प्रतिपिंड (Antibody)

Submitted by Hindi on Sat, 08/20/2011 - 14:42
प्रतिपिंड (Antibody) यदि शरीर में कोई जीव, विष, जीवाणु या अन्य प्रोटीन प्रविष्ट करता है, तो उसके प्रभाव को रोकने के लिये शरीर में कुछ वस्तुओं का सृजन होता है। ऐसी वस्तुओं को प्रतिपिंड कहते हैं। प्रतिपिंड प्रतिजन (antigen) नामक पदार्थ से बनते हैं। प्रतिजन सीरम में रहते हैं। प्रतिजन सामान्यत: एक प्रकार के प्रोटीन है, जो शरीर के प्रोटीन से भिन्न प्रकार के होते हैं। प्रतिजन प्रोटीन से मिलते जुलते पदार्थ होते हैं, अथवा वे कोई कार्बोहाइड्रेट हो सकते हैं।

जीवविष (toxins) अथवा जीवाणुओं से उत्पन्न जो विष बनते हैं उनके प्रभाव को रोकने के लिये जिन प्रतिपिंडों का व्यवहार होता है उन्हें प्रतिजीवविष (antitoxins) कहते हैं। हमारे शरीर में भी प्रतिजन रहते हैं। शरीर में विष प्रविष्ट करने पर ये प्रतिपिंड उत्पन्न करते हैं। सीरम में प्रतिजन रहते हैं। शरीर में प्रविष्ट कराने पर ये शरीर में प्रतिपिंड उत्पन्न कर शरीर में रोगों के आक्रमण को रोक रखने की क्षमता उत्पन्न करते हैं। ऐसे अनेक सीरम स्कार्लेट ज्वर, वोट्यूलिज्म, डिफ्थीरिया आदि अनेक रोगों के उपचार में सफलतापूर्वक आज प्रयुक्त हो रहे हैं। जिस सीरम में सर्पविष का प्रतिपिंड उत्पन्न करने की क्षमता होती है उसका व्यवहार आज सर्पदंश के उपचार में हो रहा है। परागज ज्वर (hay fever) के उपचार में रेगवीड (ragweed) के पराग की सूई आज सफलता से दी जा रही है। इससे परागज ज्वर का प्रतिपिंड बनकर, परागज ज्वर से रोगी को मुक्त करता है।

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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