भरतपुर के घना में
जयपुर : यूनेस्को की सूची में शामिल रंग बिरंगी देशी और विदेशी चिड़ियों के लिए ख्यातनाम राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित घना अभ्यारण्य में पानी के संकट के चलते स्थानीय चिड़िया घरौंदे नहीं बना रही है, जिससे उनके प्रजनन पर खतरा पैदा हो गया है। राजस्थान वन्य जीव बोर्ड की पिछले दिनों कोटा में सम्पन्न हुई बैठक में घना में पानी संकट पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इस समस्या के समाधान के लिए पांचना बांध से तुरंत पानी छोड़े जाने पर चर्चा की गई। वन विभाग और जानकार सूत्रों ने घना में पानी की समस्या को स्वीकार करते हुए कहा,‘घना में स्थित तालाब में पानी नहीं होने के कारण स्वदेशी चिड़ियों ने अभी तक अपने घोसले नहीं बनाये हैं,’जबकि यह समय उनके अंडे देने का है। उन्होंने कहा यदि बारिश ठीक नहीं हुई और पांचना बांध से घना के लिए तुंरत अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ा गया तो शायद ये चिड़िया इस साल यहां घोंसला नहीं बनायें और अंडे नहीं दें।’ जानकार सूत्रों के अनुसार घना अभयारण्य में अधिकांश तालाब सूखे पड़े हैं और कुछ बरसाती खड्डों में पानी भरा हुआ है, जबकि देशी और विदेशी चिड़िया पूरी तरह से भरे तालाबों और उनमें पनपने वाले कीट से आकर्षित होकर अभ्यारण्य के तालाब के बीच कंटीले पेड़ों पर अपना आशियाना बनाती हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल तालाबों के रीते होने के चलते अधिकांश पेड़ बिना घोंसले के नजर आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार वन और पर्यावरण राज्य मंत्री राम लाल जाट की अध्यक्षता में पिछले दिनों कोटा में हुई प्रदेश स्तरीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में घना को संकट से उबारने के लिए पांचना बांध से तुरंत पानी छोड़ने की मांग की गई। वन मंत्री ने आश्वस्त किया कि पांचना बांध में जल स्तर की समीक्षा कर तुरंत पानी छोड़ा जायेगा। सूत्रों के मुताबिक बैठक में घना को पर्याप्त पानी पहुंचाने के लिए गोवर्धन डेन और उत्तर प्रदेश से भी पानी लाने पर विचार किया गया। बैठक में कहा गया कि गोवर्धन डेन से पानी लाने के लिए योजना आयोग ने पैसठ करोड़ रुपए मंजूर किये हैं और इस पर काम शुरू हो चुका है, लेकिन यह काम इस साल पूरा नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा कि भरतपुर और इसके आसपास के इलाकों में आने वाले दिनों में मूसलाधार वर्षा से ही घना के तालाबों में पानी आ सकता है वर्ना गोवर्धन डेन से तो अगले साल ही घना में पानी आने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार सरकार घना की निशानी को बनाए रखने के लिए चम्बल से घना तक पानी पहुंचाने की योजना पर विचार कर रही है।
जयपुर : यूनेस्को की सूची में शामिल रंग बिरंगी देशी और विदेशी चिड़ियों के लिए ख्यातनाम राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित घना अभ्यारण्य में पानी के संकट के चलते स्थानीय चिड़िया घरौंदे नहीं बना रही है, जिससे उनके प्रजनन पर खतरा पैदा हो गया है। राजस्थान वन्य जीव बोर्ड की पिछले दिनों कोटा में सम्पन्न हुई बैठक में घना में पानी संकट पर चिन्ता व्यक्त करते हुए इस समस्या के समाधान के लिए पांचना बांध से तुरंत पानी छोड़े जाने पर चर्चा की गई। वन विभाग और जानकार सूत्रों ने घना में पानी की समस्या को स्वीकार करते हुए कहा,‘घना में स्थित तालाब में पानी नहीं होने के कारण स्वदेशी चिड़ियों ने अभी तक अपने घोसले नहीं बनाये हैं,’जबकि यह समय उनके अंडे देने का है। उन्होंने कहा यदि बारिश ठीक नहीं हुई और पांचना बांध से घना के लिए तुंरत अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ा गया तो शायद ये चिड़िया इस साल यहां घोंसला नहीं बनायें और अंडे नहीं दें।’ जानकार सूत्रों के अनुसार घना अभयारण्य में अधिकांश तालाब सूखे पड़े हैं और कुछ बरसाती खड्डों में पानी भरा हुआ है, जबकि देशी और विदेशी चिड़िया पूरी तरह से भरे तालाबों और उनमें पनपने वाले कीट से आकर्षित होकर अभ्यारण्य के तालाब के बीच कंटीले पेड़ों पर अपना आशियाना बनाती हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल तालाबों के रीते होने के चलते अधिकांश पेड़ बिना घोंसले के नजर आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार वन और पर्यावरण राज्य मंत्री राम लाल जाट की अध्यक्षता में पिछले दिनों कोटा में हुई प्रदेश स्तरीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में घना को संकट से उबारने के लिए पांचना बांध से तुरंत पानी छोड़ने की मांग की गई। वन मंत्री ने आश्वस्त किया कि पांचना बांध में जल स्तर की समीक्षा कर तुरंत पानी छोड़ा जायेगा। सूत्रों के मुताबिक बैठक में घना को पर्याप्त पानी पहुंचाने के लिए गोवर्धन डेन और उत्तर प्रदेश से भी पानी लाने पर विचार किया गया। बैठक में कहा गया कि गोवर्धन डेन से पानी लाने के लिए योजना आयोग ने पैसठ करोड़ रुपए मंजूर किये हैं और इस पर काम शुरू हो चुका है, लेकिन यह काम इस साल पूरा नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा कि भरतपुर और इसके आसपास के इलाकों में आने वाले दिनों में मूसलाधार वर्षा से ही घना के तालाबों में पानी आ सकता है वर्ना गोवर्धन डेन से तो अगले साल ही घना में पानी आने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार सरकार घना की निशानी को बनाए रखने के लिए चम्बल से घना तक पानी पहुंचाने की योजना पर विचार कर रही है।
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