पांडिचेरी स्थिति : 11 56 उ.अ. तथा 79 49 पू.दे.। भारत के दक्षिण में पूर्वी तट पर मद्रास से रेल द्वारा 122 मील दक्षिण में स्थित केंद्र द्वारा प्रशासित राज्य है। पहले यह फ्रांस के अधिकार में था। इसका क्षेत्रफल 185 वर्ग मील है, तथा जनसंख्या 3,69,079 (1961) थी। सड़क द्वारा यहाँ से मद्रास पहुँचने में 105 मील की दूरी तय करनी पड़ती है। यह चारों ओर से आर्काडु तथा सागरीय सीमा से घिरा है। यहाँ अच्छा बंदरगाह है, पर वास्तव में बंदरगाह को सुविधाएँ कम प्राप्त हैं। बड़े जहाज तट से एक मील दूर समुद्र में खड़े होते हैं, बाद में 'मसूला' (masula) नावों तथा तटीय नावों के द्वारा उनसे संबंध स्थापित किया जाता है। यहाँ पर समुद्र के किनारे स्थित चारों ओर से तराशे हुए पत्थरों से घिरी एक मूर्ति है, कहा जाता है, ये पत्थर र्जिजी (Gingee) के प्रसिद्ध किले के अवशेषों से यहाँ लाए गए हैं। इसके पीछे मजबूत डूप्लैक्स प्लेस (Place Dupleix) या प्लेस डी ला रिपब्लिक स्थित है और पुन: इसे पश्चिम में प्लेस टु गर्वनमेंट नाम का एक लंबा चौड़ा मैदानी भाग है, जिसके बीच में फौबारा लगा है, एवं घास उगी है। इसके चारों ओर सरकारी भवन बने हुए हैं, जिनमें हाटल डी बिले, उच्च न्यायालय आदि हैं। यहाँ एक सार्वजनिक पुस्तकालय भी है। यहाँ की मुख्य भाषाएँ फ्रेंच एवं तामिल हैं।
पांडिचेरी में कई उत्स्त्रुत कूप (artesian well) हैं जिनसे नगर को पेय जल मिलता है। इन कुओं की खोज के पहले यहाँ केवल साधारण कुएँ ही पीने के पानी की समस्या हल करते थे। यहाँ की सड़कें उत्तम अवस्था में रहती है। यहाँ के सामान्य यातायात का साधन पुश पुश (घ्द्वद्मण् घ्द्वद्मण्) है, जो दो आदमियों द्वारा खींचा जाता है। यहाँ पर बुनने का काम अधिक होता है। गुजराती जुलाहे एक विशेष प्रकार का कपड़ा बुनते हैं जिसका निर्यात भी होता है। बाहर से आनेवाली वस्तुओं में शराब, स्पिरिट आदि तथा बाहर जानेवाली वस्तुओं में नारियल, नारियल का तेल, सूती धागा, मूँगफली, चावल आदि है। शिक्षा का काफी उत्तम प्रबंध है। पांडिचेरी (40,421), एवं काराईकल (22,252) प्रमुख नगर है।(रमेशचंद्र दुबे)
पांडिचेरी में कई उत्स्त्रुत कूप (artesian well) हैं जिनसे नगर को पेय जल मिलता है। इन कुओं की खोज के पहले यहाँ केवल साधारण कुएँ ही पीने के पानी की समस्या हल करते थे। यहाँ की सड़कें उत्तम अवस्था में रहती है। यहाँ के सामान्य यातायात का साधन पुश पुश (घ्द्वद्मण् घ्द्वद्मण्) है, जो दो आदमियों द्वारा खींचा जाता है। यहाँ पर बुनने का काम अधिक होता है। गुजराती जुलाहे एक विशेष प्रकार का कपड़ा बुनते हैं जिसका निर्यात भी होता है। बाहर से आनेवाली वस्तुओं में शराब, स्पिरिट आदि तथा बाहर जानेवाली वस्तुओं में नारियल, नारियल का तेल, सूती धागा, मूँगफली, चावल आदि है। शिक्षा का काफी उत्तम प्रबंध है। पांडिचेरी (40,421), एवं काराईकल (22,252) प्रमुख नगर है।(रमेशचंद्र दुबे)
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संदर्भ
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