पानी को साफ करने के कुछ तरीके

Submitted by admin on Sat, 05/08/2010 - 07:34

फोटो: news corner 

अगर ये कहा जाए कि जिंदगी में पानी के बिना कुछ भी संभव नहीं है, तो गलत नहीं होगा। प्यास बुझाने के अलावा, खाना बनाने जैसे तमाम काम पानी के बिना संभव नहीं हैं। कई लोगों की नजर में पानी की शुद्धता जरूरी नहीं होती। लेकिन आपकी यह सोच आपके और आपके परिवार के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। नहाने के पानी से लेकर पीने के पानी तक की शुद्धता मायने रखती है। जहां अशुद्ध पानी पीने से असं2य रोगों को निमंत्रण मिलता है, वहीं अशुद्ध पानी से त्वचा संबंधी बीमारियों को न्योता मिलता है। अगर आंकड़ों की मानें, तो पीने के पानी में 2,100 विषैले तत्व मौजूद होते हैं। ऐसे में बेहतरी इसी में है कि पानी का इस्तेमाल करने से पहले इसे पूरी तरह से शुद्ध कर लिया जाए, क्योंकि सुरक्षा में ही सावधानी है।

 

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पानी को उबालना : वैसे तो पानी को साफ और पीने योग्य बनाने के लिए अब ढेरों तरीके मौजूद हैं, पर पानी को साफ करने का सबसे पुराना तरीका उसे उबालना है। दुनिया भर में इस परपंरागत तरीके को लाखों लोग अपनाते हैं। पानी को पूरी तरह से स्वच्छ और कीटाणु रहित बनाने के लिए कम-से-कम उसे २० मिनट उबालना चाहिए और उसे ऐसे साफ कंटेनर में रखना चाहिए, जिसका मुंह संकरा हो ताकि उसमें किसी प्रकार की गंदगी न जाए।

कैंडल वाटर फिल्टर : पानी को साफ करने के लिए दूसरा मुफीद तरीका है, कैंडल वाटर फिल्टर। इसमें समय-समय पर कैंडल बदलने की जरूरत होती है, ताकि पानी बेहतर तरीके से साफ हो सके।

मल्टी स्टेज शुद्धिकरण : मल्टी स्टेज प्यूरीफिकेशन पानी को साफ करने का एक बेहतर तरीका है। यह बिना बिजली के उपयोग में लाया जा सकता है और इसकी लागत भी कम होती है। देखने में यह पारंपरिक फिल्टर की तरह लगते हैं। इसमें पानी कई चरणों में साफ होता है। पहले प्री-फिल्टर प्यूरीफिकेशन होता है, उसके बाद एक्टीवेटेड कॉर्बन प्यूरीफिकेशन किया जाता है, फिर पानी से हानिकार बैक्टीरिया खत्म किए जाते हैं। और सबसे अंत में पानी की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिहाज से उसका स्वाद बेहतर किया जाता है।

क्लोरीनेशन: पानी साफ करने की क्लोरीनेशन बहुत पुरानी प्र्रक्रिया है। इस प्रक्रिया से पानी शुद्ध होने के साथ उसके रंग और सुगंध में भी परिवर्तन आ जाता है। विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आ चुके बदलावों के बावजूद 1लोरीन का प्रयोग व्यापक स्तर पर किया जाता है। पानी को हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने के लिए नगरपालिका, अस्पताल, रेलवे आदि में इसका प्रयोग किया जाता है।

 

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हैलोजन टैबलेट : आकस्मिक परिस्थितियों में पानी साफ करने के लिए हैलोजन टेबलेट उपयोगी होती है। पानी में इसे कितनी मात्रा में डाला जाए, यह पानी की मात्रा और हैलोजन टैबलेट के ब्रांड के ऊपर निर्भर करता है।यह गोलियां पानी में पूरी तरह घुलनशील होती है।

आरओ सिस्टम : पिछले कुछ सालों से मार्केट में पानी को साफ करने की एक नई तकनीक लोगों को अपना मुरीद बना रही है और इस तकनीक का पूरा नाम है- रिवर्स आसमोसिस प्रोसेस यानी आरओ। इस तकनीक में पानी को बेहद तेज दबाव के साथ साफ किया जाता है। आरओ सिस्टम द्वारा साफ पानी में बैक्टीरिया होने की आशंका बहुत कम हो जाती है। यह पेयजल को साफ करने का उच्चस्तरीय तरीका है। प्रभावशाली आरओ तकनीक शुरुआती चरण में ही पानी की तमाम अशुद्धियों को दूर कर देती है। घरों में प्रयोग किए जाने वाले आरओ सिस्टम में 220 से 240 पीपीएम युक्त पानी को स्वच्छ कर 25 पीपीएम तक ले आता है।

आरओ सिस्टम पानी को पांच चरणों में साफ करता है और उसे गंदगी, धूल, बैक्टीरिया आदि से मुक्त कर शुद्ध व मीठा बनाता है। आरओ प्रक्रिया में पानी को कई महीन झिल्लियों से गुजारा जाता है और इसके बाद पानी में मौजूद सभी बैक्टीरिया व रसायन बाहर निकल जाते हैं। ये सारी महीन झिल्लियां बिजली से संचालित होती हैं और इनसे गुजरने के बाद गंदे से गंदा पानी भी पीने योग्य बन जाता है।

 

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यूवी रेडिएशन सिस्टम : पानी साफ करने के लिए यूवी रेडिएशन विधि का भी इस्तेमाल किया जाता है। यूवी रेडिएशन सिस्टम से पानी में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के डीएनए अव्यवस्थित हो जाते हैं। साथ ही हानिकारक बैक्टीरिया भी मर जाते हैं, जिससे पानी मनुष्य के इस्तेमाल योग्य हो जाता है। इस प्रक्रिया में पानी में न कुछ मिलाया जाता है और न ही किसी खनिज को हटाया जाता है। यूवी प्यूरीफायर्स तीन-चार प्यूरीफिकेशन चरणों में आते है। जिनमें सेडीमेंट फिल्टर यानी प्री फिल्टर प्रक्रिया और सक्रिय कार्बन कार्टिरेज प्रमुख हैं। यह प्यूरीफायर वहां उपयोगी होता है, जहां लोग नगरपालिका का पानी इस्तेमाल करते हैं। इस तकनीक का कमजोर पक्ष यह है कि यह तकनीक घुलनशील सॉलिड के स्तर में बदलाव कर पाने में सक्षम नहीं होती है।

बड़े स्तर पर पानी साफ करने के लिए डीआयोनाइजेशन सिस्टम, अल्ट्राफिल्टरेशन का प्रयोग किया जाता है, तो वहीं ई-बॉयलिंग सिस्टम और पीएसी ट्रीटमेंट भी पानी को साफ रखने में कारगर होते हैं। पानी साफ करने की पूरी प्रक्रिया यह है कि यह पानी से काई, कार्बनिक कणों, घुलनशील सॉलिड, बैक्टीरिया, विषाणु और भारी तत्वों को बाहर करता हो। प्रत्येक तकनीक के कुछ फायदे और नुकसान होते हैं, ऐसे में जरूरी है कि पानी के स्रोत और गुणवत्ता आदि के आधार पर ही उसे साफ करने की तकनीक का चयन किया जाए।

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