सावन सुक्ला सत्तमी

Submitted by Hindi on Sat, 03/20/2010 - 14:40
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घाघ और भड्डरी

सावन सुक्ला सत्तमी, जो गरजे अधिरात।
तू पिय जाओ मालवा, हम जायें गुजरात।।


भावार्थ- यदि श्रावण शुक्ल सप्तमी को अर्धरात्रि में बादल गरजें, तो हे प्रिय तुम मालवा चले जाना और मैं गुजरात चली जाऊँगी अर्थात् अकाल पड़ने वाला है।