साफ पानी का सपना

Submitted by editorial on Mon, 06/18/2018 - 12:39
Source
डाउन टू अर्थ, जून, 2018

जल संकटजल संकट गैर लाभकारी अन्तरराष्ट्रीय संगठन वाटरऐड के अनुसार, भारत उन देशों की सूची में पहले स्थान पर है जहाँ लोगों के घरों के पास साफ पानी की व्यवस्था सबसे कम है। इथियोपिया और नाइजीरिया ने हमसे बेहतर प्रदर्शन किया है। यह हालात तब हैं जब भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जिसने लोगों तक पानी पहुँचाने में काफी सुधार किया है।

भारत भूमिगत जल-स्तर के नीचे जाने, सूखे, कृषि और उद्योग की ओर से पानी की माँग, प्रदूषण और गलत जल प्रबन्धन जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह चुनौती जलवायु परिवर्तन के कारण अतिशय मौसम की घटनाओं से और बढ़ेगी। नवम्बर 2017 को भारत सरकार ने अपने ग्रामीण जल कार्यक्रम को संशोधित किया था ताकि 90 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक 2022 तक पाइपलाइन के जरिए पानी पहुँचाया जा सके। लेकिन अगर पिछले अनुभव पर नजर डालें तो हम पाएँगे कि यह लक्ष्य हासिल करना बेहद मुश्किल है।

भारत में करीब 47.4 मिलियन ग्रामीण आबादी साफ पानी से वंचित है। कुछ समय पहले तक भूमिगत जल में मिलने वाले प्रदूषक मसलन, फ्लोराइड, आर्सेनिक, आयरन, हेवी मेटल, खारापन और नाइट्रेट स्वास्थ्य को चुनौती पेश कर रहे थे। लेकिन अब खतरा और बढ़ गया है क्योंकि भूमिगत जल में 10 ऐसे नये प्रदूषक मिले हैं जो स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। इन प्रदूषकों में मैंगनीज, कॉपर, एल्युमिनियम, मरकरी, यूरेनियम, लेड, कैडमियम, क्रोमियम, सिलेनियम और जिंक शामिल हैं। ज्यादातर प्रदूषक पंजाब के भूमिगत जल में मौजूद हैं। ग्रामीण रिहाइश जो प्रदूषकों से सबसे अधिक प्रभावित है, उनमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। राजस्थान की 19,657 रिहाइश में प्रदूषक पाए गए हैं। पश्चिम बंगाल की 17,650, असम की 11,019, पंजाब की 3,526 रिहाइश में फ्लोराइड, आर्सेनिक, आयरन, खारापन, नाइट्रेट और हेवी मेटल्स मिले हैं। साफ पानी का विकल्प न होने के कारण लोग प्रदूषित जल पीने को अभिशप्त हैं।

भूजल प्रदूषण

भारत में 70,776 ग्रामीण रिहाइश यानी करीब 47.4 मिलियन आबादी दूषित भूमिगत जल पर निर्भर है। एक चिंता की बात यह भी है कि देश में 10 नए प्रदूषक मिले हैं जो भूमिगत जल की गुणवत्ता को और खराब करेंगे। सरकार ने 90 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक पाइप के जरिए 2022 तक पानी पहुँचाने का लक्ष्य तय किया है लेकिन इसे प्राप्त करना बेहद मुश्किल है।