पृथ्वी के पहरेदार

Submitted by editorial on Sat, 06/23/2018 - 18:20
Source
दैनिक जागरण, 10 जून, 2018

प्लॉगिंगप्लॉगिंग प्लॉगिंग यानी जंगल में ट्रैकिंग के लिये जाना और ढेर सारी यादों के साथ ही वहाँ पसरे कचरे को भी अपने साथ लाना। इसका चलन भारत में बढ़ रहा है और जैकब चेरियन ने इस तरह का कैम्प और फेसबुक पेज बनाकर कई लोगों को राह दिखाई है…

क्या आपने स्कैंडिनेविया में प्रचलित शब्द ‘प्लॉगिंग’ के बारे में सुना है? यह टर्म वर्ष 2018 के फिटनेस ट्रेंड्स में शुमार किया जा रहा है। पूरी दुनिया ‘प्लॉगिंग’ को अपना रही है। इसका अर्थ बहुत सरल है, जब आप जॉगिंग पर निकलते हैं तो रास्ते में जो भी कूड़ा या कचरा मिले, उसे इकट्ठा कर लीजिए। इस तरह आप अपनी सेहत के लिये मेहनत करते हुए प्रकृति की सेहत के लिये भी काम करेंगे।

कचरा बटोरते चलो

आजकल शहरों में रहने वाले लोग अपनी जिन्दगी में तनाव और एकरसता का अनुभव करने लगते हैं और इससे उबरने के लिये वे जंगल या प्रकृति के समीप जाते हैं। दिनों-दिन यह संख्या बढ़ती जा रही है और उसी का असर है कि आप जंगल में दूर तक जाएँगे तो आपको प्लास्टिक की खाली बोतलें, रैपर और अन्य कचरा मिल जाएगा। इस तरह का जल्दी अपघटित न होने वाला कचरा बढ़ता ही जा रहा है। मगर कोई समस्या है तो उसका समाधान भी है और लोगों ने प्रकृति में जमा होते इस कचरे को कम करने की तरकीबें खोज ली हैं।

बंगलुरु के जैकब चेरियन भी इन्हीं में से एक हैं। वे डिजिटल इंटरप्रेन्योर हैं, प्रकृति प्रेमी और ट्रैवलिंग के शौकीन भी। जब भी वे जंगल में जाते हैं तो लौटते हुए अपने साथ बहुत सारा कचरा ले आते हैं। उनका घर कोडाईकनाल की पहाड़ियों में है और उन्होंने इस जगह को इस तरह बनाया है कि वहाँ प्रकृति को महसूस करते हुए कैम्पिंग और अन्य गतिविधियों का आनन्द लिया जा सके। वे अपने साथ-साथ दूसरे लोगों को भी ‘प्लॉगिंग’ करवा रहे हैं।

एक बार आकर तो देखें

जैकब बताते हैं, “जब भी मैं ट्रैक के लिये जाता हूँ तो प्लास्टिक के कचरे को अपने साथ ले आता हूँ और यह मैं नियमित रूप से करता हूँ। मैं अपनी ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी पोस्ट करता हूँ, जिसका मकसद खुद श्रेय लेना नहीं बल्कि दूसरों को प्रेरित करना है। कई लोग मेरे इस मिशन में जुड़ने की इच्छा जताते हैं। खास ये नहीं है कि वे जुड़ने की इच्छा रखते हैं, बल्कि सबसे महत्त्वपूर्ण तो यह है कि उनके पास इस तरह का विचार पहुँचता है। जब मैंने देखा कि ‘प्लॉगिंग’ का चलन बढ़ रहा है तो मैंने कोडाईकनाल में भी ऐसी ही एक ड्राइव चलाने के बारे में सोचा। मैं लोगों को सिर्फ कचरा बीनने के लिये नहीं आमंत्रित करता बल्कि उन्हें कहता हूँ कि वो मेरे घर आकर पहाड़ों के बीच रहने का आनन्द भी पाएँ।”

बन रहा है कारवाँ

मूलतः केरल निवासी जैकब जब पहली बार ऐसी ट्रिप पर गये तो लौटकर उन्होंने ‘द प्लॉगिंग पार्टी’ फेसबुक पेज भी बना दिया। वो लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि जंगल की अपनी यात्राओं के दौरान वहाँ का कचरा उठा लाओ। वे मानते हैं कि यह कचरा कुछ नादान यात्री ही वहाँ फैला आए हैं और उसे वहाँ से वापस लाना ही चाहिए। जैकब कहते हैं, “मैं उन स्थानीय और शहरी बाशिंदों को प्रेरित करना चाहता हूँ जो इस तरह के कचरे को साफ करने में भरोसा रखते हैं। दरअसल, हम भारतीयों के लिये दूसरों का कचरा साफ करना बहुत मुश्किल है। ‘प्लॉगिंग’ का उद्देश्य ऐसे लोगों को सफाई के महत्त्व से रूबरू कराना है।”