स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की कायाकल्प पहल 2015 में सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में केन्द्र सरकार के संस्थानों और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में बुनियादी ढांचे में सुधार, स्वच्छता व स्वास्थ्यकारिता और संक्रमण नियंत्रण कार्यों में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
महात्मा और स्वच्छता
राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी सार्वजनिक और निजी स्वच्छता के प्रति चिंतित थे। दक्षिण अफ्रीका में बिताए दिनों के बाद से ही यह उनके सत्याग्रह अभियान का हिस्सा था। गांधी जी के लिए, समाज में स्वच्छता के लिए अभियान एक जाति विहीन और मुक्त समाज बनाने की प्रक्रिया का अभिन्न अंग था। उन्होंने स्वच्छता को व्यक्तिगत जिम्मेदारी बनाने और इसे अस्पृश्यता को दूर करने की कुंजी मानने के अपने विचार को दोहराते हुए कहा था, ‘हर कोई अपना स्वयं का मेहतर है’। गांधी जी जब दक्षिण अफ्रीका में थे तभी से उन्होंने अपनी साफ सफाई का काम स्वयं करना शुरू कर दिया था और भारतीयों को भी सलाह दी थी कि वे अपना शौचालय साफ और सूखा रखें। वे जब भारत लौटे, तो उन्होंने दृढ़ता से भारतीयों के लिए स्वच्छता और उन्हें स्वच्छता के प्रति शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि ‘मेहतर का काम भारत में हमारा विशेष कार्य होना चाहिए।’ गांधी जी ने स्वच्छ पानी तथा हवा और खुले में शौच की समस्या से निपटने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने हमेशा कहा, ‘स्वराज की शुरुआत हमारी गलियों से होनी चाहिए।’
गांधी जी ने कहा था, ‘स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्त्वपूर्ण है’। हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने स्वच्छता पर गांधी जी के विचारों से प्रेरणा ली और उनकी 145वीं जयंती पर, ‘स्वच्छ भारत अभियान’ या ‘स्वच्छ भारत मिशन’ शुरू किया। इस अभियान का उद्देश्य महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, 2 अक्टूबर, 2019 तक, 1.96 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 9 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके 4,041 वैधानिक शहरों और कस्बों में फैले खुले में शौच को खत्म करना था। इस अभियान को दो उप-मिशनों में वर्गीकृत किया गया है- स्वच्छ भारत अभियान (शहरी), जो आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) जो जल शक्ति मंत्रालय (पूर्व में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय) के तहत आता है। यह अभियान एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बन गया और प्रधानमंत्री ने प्रत्येक भारतीय से इसमें शामिल होने और अपने आस-पास सफाई रखने का आग्रह किया।
इस अक्टूबर में, जब हमने गांधी जी की 150 वीं जयंती और स्वच्छ भारत अभियान की पांचवी वर्षगांठ मनाई, तो प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को तभी साकार किया जा सकता है जब देश के 125 करोड़ लोग मिलकर इसके लिए प्रयास करें। यह अभियान सीधे राष्ट्र को आर्थिक स्थिति से जुड़ा हुआ है और इसकी कामयाबी न केवल देश के सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि में योगदान करेगी, बल्कि इससे जुड़े स्वास्थ सम्बन्धी मामलों पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी। स्वच्छ भारत अभियान अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा पाने वाला, देशव्यापी, दूरदर्शी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य भारत के प्रत्येक घर, गाँव और शहर में ‘स्वच्छता’ का संदेश फैलाता है।
इस राष्ट्रीय आन्दोलन में योगदान देने और स्वच्छता की बढ़ती चुनौतियों को दूर करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बहु-आयामी कार्यनीति अपनाई और स्वच्छता तथा स्वास्थ्य में सुधार के लिए कई पहल की। 