पटरी

Submitted by Hindi on Sat, 08/20/2011 - 16:29
पटरी, सड़क की सड़क की पटरी को अंग्रेजी में रोडबर्म (Road berm) या शोल्डर (Shoulder) अर्थात्‌ कंधा भी कहते हैं। पटरी सड़क का वह भाग है, जो बीच के पक्के खंड के बाहरी किनारे और नाली या ढाल के भीतरी किनारे के बीच स्थित होता है। यह पटरी सड़क के मध्य पक्के भाग के (जिसे उत्तरी भारत में पक्का गोला भी कहते हैं) किनारे को स्थिरता और गाड़ियों के खड़े होने या एक दूसरे से आगे निकलने के लिये स्थान प्रदान करती है। अच्छी बनी और संभाली हुई पटरियाँ सड़क के बहन सामर्थ्य को बढ़ाती है और दुर्घटनाओं की संभावना को भी कम करती है।

उपयुक्त चौड़ाई की पटरी अच्छी सड़क के निर्माण में आवश्यक मानी जाती है। सड़क के महत्व या यातायात की अधिकता के अनुसार पटरी की चौड़ाई दो मीटर से तीन मीटर तक रखी जाती है। सामान्यता जहाँ सड़क भराई से तीन मीटर तक रखी जाती है। सामान्यतया जहाँ सड़क भराई में ही वहाँ पटरी सड़क की कटाई में होने की अपेक्षा अधिक चौड़ी होती है। पटरी को चौड़ाई के भीतर पेड़, सावधानी पट्ट, मील पत्थर अथवा यातायात संकेत आदि कोई रुकावट नहीं रहनी चाहिए।

यातायात की सुरक्षा के लिये यह आवश्यक है कि पटरियाँ ऐसी बनाई जाएँ कि वह साथ के पक्के गोले से स्पष्ट अलग दिखाई पड़ें पटरियाँ सब मौसम में स्थायी रहनेवाली बनानी चाहिए। चिकनी और पक्की पटरी होने से पक्के गोले का पूरा उपयोग होता है विशेषकर जब यातायात अत्यधिक और विशेष वेगवान्‌ हो। सभी मौसमों में स्थायी होने के लिये पटरियाँ कंकरीली मिट्टी, दृढ़ीकृत मिट्टी, स्टैबिलाइज़्ड सॉएल (stabilised soil), बजरी, कंकड़ या मूरम (moorum) से बनाई जाती हैं और उनपर कभी कभी कोलतार या बिटुमन बिछा दिया जाता है।

घनी आबादी के बड़े नगरों में पटरी को पक्के गोले से कुछ ऊँचा और पक्का बनाया जाता है। तब उसे अंग्रेजी में पेवमेंट (Pavement) भी कहा जाता है।(जगदीश मिऋ त्रेहन)

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संदर्भ
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