प्रोटीन (Protein)

Submitted by Hindi on Mon, 08/22/2011 - 11:37
प्रोटीन (Protein) जीवित कोशिकाओं, रक्त तथा अन्य पदार्थों में पाए जानेवाले अधिक अणुभार के पेचीदे पदार्थ हैं, जो ऐमिनो अम्लों से बने हैं। जीवित कोशिकाओं में ये बड़े महत्व के अवयव हैं। भिन्न भिन्न जीवों की कोशिकाओं में भिन्न भिन्न प्रकार के प्रोटीन पाए जाते हैं। जीवित कोशिकाओं के ग्रंथिस्त्राव में प्रोटीन खर्च होते हैं। मिट्टी से नाइट्रेट लेकर पेड़ पौधे प्रोटीन का निर्माण करते हैं। पेड़ पौधों से ही प्रोटीन जीवजंतुओं में आता है।

सभी प्रोटीनों के संघटन एक से नहीं होते। सबों में कार्बन (प्राय: 51ऽ), हाइड्रोजन (प्राय: 7ऽ), ऑक्सीजन (प्राय: 25ऽ), नाइट्रोजन (प्राय: 16ऽ), अधिकांश में गंधक (प्राय: 0.4ऽ) और कुछ में फॉस्फोरस (प्राय: 0.4ऽ) रहता है। ये अमोनिया या ऐमिनो अम्लों से बने हैं। विभिन्न प्रोटीनों में ऐसे लगभग 20 ऐमिनो अम्लों का अब तक पला लगा है।

पीछे मिट्टी से नाइट्रेट लेकर उससे प्रोटीन का सृजन करते हैं। जीवजंतु नाइट्रेटों से प्रोटीन का सृजन नहीं करते। पेड़पौधों से प्रोटीन लेकर जीवजंतु, जांतव प्रोटीन बनाते हैं। प्रोटीनों में उपस्थित प्रमुख ऐमिनो अम्ल हैं : ट्रिप्टोफ़ैन (tryptophan), लाइसीन (lysine), हिस्टीडीन (histidine), सिस्टिन (cystine), टाइरोसीन (tyrosine) और आरजिनिन (arginine)। तनु खनिज अम्लों या एंजाइमों से प्रोटीनों का विघटन होकर ऐमिनो अम्ल बनते हैं।

प्रोटीनों से प्राप्त ऐमिनो अम्लों को चार प्रमुख वर्गों में विभक्त किया गया है : (1) उदासीन ऐमिनो अम्ल : (2) अम्लीय ऐमिनो अम्ल, (3) क्षारीय ऐमिनो अम्ल तथा (4) विषमचक्रीय ऐमिनो अम्ल।

ऐमिनो अम्लों के संघनन से बड़ी बड़ी शृंखलावाले प्रोटीन बने हुए हैं। ऐसे यौगिकों को रसायनशाला में तैयार करने की चेष्टाएँ हुई हैं। ऐसे कृत्रिम यौगिकों को पोलीपेप्टाइड कहते हैं। अनेक उच्च अणुभार के पोलीपेप्टाइड (polypeptide) अब तक तैयार हुए हैं; जो प्रोटीन की अभिक्रियाएँ भी देते हैं। इससे प्रोटीन के संघटन के संबंध में कोई संदेह नहीं रह जाता।

वैज्ञानिकों ने प्रोटीन का वर्गीकरण उनके संघटन के आधार पर किया है। प्रोटीनों को उन्होंने तीन श्रेणियों में विभक्त किया है : एक को सरल प्रोटीन, दूसरे को संयुग्मी प्रोटीन तथा तीसरे को व्युत्पन्न प्रोटीन कहते हैं। सरल प्रोटीनों में एल्ब्यूमिन (Albumin), ग्लोब्यूलिन (Globulin), ग्लूटेलिन (Glutelin), प्रोलैमिन, (Prolamine), ग्लाइएडिन (Gliadin), एलब्यूमिनायडया या स्क्लेरोप्रोटीन (Sclero protein), प्रोटेमिन (Protamine) और हिस्टोन (Histone)। संयुग्मी प्रोटीनों में क्रोमोप्रोटीन, ग्लूको या ग्लाइकोप्रोटीन, न्यूक्लीओ प्रोटीन और फॉस्फोप्रोटीन हैं। व्युत्पन्न प्रोटीनों में मेटा प्रोटीन, प्रोटिओज, पेपटोन और पेप्टाइड आते हैं, जो प्रोटीनों के जल अपघटन से प्राप्त होते हैं।

मनुष्यों और अन्य जीव जंतुओं के लिए प्रोटीन महत्वपूर्ण आहार है। इससे शरीर की कोशिकाएँ और ऊतक बनते हैं। प्रोटीन के अभाव से शरीर क्षीण हो जाता है और रोगों से आक्रांत होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे शरीर में ऊर्जा भी उत्पन्न होती है। इससे कार्बोहाइड्रेटों और वसा के पाचन में सहायता मिलती है। ठंढे देशों के व्यक्तियों के आहार में प्रोटीन की मात्रा अधिक रहनी चाहिए ताकि वे शीत को सहन कर सकें। साधारणतया एक युवक के लिए प्रतिदिन प्राय: 100 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। उद्योगधंधों में भी प्रोटीन का उपयोग होता है। केसन, सरेस, जिलेटिन सदृश प्रोटीन डिस्टेंपर, बटन, कृत्रिम ऐंबर इत्यादि के निर्माण में अयुक्त होते हैं। (सत्येंद्र वर्मा)

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