2015 के बाद से, इसने विशेष रूप से स्वच्छता को अपने नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार लाने के अपने प्रयासों का केन्द्र बिंदु बनाया है। ये पहल अपने कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य संस्थानों और लोगों में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करती हैं और अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर इसे समग्रता से कार्यान्वित करती हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की कायाकल्प पहल 2015 में सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में केन्द्र सरकार के संस्थानों और सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में बुनियादी ढांचे में सुधार, स्वच्छता व स्वास्थ्यकारिता और संक्रमण नियंत्रण कार्यों में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। स्वास्थ्य सुविधाओं का आकलन कई मापदंडों के आधार पर किया जाता है, और हर साल प्रत्येक स्तर पर अधिकतम अंक पाने वाले संस्थानों को कायाकल्प पुरस्कार प्रदान कर मान्यता दी जाती है। इस पुरस्कार के तहत धनराशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। इस योजना से सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में स्वच्छता, स्वास्थ्यकारिता और संक्रमण-नियंत्रण कार्यों के स्तर में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है और इन्हें बढ़ावा देने के लिए आकलन और समीक्षा की संस्कृति विकसित हुई है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में ‘स्वच्छता’ का उद्देश्यपूर्ण आंकलन सुनिश्चित करने के लिए, सात विषयगत क्षेत्रों के तहत आंकलन किया जाता है। प्रशिक्षण न केवल आकलन करने के लिए बल्कि सही आचरण और कार्यान्वयन के लिए भी प्रदान किए जाते हैं। प्रशिक्षित आंकलनकर्ता अंतिम आंकलन करते हैं और चयनित अस्पतालों के लिए अंक निर्धारित करते हैं। कायाकल्प न केवल सार्वजनिक अस्पतालों तथा स्वास्थ्य संस्थानों को नया रूप देने में सक्षम है, बल्कि इसने लोगों की आदतों को बदलने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यह बदलाव आईसीटी-आधारित रोगी प्रतिक्रिया प्रणाली ‘मेरा अस्पताल’, के जरिए बताई गई ‘संतुष्ट’ रोगियों की संख्या से भली भांति परिलक्षित होता है।
कायाकल्प ने अपने पहले वर्ष में केवल जिला अस्पतालों (डीएच) का आकलन करके एक मामूली शुरुआत की। इसके बाद, तीन वर्षों के भीतर, सभी उपजिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (ग्रामीण और शहरी) को भी इसके दायरे में लाया गया है।
कायाकल्प में भाग लेने वाले स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। 700 जिला अस्पतालों की भागीदारी के साथ शुरू हुए इस कार्यक्रम में पिछले वित्त वर्ष में, लगभग 26,000 स्वास्थ्य संस्थानों ने भाग लिया। इस पहल के तहत न केवल भाग लेने वाले स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या कई गुना अधिक हो गई है, बल्कि 70 प्रतिशत (पासिंग मानदंड) या अधिक अंक प्राप्त करने वाले अस्पतालों या स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या भी पिछले कई वर्षों में कई गुना बढ़ गई है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के स्वास्थ्य संस्थानों की बड़ी भागीदारी के अलावा, तृतीय स्तर के स्वास्थ्य संस्थान भी उतने ही उत्साह के भाग लेते हैं। वर्ष 2015-16 में जहाँ इसमें 10 स्वास्थ्य संस्थानों ने भागीदारी की थी वहीं वर्ष 2018-19 में इसमें भाग लेने वाले केन्द्र सरकार के संस्थानों की संख्या बढ़ कर 24 हो गई है। एक कदम और आगे बढ़ाते हुए, कायाकल्प को वित्त वर्ष 2019-20 से अब आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) में भी शुरू किया गया है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि ‘स्वास्थ्य ग्राहकों, मरीजों की आवाज’को सुना जाए और वे जिस भी अस्पताल या स्वास्थ्य संस्थान में जाते हैं उनमें से प्रत्येक के बारे में उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त की जाए और ‘मेरा अस्पताल’ का डाटा जिला अस्पतालों के लिए कायाकल्प अंकों के साथ जोड़ दिया गया है।
वर्तमान वर्ष में, स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र और व्यापक सुधार के लिए, कायाकल्प योजना का विस्तार निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों तक किया गया है। भारतीय गुणवत्ता परिषद ने अपने घटक अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के जरिए निजी अस्पतालों में कायाकल्प आंकलन किया। यह आंकलन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा निर्धारित किए गए कायाकल्प दिशा-निर्देशों के अनुसार किए गए थे, जिसमें अस्पताल/ सुविधा रखरखाव, स्वच्छता और स्वास्थ्यकारिता, अपशिष्ट प्रबंधन, संक्रमण नियंत्रण, अस्पताल सहायता सेवाएं और स्वच्छता संवर्धन जैसे मापदंडों को शामिल किया गया था। भारतीय गुणवत्ता परिषद ने दो महीने की अवधि में देश भर के 653 निजी अस्पतालों में कायाकल्प आकलन किया। अस्पतालों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया था और 653 अस्पतालों में से 635 को कायाकल्प दिशानिर्देशों के अनुरूप पाया गया था।