पर्यावरण विज्ञान में करियर

Submitted by Hindi on Wed, 08/08/2012 - 12:58
Source
रोजगार समाचार
पर्यावरण विज्ञान, जीवों तथा उनके पर्यावरण के बीच संबंधों से जुड़ी जीवविज्ञान की शाखा है। पर्यावरण विज्ञान एक ऐसा अंतर-विषयीय शैक्षिक क्षेत्र है, जो भौतिकीय एवं जैविकीय विज्ञानों (पारिस्थितिकी, भौतिकी, रसायनविज्ञान, जीवविज्ञान, मृदाविज्ञान, भूविज्ञान, वायुमंडल विज्ञान तथा भूगोल (इनमें शामिल हैं किंतु इन तक ही सीमित नहीं हैं) को पर्यावरण के अध्ययन और पर्यावरण की समस्याओं के समाधान से जोड़ता है, पर्यावरण विज्ञान पर्यावरण की प्रणालियों को एक एकीकृत, मात्रात्मक एवं अंतरविषयीय दृष्टिकोण देता है। पर्यावरण पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के लिए जीवन का एक श्रेष्ठ स्रोत रहा है। चाहे वह भोजन, घर, कपड़े, जल, सूर्य का प्रकाश, वायु हो या जीवन को समर्थन देने वाला कोई अन्य पदार्थ, सब कुछ हमें पर्यावरण ही देता है, तथापि, तीव्र गति से हो रहे शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण ने हमारे पर्यावरण के संतुलन को बुरी तरह से प्रभावित एवं नष्ट किया है, जिसके परिणाम स्वरूप अव्यवस्थित वृद्धि एवं विकास हुआ है। यद्यपि यह विकास हमारे लिए अस्थायी रूप से लाभप्रद रहा है, किंतु भविष्य में यह हमारे लिए खतरनाक सिद्ध होगा इसके कारण अब यह बहुत अनुभव किया जा रहा है कि पर्यावरण तथा इसके अमूल्य पदार्थों या घटकों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखा जाए और ऐसे प्रयास भी किए जा रहे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों या पर्यावरण वैज्ञानिकों की यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि विकास की, पर्यावरण के अनुकूल कुछ प्रणालियां तैयार करें। विकास व्यवस्था को, पर्यावरण को किसी भी रूप में हानि पहुचाएं बिना, चालू रखने के लिए पनप रही जागरूकता अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राज्य तथा स्थानीय आदि सभी स्तरों पर देखी जा सकती है, किंतु यदि ऐसा किंचित संभव हो अथवा नहीं, यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसका उत्तर केवल पर्यावरणविदों को ही देना है। अपने को सुरक्षित बनाए रखने के लिए, अनुसंधान संस्थान परिस्थितियों के अनुकूल पद्धत्तियों या प्रौद्योगिकियों का विकास करने में निरंतर प्रयासरत हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कार्यों में पर्यावरण के अनुकूल पद्धतियां अपना रही हैं। इसलिए पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र में व्यापक तथा विविध प्रकार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।

वायु शुद्ध करने, शोर उपशमन, जल संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, कूड़ा प्रबंधन आदि के कार्य के लिए नई सेवाओं और सामान की आवश्यकता है और इन सेवाओं ने रोजगार के असीम अवसर सृजित किए हैं पर्यावरण विज्ञान में कॅरिअर पर्यावरण वैज्ञानिकों, पर्यावरण इंजीनियरों, पर्यावरण मॉडलों, पर्यावरण जीवविज्ञानियों, पर्यावरण पत्रकारों तथा कई अन्य व्यक्तियों को रोजगार के अद्भुत अवसर देता है।

