चंदना, वंदना, नंदना, साभ्रमती आदि के नाम से जानी जाने वाली नदी साबरमती, महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के पास अहमदाबाद या गांधी नगर में बहने वाली पावन नदियों में से एक है। बाल्मीकी रामायण के किष्किंधा काण्ड 40/20 में इसका उल्लेख मिलता है। पद्मपुराण के अनुसार यह कश्यपी गंगा (कश्यप ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर देवाधि देव महादेव द्वारा प्रदत्त) सभी रोग एवं दोष हरने वाली है। सतयुग में यह कृतवती, त्रेता में गिरिकर्णिका और द्वापर में चंदन कहलाती है।
जगन्नाथ मंदिर, भीमनाथ मंदिर, दधीचि आश्रम, राधावल्लभ मंदिर भद्रकाली मंदिर आदि धर्म-स्थलों से परिपूर्ण इस पावन नदी के किनारे कार्तिक एवं वैशाख में विशेष मेला लगता है। भद्रेश्वर नामक स्थान पर यहां से 20 किलोमीटर दूर नैऋत्य कोण में कश्यपजी का आश्रम है। अनेक नदियों के संगम वाली साबरमती का तटीय भद्रेश्वर मंदिर अति प्राचीन है। इस नदी के तट पर अहमदाबाद शहर है जो लगभग 40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में है। मई के बाद सितम्बर तक पर्यटन के लिए यह उपयुक्त नगर नहीं है। यहां कि कांकरिया झील, हिलती मीनारें, सरखेज रोजा, रानी रूपमती मस्जिद, गांधी आश्रम आदि दर्शनीय स्थल हैं।
जगन्नाथ मंदिर, भीमनाथ मंदिर, दधीचि आश्रम, राधावल्लभ मंदिर भद्रकाली मंदिर आदि धर्म-स्थलों से परिपूर्ण इस पावन नदी के किनारे कार्तिक एवं वैशाख में विशेष मेला लगता है। भद्रेश्वर नामक स्थान पर यहां से 20 किलोमीटर दूर नैऋत्य कोण में कश्यपजी का आश्रम है। अनेक नदियों के संगम वाली साबरमती का तटीय भद्रेश्वर मंदिर अति प्राचीन है। इस नदी के तट पर अहमदाबाद शहर है जो लगभग 40 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में है। मई के बाद सितम्बर तक पर्यटन के लिए यह उपयुक्त नगर नहीं है। यहां कि कांकरिया झील, हिलती मीनारें, सरखेज रोजा, रानी रूपमती मस्जिद, गांधी आश्रम आदि दर्शनीय स्थल हैं।
Hindi Title
साबरमती
अन्य स्रोतों से
संदर्भ
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