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने वंचित शहरी समुदायों मे स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और महिला आरोग्य समितियों के अन्तर्गत ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समितियों का भी इस्तेमाल किया है। कई राज्यों ने महिला आरोग्य समितियां और ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता तथा पोषण समितियों को प्रभावी बनाने के लिए अभिनव तरीके अपनाए हैं। मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) भी शौचालय निर्माण और उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समितियों के साथ मिलकर काम करती हैं। हाल ही में शहरी क्षेत्रों में मुख्य रूप से गरीब और कमजोर आबादी वाले इलाकों में लगभग 12 से 20 महिलाओं के सामुदायिक समूहों स महिला आरोग्य समितियों की स्थापना की गई है, और वे स्वच्छता सहित कई मुद्दों पर समुदायों को प्रेरित करने का काम कर रही हैं।
न केवल स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों या स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए अंतर-मंत्रालय सहयोग के लिए काम किया है। कायाकल्प के तहत हुई प्रगति का लाभ उठाते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय ने दिसम्बर 2016 में एक एकीकृत योजना, ‘स्वच्छ स्वस्थ सर्वत्र’ शुरू की। इस पहल के तहत, खुले में शौच से मुक्त ब्लॉक स्थित उन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं जिन्होंने अब तक कायाकल्प के मानदंडों को पूरा नहीं किया है। जल शक्ति मंत्रालय ने 2019 में कायाकल्प के तहत आन्ध्रप्रदेश, गुजरात, और कर्नाटक से तीन सर्वश्रेष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सम्मानित किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कायाकल्प और स्वच्छ भारत अभियान के तहत किए गए प्रयासों को मान्यता दी है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि लगभग सभी (97 प्रतिशत) जिला अस्पतालों में अब अपशिष्ट प्रबंधन किसी न किसी उपयुक्त तरीके से किया जाता है। स्वच्छ भार अभियान ने कायाकल्प के साथ क्रमशः सतत विकास लक्ष्य 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण) और लक्ष्य 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) हासिल करने के लिए देश के प्रयासों पर जोर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह उम्मीद की जाती है कि और अक्टूबर 2019 के बीच 3,00,000 से अधिक लोगों को मौत के मुंह में जाने से (डायरिया और प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण) बचाने के रूप में सामने आएगा। 2014 और अक्टूबर 2019 के बीच 14 मिलियन से अधिक विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (डायरिया और प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण) से बचने का अनुमान लगाया गया है।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत उपलब्धियों की काफी सराहना हुई है। अक्टूबर 2014 में इसकी शुरुआत से अब तक एक करोड़ घरों में शौचालय बने जा चुके हैं, लगभग 6 लाख गांवों को खुले में शौच मुक्त गांव घोषित किया जा चुका है और 35 राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश अब खुले में शौच से मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। यह पहल सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की लहर पैदा कर सकती है और यह, सभी राज्यों के सहयोगात्मक प्रयासों के कारण संभव हो पाया है। यह कहा जा रहा है, स्वच्छता को बनाए रखने के लिए समग्र गतिविधियां अब एक आदत में बदल गी हैं, कायाकल्प प्रमाणीकरण या खुले में शौच से मुक्त प्रमाणन को बनाए रखने के लिए लोगों ने अपने दैनिक जीवन में स्वच्छता को अपना लिया है। स्वच्छता की आदतों से न केवल समग्र स्वास्थ्य सम्बन्धी परिणाम प्राप्त हुए हैं (अस्पताल-अधिग्रहित संक्रमण में कमी, एंटीबायोटिक उपयोग में कमी आदी), स्वच्छ स्वास्थ्य संस्थानों ने लोगों को अपने घर और आस-पास से वातावरण को भी साफ रखने का संदेश दिया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्राप्त तालमेल और गति का विस्तार होता रहेगा और स्वच्छ भारत, एक स्वस्थ भारत बनता रहेगा।