जनन
जीव से अपने समान नव जीव की उत्पत्ति। जनन मुख्यतः दो प्रकार का होता है।
1. लैंगिकजनन (सेक्शुअल रिप्रोडक्शन)
2. अलैंगिक जनन (एसेक्सुअल रिप्रोडक्शन)
लैंगिक जनन दो प्रकार के युग्मकों के मिलन से होता है। कुछ निम्न कोटि के पादपों में ऊपरी तौर से युग्मकों में लिंग भेद नहीं होता। अलैंगिक जनन दो प्रकार से हो सकता हैः
1.कायिक 2. अलैंगिक बीजाणु द्वारा।
कायिक जनन पौधे के किसी साधारण अथवा रूपांतरित अंग के पृथककरण से और अलैंगिक बीजाणु-जनन बीजाणु के अंकुरण से संपन्न होता है।
जीव से अपने समान नव जीव की उत्पत्ति। जनन मुख्यतः दो प्रकार का होता है।
1. लैंगिकजनन (सेक्शुअल रिप्रोडक्शन)
2. अलैंगिक जनन (एसेक्सुअल रिप्रोडक्शन)
लैंगिक जनन दो प्रकार के युग्मकों के मिलन से होता है। कुछ निम्न कोटि के पादपों में ऊपरी तौर से युग्मकों में लिंग भेद नहीं होता। अलैंगिक जनन दो प्रकार से हो सकता हैः
1.कायिक 2. अलैंगिक बीजाणु द्वारा।
कायिक जनन पौधे के किसी साधारण अथवा रूपांतरित अंग के पृथककरण से और अलैंगिक बीजाणु-जनन बीजाणु के अंकुरण से संपन्न होता है।