रंजक, प्राकृतिक (Natural dyes)

Submitted by Hindi on Mon, 08/22/2011 - 13:05
रंजक, प्राकृतिक (Natural dyes) प्राचीन काल से ही मनुष्य रंगीन फूल, फल, पत्ते तथा अन्य रंगीन प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग अभिरंजन (stains) के लिए करता आ रहा है। अनुभव से बहुत से वर्णक प्राप्त हुए, जो पानी में अविलेय तथा प्रकाश से नष्ट होनेवाले न थे। इस युग में प्राकृतिक रंजकों का उपयोग नाम मात्र को रह गया है। कुछ महत्वपूर्ण प्राकृतिक रंजक निम्नलिखित हैं:

लॉगवुड (Log Wood)- यह लाल रंजक है, जो हीमेटॉक्सिलोन कॉम्पिशियानम (Haematoxilon Compechianum) नामक वृक्ष (मेक्सिको, मध्य अमरीका तथा पश्चिमी द्वीपसमूह में प्राप्त) के निष्कर्ष से प्राप्त होता है। भिन्न भिन्न रंगबंधकों (mordants) से भूरा, रक्तभूरा, नीला-काला तथा काला लाक्षक (lakes) प्राप्त होता है। ये लाक्षक पानी में अविलेय हैं, पर कड़े प्रकाश से धूमिल पड़ जाते हैं।

मंजीठ या मैडर (madder)- रुबिया टिंक्टोरम (Rubiatinctorum) नामक पौधे की जड़ से प्राप्त होता है। वर्णक में मुख्य रसायन ऐलिज़ारीन (alizarin) के साथ साथ कुछ परप्यूरिन (purpurin) भी होता है। घर्षित जड़ का किण्वन तथा जलअपघटन तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के द्वारा होता है। इससे निष्कर्ष प्राप्त होता है। यह स्वच्छ चटकीला लाल रंग देता है। प्राकृतिक रंजकों में यह बहुत पक्का तथा स्थायी होता है।

कत्था या कैटेचु (Catechu)- इसका प्रयोग कुछ विशेष सूती कपड़ों के रँगने में होता है। कपड़े को निष्कर्ष में उबालकर तनु सोडियम डाइक्रोमेट (sodium dichromate) विलयन में डालते हैं। रंग पक्का होता है, जो प्रकाश और मौसम से धूमिल नहीं पड़ता।

नील (Indigo)- इंडिगोफेरा टिंक्टोरिया (Indigofera tinctoria) नामक पौधे से, भारत, चीन तथा मध्य अमरीका में प्राप्त होता है। रंग स्थायी तथा पक्का होता है।

लाख रंजक (Lac dye)- यह भारत तथा बर्मां में कोकस लाका (Coccus Lacca) नामक कृमि से प्राप्त होता है। स्रवित पदार्थ से सोडियम कार्बोनेट के साथ लाल रंजक प्राप्त होता है और फिटकरी के संयोग से लाक्षक का निर्माण होता है। इसका रंग बहुत पक्का होता है।

किरमिज (Cochineal)- यह रंजक एक कीड़े से प्राप्त होता है।

इसी प्रकार के प्राकृतिक रंजकों में क्वरसिट्रन (Quercitron) किरमिज़ी रंजक (Cochineal), फुस्टिक (Fustic), टाइरियन पर्पल (Tyrian purple) तथा परसियन बेरींज़ (Persian Beries) का उल्लेख किया जा सकता है।

सं.ग्रं. एफ. मेयर ऐंड ए.एच. कूक : दि केमिस्ट्री ऑव नैचुरल कलरिंग मैटर; रेहोल्ड पब्लिशिंग कॉरपोरेशन, न्यूयॉर्क। (शिवमोहन वर्मा)

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