शार्क

Submitted by Hindi on Fri, 08/26/2011 - 15:37
शार्क सिलैकिआई (Selachii) उपवर्ग की उपास्थियुक्त मछलियाँ हैं, जो संसार के सभी समुद्रों में पाई जाती हैं। कंकाल में अस्थि की अनुपस्थिति तथा शिर के पिछले भाग में प्रत्येक ओर पाँच से सात गिलछिद्र, इनके अस्थिल मछलियों से अलग करते हैं। इन मछलियों में वायुआशय (air bladder) भी नहीं होता।

प्ररूपी शार्क मछलियाँ क्रियाशील तथा मछलियों को खानेवाली होती हैं और सामान्यत: नीले या हरे रंग की होती हैं। इनकी त्वचा छोटे छोटे पट्टाभ शल्कों (placoid scales) से ढँकी होने के कारण खुरदरी होती है। इनका शरीर साधारण मछलियों के आकार का होता है। प्रोथ (snout) नुकीला होता है तथा धन्वाकार मुँह शिर के निचले भाग में होता है। दाँत त्रिकोणीय होते हैं तथा पूँछ का पिछला सिरा ऊपर की ओर मुड़ा रहता है। कुछ बड़ी शार्क मछलियों के दाँत, जो प्लवकों (plankton) को खाती हैं, छोटे छोटे होते हैं। समुद्रतल पर पाए जानेवाले शार्कों का मुँह अनुप्रस्थ होता है और इनके दाँत छोटे तथा नोकदार होते हैं। शार्क में कर्तन, छेदन तथा पीसनेवाले दाँत भी होते हैं।

शिकार को खोजने के लिए, इनकी घ्राण इंद्रिय विशेष रूप से विकसित होती है। कुछ शार्क अंडे देते हैं, परंतु अधिकांश सजीवप्रजक (viviparous) होते हैं। शार्क में आंतरनिषेचन (internal fertilization) होता है।

सबसे बड़ा एवं अघातक शार्क, जिसे ह्वेल शार्क (Whale shark) कहते हैं, 50 फुट से भी अधिक लंबा होता है। सौभाग्य से यह मनुष्यों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है, क्योंकि इसका प्रमुख भोजन समुद्री जीव तथा पौधे होते हैं। यह सबसे बड़ी ज्ञात मछली है। ह्वेल (Whale), जो मछली के आकार का होता है, वास्तव में मछली नहीं है। यह स्तनपायी वर्ग का एक जंतु है।बास्किंग शार्क (Basking shark) दूसरा अघातक शार्क है। यह आर्कटिक महासागर में पाया जाता है। निस्तुषी शार्क (Thresher shark) लगभग 15 फुट लंबा होता है। इसकी पूँछ विशेष रूप से लंबी होती है। यह भी अघातक शार्क है तथा समुद्री जल में यह हेरिंग (Herring) तथा मैक्रेल (Mackrel) मछलियों के समूहों का पीछा करते हुए पाया जाता है।

बड़े शार्कों में एक, सक्रिय एवं बहुभोजी शार्क, सफेद शार्क है। इसकी लंबाई 40 फुट तक हो सकती हैं, परंतु बहुधा इतना बड़ा सफेद शार्क नहीं पाया जाता। साधारणत: पाए जानेवाले सफेद शार्कों की लंबाई 20 से 30 फुट होती है। यद्यपि इसे सफेद शार्क कहा जाता है, परंतु इसका रंग राख के रंग का होता है। इसकी निचली सतह केवल सफेद होती है। यह मानवभक्षी शार्क गरम समुद्रों में पाया जाता है तथा कभी कभी ही ठंढे जल में प्रवेश करता है। अन्य मानवभक्षी शार्क हैं : व्याघ शार्क (Tiger shark), अयोधन शिर शार्क (Hammer headed shark) रेत शार्क (Sand shark) आदि।

एक अन्य प्रकार का शार्क, जिसे डॉग फिश (Dog fish) कहते हैं, आकार में तो छोटा होता है, परंतु यह मछुओं के कार्य में विशेष व्यवधान उपस्थित करता है। आरा शार्क (Saw shark) इंडोपैसिफिक सागर में पाया जाता है। इसका प्रोथ आगे की ओर बढ़कर एक चौरस फलक बना देता है, जिसके दोनों ओर क्रम से दांत लगे रहते हैं।

केवल कुछ शार्क ही मानव खाद्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इनके सूखे पखों से चीन में जिलेटिन बनाया जाता है। शार्क चर्म का उपयोग लकड़ी के बने सामानों को चिकना करने तथा जूता बनाने में भी किया जाता है। शार्कों का एक विशेष महत्व उनके यकृत में पाए जानेवाले तेल के कारण है, जिसमें विटामिन ए की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसका व्यापारिक नाम 'शार्क लिवर ऑयल' है। शार्क से सरेस तथा उर्वरक भी तैयार किया जाता है। (नंद कुमार राय.)

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