पंकज श्रीवास्तव

Submitted by RuralWater on Mon, 09/14/2015 - 15:37
इस संकलन के मुख्य सम्पादक श्री पंकज श्रीवास्तव भारतीय वन सेवा के मध्य प्रदेश संवर्ग के वरिष्ठ अधिकारी हैं वानिकी, पर्यावरण और जल संरक्षण जैसे विषयों पर हिन्दी में विशिष्ट शैली में वैज्ञानिक लेखन उनकी विशेषता है।

नर्मदा से जुड़े विविध विषयों पर अध्ययन और लेखन में उनकी गहरी रुचि है। फैजाबाद के अवध विश्वविद्यालय से वर्ष 1980 में स्वर्णपदक सहित पूरे विश्वविद्यालय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले विज्ञान स्नातक तथा वर्ष 1982 में गोरखपुर विश्वविद्याल, उत्तर प्रदेश से प्राणि विज्ञान में स्वर्णपदक सहित स्नातकोत्तर उपाधिधारक श्री पंकज ने राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया है।

वानिकी में जनभागीदारी के प्रबल पक्षधर श्रीवास्तव संयुक्त वन प्रबन्ध की अवधारणा पर विश्व बैंक पोषित मध्य प्रदेश वानिकी परियोजना में प्रदेश स्तर पर महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ निजी वानिकी से आर्थिक विकास योजना-लोक वानिकी में भी प्रारम्भ से ही जुड़े रहे हैं।

उन्होंने अपने लगभग 24 वर्षों के सेवाकाल में नर्मदा घाटी के अनेक वन क्षेत्रों में काम किया है और नर्मदा के वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक संसार को समझने के लिये खूब यात्राएँ की है जिनमे दो खण्डों मे रबर की नाव द्वारा नर्मदा की जलयात्रा भी सम्मिलित है।

अपने साथियों के बीच अपनी चुटीली कविताओं के लिये विख्यात श्रीवास्तव ‘सतपुड़ा के डरे जंगल’ (2005), ‘जंगल रहे ताकि नर्मदा बहे’ (2007), ‘पर्यावरण की चुनौतियाँ और मीडिया’ (2008), ‘पानी के लिये वन प्रबन्ध’ (2009) तथा ‘नदी कितने की है?’ (2010) जैसी लोकप्रिय पुस्तकों के रचयिता भी हैं।

भारत सरकार द्वारा मेदिनी पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक ‘जंगल रहे ताकि नर्मदा बहे’ ने लेखक को नर्मदानुरागी समाज में खासा सम्मान दिलाने के साथ-साथ वनों और नदियों की जुगलबन्दी और पारस्परिक निर्भरता के बारे में व्यापक जन चेतना पैदा करने में बड़ी मदद की है।

नर्मदा के जीवाश्मों का विविधतापूर्ण संसार कितना अमूल्य है इसका अहसास होने पर स्थानीय समाज को इस विषय पर बोधगम्य तरीके से जानकारी उपलब्ध कराने के लिये अपना मुख्य विषय न होते हुए भी लेखक द्वारा नर्मदा घाटी के प्रमुख जीवाश्म स्थलों का भ्रमण किया गया सैकड़ों वैज्ञानिकों से सम्पर्क किया गया, हजार वैज्ञानिक लेखों का अध्ययन कर विषय को आत्मसात किया गया और निरन्तर परिमार्जन की क्रिया से गुजरकर संकलन को यह स्वरूप देने के लिये दिन-रात परिश्रम किया गया।

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Pankaj Srivastava, Chief Conservator of Forest (Research & Extension), Indore. Bungalow No. 5, Forest Campus, Navratan Bagh, Indore- 451001.

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