पानी से जमीन पर

Submitted by admin on Tue, 08/02/2011 - 15:57
पानी में जीवन की उत्पत्तिपानी में जीवन की उत्पत्तिएक साधरण सी बात है कि जीवन की उत्पत्ति एवं विकास पानी में हुआ। लेकिन पानी से जीव भूमि पर कैसे आ गया, अभी भी एक सवाल ही है। पैरों का विकास कब और कैसे हुआ इस सवाल का वैज्ञानिक अभी भी जवाब तलाश कर रहे हैं। क्योंकि पानी में पैरों की जरूरत ही नहीं होती है। इसी सवाल के जवाब के लिये वैज्ञानिक जीवाश्मों का अध्ययन करते रहते हैं और नई खोज के साथ अपनी सफलता के लिये खुशी मनाते हैं।

इन खोजों में जीवाश्म महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीवाश्म पृथ्वी में दबे उन जीवित वस्तुओं के अवशेष हैं जो कभी पृथ्वी पर जीवित रहे होंगे। यह जीवाश्म ही हैं जिन्होंने वैज्ञानिकों को बड़े-बड़े रहस्य सुलझाने में मदद की है, जैसे इंसान का विकास चिम्पैंजी से मिलते जुलते प्राणी से हुआ या विकास का क्रम क्या रहा होगा या कौन पहले आया। इसके लिये भूमि की खुदाई से कई जगहों पर अलग-अलग समय के जीवाश्म मिले, जिन्होंने खोई हुई कड़ियों को जोड़ने में मदद की।

इसी क्रम में 3650 लाख साल पहले के जीव वेन्टेस्टेगा क्योरोनिका ने एक उम्मीद दिखाई है। इसका जीवाश्म आधुनिक लैटविया से मिला जहाँ पर कभी उथले पानी वाले जलाशय रहे होगें। इस जीवाश्म से पता चला कि विकास के क्रम में हमें पैर कितने पहले मिल गये थे। लेकिन फिर भी यह एक रहस्य ही है कि अंगुलियां और टखने पैरों के साथ हमेशा से थे या नहीं।

वेन्टेस्टेगा का काल्पनिक चित्रवेन्टेस्टेगा का काल्पनिक चित्रवेन्टेस्टेगा संभावित रूप से तालों या मीठे पानी वाली झीलों में रहते होंगे। ये अधिकतर पानी में लेकिन कभी कभी जमीन पर रहते होंगे। स्वीडन के वैज्ञानिक अहेलबर्ग के अनुसार वेन्टेस्टेगा के जीवाश्म की खोपड़ी, पेडू के चौथाई हिस्से व कंधे के चिन्ह मिले हैं। लेकिन इसके अगले पैरों के कुछ हिस्से ही मिले हैं। प्राप्त अवशेषों से अनुमान लगाया गया कि यह एक प्राप्त जीवाश्मों के आधार पर वेन्टेस्टेगा के काल्पनिक चित्र छोटे घड़ियाल जैसा दिखता होगा।

इसके पैरों में 4-10 तक अंगुलियां भी हो सकती हैं। किन्तु पास से देखने से पता चलता है कि सिर के किनारे पर गलफड़े के (Gill Flap) के अवशेष हैं, जिससे बाद में अन्य स्थलीय जन्तुओं का विकास हुआ होगा।

वेन्टेस्टेगा क्योरोनिका के जीवाश्म को 1994 में पहली बार देखा गया था किन्तु इसे पश्चिम लैटाविया की एक 3650 लाख साल पुरानी चट्‌टान मान कर इसके अवशेषों को निकालने के प्रयास नहीं किये गये। लेकिन अब जीवाश्म वैज्ञानिकों ने बाद की खुदाई के दौरान इस अमूल्य खजाने को निकाला और इसे दुबारा से फिर संयोजित करने का प्रयास किया और माना गया कि यह 1-1.3 मीटर तक की लम्बाई वाला जीव रहा होगा। ऐसा अनुमान है कि यह चौपाया सबसे प्राचीन स्थलीय प्राणियों में से एक होगा जो पृथ्वी पर पहली बार चला होगा।

विकास क्रम एवं काल्पनिक चित्रविकास क्रम एवं काल्पनिक चित्रप्रो. अहेलबर्ग की टीम ने इसके जबड़ों के आधार पर इसे प्रारम्भिक स्थलीय प्राणियों में किन्तु विषैले दॉतो के आधार पर इसे मछलियों के बीच का प्राणी माना जो कि जलीय और स्थलीय प्राणियों के बीच की खोई हुई कड़ी हो सकती है। उन्होने यह भी माना कि इस प्राणी के पैर अंगुलियों पर खत्म होते थे न कि पंखों पर। इसका शरीर तो पानी में किन्तु मुंह की आकृति इसे स्थल पर रहने के अनुकूल दर्शाती है।

प्राप्त जीवाश्मों के आधार पर विकास क्रम एवं काल्पनिक चित्र इस आधार पर देखे तो यह जीवाश्म विकास की कड़ियों को जोड़ता है साथ ही नये सवालों के साथ नई खोज को दिशा देता है।

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