पानी बिच मीन

Submitted by pankajbagwan on Wed, 02/19/2014 - 21:53
पानी बिच मीन पियासी
खेतों में भूख–उदासी
यह उलट बाँसियाँ नही कबीर –खालिस चाल सियासी !
पानी बिच मीन पियासी

लोहे का सर, पाँव काठ के,
बीस बरस में हुए साठ के
, मेरे ग्राम निवासी कबिरा-झोपडपट्टी वासी !
पानी बिच मीन पियासी

सोया बच्चा गाये लोरी,
पहरेदार करे है चोरी,
जुर्म करे है न्याय निवारण –न्याय चढ़े है फाँसी!
पानी बिच मीन पियासी

बँगले में जंगला लग जाये,
जंगल में बंगला लग जाये,
वन - बिल ऐसा लागू होगा –मरें भले वनवासी !
पानी बिच मीन पियासी

नल की टोंटी जल को तरसे,
हवा घरों में पानी बरसे,
ये निमार्ण किये अभियंता –मुआयना अधिशासी !
पानी बिच मीन पियासी

जो कमाय सो रहे फकीरा,
बैठे- ठाले भरैं जखीरा,
भेद यही गहरा है कबिरा – दीखे बात जरा –सी !
पानी बिच मीन पियासी

संकलन / टायपिंग /प्रूफ- नीलम श्रीवास्तव, महोबा