पर्यावरण विज्ञान मूल रूप से ऊर्जा संरक्षण, जैव वैविध्य, जलवायु परिवर्तन, भूजल तथा मृदा संदूषण तथा वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, वाहन- प्रदूषण तथा प्लास्टिक जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की गई कई प्रौद्योगिकियों का अध्ययन है। हाल ही में पर्यावरण विज्ञान करियर के एक क्षेत्र के रूप में उभरा है, क्योंकि पर्यावरण को स्वच्छ तथा सुरक्षित बनाए रखने के बारे में पूरा विश्व अधिक जागरूक हुआ है अपने पर्यावरण की सुरक्षा तथा संरक्षण का मामला व्यापक सीमा तक फैला है। पर्यावरण विज्ञान, पारिस्थितिकी विज्ञान, पर्यावरण प्रौद्योगिकी आदि जैसे किसी विशेषज्ञतापूर्ण विषय की आवश्यकता है पर्यावरण-शिक्षा एक ऐसा उपाय है जिससे पर्यावरण संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। पर्यावरण शिक्षा का सर्वप्रथम उल्लेख वर्ष 1977 में टिबिल्सी जोर्जिया गणराज्य में आयोजित किए गए स्टॉकहोम पर्यावरण शिक्षा सम्मेलन में किया गया था। यहां भारत सहित अनेक देशों में पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्रमों को लागू करने के लिए अनेक दिशानिदेशक सिद्धांत निर्धारित किए गए थे। 1980 से भारतीय विश्वविद्यालयों में पर्यावरण से जुड़े कई कार्यक्रम प्रारंभ किए गए थे और कई स्थानों पर पर्यावरण विज्ञान के अध्ययन के लिए अलग विभाग भी स्थापित किए गए थे।

पर्यावरण वैज्ञानिक वैकल्पिक ऊर्जा प्रणालियों, प्रदूषण नियंत्रण तथा उपशमन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तथा विश्व जलवायु परिवतर्नन जैसे तथ्यों का मूल्यांकन करते हुए भू-प्रक्रियाओं को समझने जैसे विषयों पर कार्य करते हैं। पर्यावरण के मामलों में प्रायः भौतिकीय, रासायनिक तथा जैविकीय प्रक्रियाओं की एक अंतःक्रिया हमेशा शामिल होती है। पर्यावरण वैज्ञानिक पर्यावरण की समस्याओं के विश्लेषण में एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण लाते हैं। किसी प्रभावी पर्यावरण वैज्ञानिक के मुख्य गुणों में स्थान तथा समय के संबंधों को जोड़ने और मात्रात्मक विश्लेषण करने की क्षमता निहित होती है ।

व्यक्तिगत गुण


चूंकि पर्यावरण विज्ञान कार्यक्रम बहुविषयीय एवं प्रकृति के अनुरूप होते हैं, इसलिए उनके लिए विषय पर व्यापक ज्ञान होना आवश्यक होता है। पर्यावरण विज्ञान में करियर बनाने के लिए एक प्रबल अभिरुचि तथा इच्छा होनी चाहिए। किसी भी व्यक्ति में सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा पर्यावरण से जुड़े मामलों में रुचि भी होनी चाहिए। पर्यावरण विज्ञान में कॅरिअर बनाने के इच्छुक व्यक्ति स्वयं पहल करने वाले हैं और उनमें टीम के साथ कार्य करने या टीम का नेतृत्व करने की क्षमता होनी चाहिए।

पाठ्यक्रम एवं पात्रता


भारत में कई संस्थान तथा कॉलेज, आज कल पर्यावरण विज्ञान में अधिस्नातक एवं स्नातकोत्तर – दोनों कार्यक्रम चला रहे हैं, कोई भी व्यक्ति पर्यावरण विज्ञान में बी.एससी या बी.ई. डिग्री कर सकता है। इसके लिए न्यूनतम योग्यता अपेक्षा विज्ञान विषयों के साथ बारहवीं कक्षा है। आप पर्यावरण विज्ञान में एम.एससी. जैसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं। इस पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष है और इस संबंध में न्यूनतम पात्रता मानदण्ड पर्यावरण विज्ञान या विज्ञान से संबंधित किसी अन्य विषय में बी.एस.सी. डिग्री है। कुछ संस्थान पर्यावरण विज्ञान में 2 वर्षीय एम.टेक. कार्यक्रम भी चलाते हैं, जिसके लिए केवल बी.टेक. या बी.ई. छात्र ही पात्र होते हैं। इन पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त, पर्यावरण विज्ञान तथा पर्यावरण प्रबंधक में अल्पकालीन स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम भी है। छात्र पर्यावरण विज्ञान में एम.फिल. तथा पीएच.डी. जैसे डॉक्टोरल या डॉक्टरोत्तर कार्यक्रम भी कर सकते हैं।

