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“बूंदों की संस्कृति” से साभार
गबरबंध के नाम से ही पता लगता है कि ये पारसियों या अग्निपूजकों का बांध था। पत्थर के इन बांधों का आकार और मजबूती ढलान के हिसाब से होती थी। दर्रों में ऊंचे और मजबूत बांध बनाए गए, तो सामान्य ढलानों पर संकरे और कम ऊंचे बांध बनाए गए। इन गबरबंधों का मकसद था- “शुष्क, बंजर पत्थरों पर कछारी मिट्टी की सतह बैठाना और बाढ़ के पानी को फायदेमंद उपयोग के लिए जमा करना।” कहीं-कहीं इसका मकसद जलाशयों में पानी जमा रखना था। बलूचिस्तान में गोब्रीकरेज़ (भूमिगत जल प्रणाली) थे जो पानी की आपूर्ति करते थे। बताया जाता है कि ये भी पारसियों द्वारा बनाए गए थे (पढ़ें: गबरबंधों का रहस्य)।