प्राणिउपवन (Zoological garden)

Submitted by Hindi on Mon, 08/22/2011 - 12:46
प्राणिउपवन (Zoological garden) वह संस्थान है जहाँ जीवित पशु पक्षियों को बहुत बड़ी संख्या में संग्रहीत कर रखा जाता है। जीवित पशु पक्षियों के संग्रह को रखने की परिपाटी बहुत प्रचीन है। ऐसे उपवनों के होने का सबसे पुराना उल्लेख चीन में ईसा के 1200 वर्ष पूर्व में मिलता है। चीन के चाऊ वंश के प्रथम शासक के पास उस समय ऐसा एक पशु पक्षियों का संग्रहालय था। ईसा के 2000 वर्ष पूर्व के मिस्रवासियों की कब्रों के आसपास पशुओं की हड्डियाँ पाई गई हैं, जिससे पता लगता है कि वे लोग आमोद प्रमोद के लिए अपने आसपास पशुओं को रखा करते थे। पीछे रोमन लोग भी पशुओं को पकड़कर अपने पास रखते थे। प्राचीन रोमनों और यूनानियों के पास ऐसे संग्रह थे जिनमें सिंह, बाघ, चीता, तेंदुए आदि रहते थे। ऐसा पता लगता है कि ईसा के 29 वर्ष पूर्व ऑगस्टस ऑक्टेवियस (Augustus Octavious) के पास 410 बाघ, 260 चीते और 600 अफ्रीकी जंतुओं का संग्रह था, जिसमें बाघ राइनोसिरस, हिपोपॉटैमस (दरियाई घोड़ा), भालू, हाथी, मकर, साँप, सील (seal), ईगल (उकाब) इत्यादि थे। पीछे जंतुओं के संग्रह की दिशा में उत्तरोत्तर वृद्धि हेती रही है और आज संसार के प्रत्येक देश और प्रत्येक बड़े-बड़े नगर में प्राणिउपवन विद्यमान हैं। ऐसे उपवनों के आज तीन प्रमुख उद्देश्य हैं : (1) मनुष्य का मनोरंजन करना, (2) पशु पक्षियों के आचरण, व्यवहार, चालढाल, प्रकृति आदि का अध्ययन करना ताकि जो पशु पक्षी मनुष्य के लिए अधिक उपयोगी हैं उनकी रक्षा और वृद्धि की जाए और (3) उनपर कुछ ऐसे प्रयोग करना जिनसे प्राप्त ज्ञान को मानव हित में प्रयुक्त किया जा सके। इस अंतिम उद्देश्य की पूर्ति के कारण ही हम अनेक नई नई ओषधियों के आविष्कार करने में समर्थ हुए हैं। इन ओषधियों से अनेक असाध्य रोगों की चिकित्सा आज सफलता से की जा रही है। कुछ पशुओं की शारीरिक क्रिया मनुष्य की शारीरिक क्रिया से बहुत मिलती जुलती है। इस कारण नई ओषधियों का जो प्रभाव उन पशुओं पर पड़ता है वैसा ही प्रभाव मानव शरीर पर भी पड़ता है। पशुओं पर किए गए प्रयोग मनुष्य के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं।

एशिया में अनेक प्राणिउपवन हैं जिनमें अलीपुर स्थित कलकत्ते का प्राणिउपवन बड़े महत्व का है। भारत का यह सबसे बड़ा प्राणिउपवन है। इसकी स्थापना 1875 ई. में बंगाल सरकार द्वारा हुई। इसमें पशु पक्षियों का संग्रह बहुत अच्छा है। इसके अतिरिक्त बंबई, दिल्ली और लखनऊ में भी प्राणिउपवन हैं। पाकिस्तान में कराची का प्राणिउपवन उत्कृष्ट कोटि का है। सिंगापुर, बटैविया और सुराबाया में भी प्राणिउपवन हैं। सुमात्रा के पश्चिमी तट पर फोर्ट-द-कॉक तथा जोहोर बाहरू में भी जंतुओं का संग्रह उत्तम है। जापान में दर्जनों प्राणिउपवन हैं, जिनमें टोकियो, नागोया, क्योटो, ओसाका और कोबे के प्राणिउपवन प्रमुख हैं। शंघाई का प्राणिउपवन यद्यपि छोटा है, तथापि उसमें चीन के जंतुओं का संग्रह अच्छा है। रूस के मॉस्को नगर में जो प्राणिउपवन है उसमें उत्तरी और विदशी जंतुओं का बहुत अच्छा संग्रह है।

