनारे चारों ओर घनघोर भयानक जंगलों से आवृत्त है। सन्‌ 1634 ई.में ये जंगल पर्याप्त घने रहे होंगे क्योंकि मुगलों को उस समय यहाँ पहुँचना दुष्कर रहा। सन्‌ 1783 ई. में विक्रमजीत ने अपनी राजधानी टीकमगढ़ में स्थापित की और इसी समय से ओरच्छा का पतन होना प्रारंभ हुआ। ओरछा ऐतिहासिक कलाकृतियों एवं इमारतों के लिए प्रसिद्ध है जिनमें अधिकांश भवन राजा वीरसिंह देव द्वारा बनवाए गए थे। बेतवा नदी में एक द्वीप है जिसपर 16 खंभों के एक पुल द्वारा पहुँचने की व्यवस्था की गई है। यह द्वीप एक मजबूत दीवार द्वारा घिरा हुआ है। इस द्वीप पर एक विशाल राजमहल खड़ा है जो वीरसिंह देव के कलाप्रेम का प्रतीक माना जा सकता है। इसके अतिरिक्त राजमंदिर चौकोर आकृति में बना हुआ है जिसका बाह्य भाग समतल है और अनेक खिड़कियाँ तथा गुंबज इसके सौंदर्य को बढ़ाते हैं। जहाँगीर महल का निर्माण सम्राट् जहाँगीर के विश्राम के लिए कराया गया था क्योंकि समय-समय पर वे अपने मित्र वीरसिंह देव से मिलने ओरछा आते थे। यह एक विशाल, सुंदर एवं मनमोहक महल है।

इनके अतिरिक्त अनेक मंदिर नगर के चारों ओर बनाए गए हैं। सबसे सुंदर चतुर्भुज मंदिर है जो भगवान्‌ विष्णु के चरणों में समर्पित कर दिया गया है। इस मंदिर का निर्माण एक विशाल प्रस्तरखंड के ऊपर किया गया है। भारतीचंद का स्मारक (1531-54), मधुकर शाह (1554-92), वीरसिंह देव (1605-27), पहाड़सिंह (1641-53) और सनवंतसिंह (1752-65) एवं अन्य शासकों तथा उनकी रानियों की प्रतिमूर्तियों किले के अंतस्थल में नदी के किनारे बनाई गई हैं। हरदुल की मूर्ति चतुर्भुज मंदिर के बहुत ही समीप है जहाँ, बताया जाता है, राजकुमार अपने भाई जुझारसिंह द्वारा विष दिए जाने के कारण मृत्यु को प्राप्त हुआ था। ओरछा में आज भी तहसील का मुख्यालय है।

Hindi Title


विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)




अन्य स्रोतों से




संदर्भ
1 -

2 -

बाहरी कड़ियाँ
1 -
2 -
3 -