लद्दाख पर्वत श्रृंखला में अन्य झील है-राक्षस ताल। यह यमद्राक में 870 वर्ग कि.मी. गुन्चू में 100 वर्ग कि.मी. तथा जिगू में 130 वर्ग कि.मी. के आयतन से 360 कि.मी. में फैली हुई है। कैलाश पर्वत के बायीं ओर स्थित इस झील के बारे में कहा जाता है कि इसका पानी विषैला था तथा इसे कोई नहीं पीता था, लेकिन एक बार मानसरोवर से एक मछली इसमें कूद गई तबसे इसका जल पीने योग्य हो गया।
यह भी जन-श्रुति है कि राक्षस ताल मानसरोवर का ही भाग है और बीच में टापू उभर आने की वजह से दो पट्टियों में विभाजित हो गया है।
कहा जाता है राक्षस ताल वह स्थान है जहां राजा रखला ने खड़े होकर भगवान शिव की अराधना की थी। किंवदंती है राक्षस ताल और मानसरोवर ताल का जल कभी जमता नहीं, क्योंकि इसके नीचे गरम जल के स्रोत हैं।
यह भी जन-श्रुति है कि राक्षस ताल मानसरोवर का ही भाग है और बीच में टापू उभर आने की वजह से दो पट्टियों में विभाजित हो गया है।
कहा जाता है राक्षस ताल वह स्थान है जहां राजा रखला ने खड़े होकर भगवान शिव की अराधना की थी। किंवदंती है राक्षस ताल और मानसरोवर ताल का जल कभी जमता नहीं, क्योंकि इसके नीचे गरम जल के स्रोत हैं।
Hindi Title
राक्षस ताल
अन्य स्रोतों से
संदर्भ
1 - प्रकाशन विभाग की पुस्तक - हमारी झीलें और नदियां - लेखक - राजेन्द्र मिलन - पृष्ठ
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