हमारे अहम सतही जलस्रोतों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब इस्तेमाल करने के ल्रायक नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अलग अलग राज्यों की प्रदूषण निगरानी एजेंसियों के 208 में किये विश्लेषण ने इसकी पुष्टि की है। साल 205 में वाटर ऐड की एक रिपोर्ट जारी हुई थी, जो शहरी विकास मंत्रालय, जनगणना
2011 और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर आधारित थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सतही पानी का 80 प्रतिशत हिस्सा प्रदूषित है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 201 8 की रिपोर्ट के मुताबिक 36 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में से 3 में नदियों का प्रवाह प्रदूषित है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 53 प्रदूषित प्रवाह हैं। इसके बाद असम, मध्यप्रदेश, केरल, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड, मिजोरम, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना,मेघालय, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, तमिलनाडु, नागालैंड, बिहार, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, सिक्किम, पंजाब, राजस्थान,
पुडुचेरी, हरियाणा और दिल्ली का नंबर आता है।
2015 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि 275 नदियों के 302 प्रवाह प्रदूषित हैं जबकि साल 2018 की रिपोर्ट में 323 नदियों के 35। प्रवाह के प्रदूषित होने का जिक्र है
पिछले तीन सालों में देखा गया है कि खतरनाक रूप से प्रदूषित 45 प्रवाह ऐसे हैं, जहां के पानी की गुणवत्ता बेहद खराब है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अधिसूचित किया कि नदियों में छोड़े जाने वाले परिशोधित गंदे पानी की गुणवत्ता काफी खराब है और इसमें बोयोक्रॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी बीओडी (बीओडी प्रदूषण को मापने का एक पैमाना है) की मात्रा प्रति लीटर 30 मिलीग्राम है। एक लीटर पानी में 30 मिलीग्राम से अधिक बीओडी को पानी की गुणवत्ता बेहद खराब होने का संकेत माना जाता है।
कोविड माहामारी के चलते भारत सरकार की तरफ से लागू किए गए लाकडाउन से गंगा और यमुना जैसी नदियों की गुणवत्ता पर पड़े प्रभावों को जानना भी दिलचस्प है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लॉकडाउन से पहले (5 से 2 मार्च) व ल्रॉकडाउन के दौरान (22 मार्च से 5 अप्रैल) गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता का विश्लेषण किया,जिसमें साफ तौर पर पता चला कि लॉकडाउन से इस पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके विपरीत यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता में लॉकडाउन के दौरान मामूली सुधार हुआ, हालांकि नदी प्रदूषित ही रही है ।
हमारी नदियां मर रही हैं | नदियों पर न केवल प्रदूषण बल्कि इसके रास्ते में बदलाव, खत्म होती जैवविविधता, बालू खनन और कैचमेंट एरिया के खत्म होने का भी असर पड़ा है।