कॅरिअर की संभावनाएं


एक कॅरिअर के रूप में पर्यावरण विज्ञान रोजगार के अनेक अवसर देता है। ‘पर्यावरण विज्ञान’ शब्द स्वयं में पर्यावरण की सुरक्षा के कई कार्य संजोए हुए है। यह पर्यावरण वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों, पर्यावरण जीवविज्ञानियों, पर्यावरण मॉडलरों, पर्यावरण इंजीनियरों तथा पर्यावरण पत्रकारों के लिए रोजगार के अनेक अवसर सृजित करता है। पर्यावरण विज्ञान में मास्टर या डॉक्टर डिग्रीधारी व्यक्ति अपने ज्ञान तथा अनुभव के अनुसार कोई अच्छा पद/रोजगार प्राप्त कर सकता है। निम्नलिखित विभागों/संगठनों में उनकी आवश्यकता होती हैः-

राष्ट्रीय स्तर के विभाग/संगठन


• उद्योग, मद्य निर्माणशालाएं, उर्वरक संयंत्र, खान, रिफाइनरी, वस्त्र मिल आदि
• सामाजिक विकास
• अनुसंधान एवं विकास
• वन एवं वन्य जीव प्रबंधन
• गैर-सरकारी संगठन
• प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
• शहरी योजना
• जल संसाधन एवं कृषि
• सार्वजनिक संस्थाएं तथा निजी उद्योग एवं फर्में
• कॉलेज तथा विश्वविद्यालय
• पर्यावरण एवं वन मंत्रालय

अंतर्राष्ट्रीय संगठन


• ये संगठन पर्यावरण प्रबंधन एवं संरक्षण प्रयासों में रत हैं
• जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतः सरकारी पैनल (आई.पी.सी.सी.)
• संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यू.एन.ई.पी.)
• भू-प्रणाली शासन परियोजना
• दूतावास तथा पर्यावरण से जुड़े अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन

भारत में कुछ पर्यावरण विज्ञान संस्थान


• उद्योग,
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश
• जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय, दिल्ली
• दिल्ली इंजीनियरिंग महाविद्यालय, दिल्ली
• पर्यावरण जीवविज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
• गुरु गोविंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली
• जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू.) पर्यावरण विज्ञान विद्यालय, नई दिल्ली
• पूर्वांचल विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश
• दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
• जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तर प्रदेश
• चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ
• गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तर प्रदेश
• बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा, उत्तर प्रदेश
• अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद-224001, उत्तर प्रदेश
• गुरु जांभेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा
• जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू, जम्मू-कश्मीर
• बाबा साहेब बी.आर. आंबेड़कर विश्वविद्यालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
• बी.आर. आंबेड़कर मराठवाड़ा, विश्वविद्यालय, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
• अन्ना विश्वविद्यालय, ग्विंडी, चेन्नै, तमिलनाडु
• मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नै, तमिलनाडु
• राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, राजस्थान
• तमिलनाडु पशु-चिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय, चेन्नै, तमिलनाडु
• तमिलनाडु जी.डी. कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बत्तूर
• मैसूर विश्वविद्यालय, मैसूर
• पुणे विश्वविद्यालय, पुणे
• विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ए.आई.टी., चिकमगलूर

(उक्त सूची उदाहरण मात्र है)

लेखिका एन.ए.आई.पी., पी.आई.यू., भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अ.प.), पूसा, नई दिल्ली-110012 में अनुसंधान एसोशिएट हैं ई.मेल आई.डी.: mamta_nagpur 2005@yahoo.co.in