ऑस्ट्रिया और न्यूज़ीलैंड में भी अनेक प्राणिउपवन हैं। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी, मेलबर्न, ऐडिलेड और पर्थ के प्राणिउपवन महत्व के हैं, पर इनमें ऑस्ट्रेलिया के पशु पक्षियों का संग्रह अच्छा है। न्यूज़ीजैंड के वेलिंग्टन और ऑकलैंड के उपवन अपेक्षया छोटे हैं, पर वेलिंग्टन में पशु पक्षियों का संग्रह अत्युत्तम है।

अफ्रीका में महत्व के प्राणिउपवन गिज़ा और काहिरा में है। इनमें अफ्रीकी जंतुओं का संग्रह बहुत अच्छा है। इन प्राणी उपवनों का प्रबंध वहाँ की सरकार द्वारा होता है। खारतूम में भी एक प्राणिउपवन है, जिसका प्रबंध वहाँ की नगरपालिका करती है। इन प्राणिउपवनों के सिवाय प्रिटोरिया और जोहैनिसबर्ग में भी उपवन है, जिनका प्रबंध वहाँ की सरकार द्वारा होता है।

उत्तरी अमरीका के कैनाडा, मेक्सिको और संयुक्त राज्य, अमरीका, में अनेक प्राणिउपवन हैं। वस्तुत: वहाँ प्रत्येक नगर में किसी न किसी उपवनों में पशु पक्षियों का संग्रह बहुत अच्छा है। संयुक्तराज्य अमरीका, के प्राणिउपवन अपेक्षया बड़े बड़े हैं और कुछ बहुत बड़े क्षेत्र, 265 एकड़ भूमि तक, में फैले हुए हैं। इनमें ब्रोंक्स का प्राणिउपवन सबसे बड़ा है। इसका समस्त खर्च नगरपालिका वहन करती है। वाशिंगटन में जो उपवन है उसे 'नैशनल जोओलॉजिकल पार्क' कहते हैं। इसकी स्थापना 18891890 ई. में आमोद प्रमोद, शिक्षा और प्राणिविज्ञान के अनुसंधान के विकास के लिए हुई थी। यह भी बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। फिलाडेल्फिया का 'फेयर माउंट पार्क जू' एक दूसरा सुप्रसिद्ध प्राणिउपवन है। यह लंदन के प्राणिउपवन के आदर्श पर 1859 ई. में बना था। इसके निर्माण का प्रमुख उद्देश्य शिक्षा का प्रसार था।

यूरोप के प्राय: सब देशों, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली इत्यादि, में अनेक प्राणिउपवन हैं। यूरोप का सबसे प्राचीन उपवन शोनब्रुन (Schonbrrun) का है। बूडापेस्ट के प्राणिउपवन में यूरोप के पक्षियों का अच्छा संग्रह है। लंदन का प्राणि-उपवन यद्यपि छोटा है, तथापि यहाँ संग्रह सर्वोत्कृष्ट है। मैंचेस्टर और क्लिफ़्टन में भी छोटे छोटे प्राणिउपवन हैं। एडिनबरा का उपवन पेंगुइन के लिए सुप्रसिद्ध है। डब्लिन के प्राणिउपवन में सिंहों का संग्रह बहुत विशाल है। यूरोप के अन्य देशों के नगरों, रोम, लिसबन, मैड्रिड इत्यादि, में भी छोटे-बड़े प्राणिउपवन विद्यमान हैं। (फूलदेव सहाय वर्मा)

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संदर्भ
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