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कादम्बिनी, सितंबर 2010
देश में क्लोरीन से, उबालकर, फिटकरी से और न जाने किन-किन तरीकों से पानी शुद्ध करने की विधियां प्रचलित हैं। यहां आपको दो आयुर्वेदिक विधियां बताई जा रही हैं जो आपके पीने के पानी को न सिर्फ शुद्ध करेंगी बल्कि उसे एक टॉनिक के रूप में भी बदल देंगी। यह पानी जो जीवन देता है यही जब प्रदूषित हो जाता है तो जीवन ले भी लेता है। बरसात के मौसम में उफनती हुई नदियां, तालाब, पोखरे न जाने कहां-कहां की और कैसी-कैसी गंदगियां बहाए लिए आ रहे हैं, हम नहीं जान पाते। नल और बोरिंग से आने वाला पानी कितना शुद्ध है, यह भी आम आदमी को ज्ञात नहीं। वाटर प्यूरीफायर तो शायद देश की पूरी आबादी का एक प्रतिशत भी प्रयोग नहीं करता है। एक स्लोगन है कि दुर्घटना से सावधानी भली, तो हमें इसी रास्ते पर चलना चाहिए और अपने पानी की चिंता खुद करनी चाहिए।
वैसे तो देश में क्लोरीन से, उबालकर, फिटकरी से और न जाने किन-किन तरीकों से पानी शुद्ध करने की विधियां प्रचलित हैं किंतु यहां मैं आपको दो आयुर्वेदिक विधियां बताती हूं जो आपके पीने के पानी को न सिर्फ शुद्ध करेंगी, बल्कि उसे एक टॉनिक के रूप में भी बदल देंगी।
• पहली वस्तु है अजवाइन। आप अगर किसी बर्तन में पीने का पानी एकत्र करके रखते हैं तो दस लीटर पानी में एक चम्मच (10 ग्राम) अजवाइन डाल दीजिए और बिलकुल निश्चिंत हो जाइए। यह अजवाइन जहां एक ओर आपके पानी को शुद्ध कर रही है वहीं दूसरी ओर पानी में ऐसे एंटीबायोटिक गुण भी पैदा कर रही है जो आपके शरीर की बुखार, हैजे और खुजली से रक्षा करेंगे। 24 घंटे बाद बचे पानी को छान लीजिए और नए पानी में पुनः बचा पानी और एक चम्मच नई अजवाइन मिला दीजिए।
क्लोरीन जैसे पदार्थों से पानी साफ करना कुछ इलाकों (बिहार वगैरह) के लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। वहीं फिटकरी का बार-बार प्रयोग अल्जाइमर को जन्म देने वाला माना गया है। उबालना भी शायद हर जगह संभव नहीं हो सकता। ऐसे में अजवाइन जैसी वस्तु तो अमृत की तरह है। इसी तरह सहिजन की फलियां और पत्तियां इस मानसून में बहुतायत में उपल्बध हैं।• दूसरी वस्तु है सहिजन। इसे शोभांजन, सुरजना, सैजन, और मोरिंगा नाम से भी जाना जाता है। यह एक सब्जी है, जो एक-एक फुट लंबी और 5 सेंमी. चौड़ी होती है, अक्सर इसे दाल या सब्जी में डालते हैं और खाते समय इसे चूस-चूस कर इसकी छाल फेंक देते हैं। इसके बीजों की अलग सब्जी भी बनाई जाती है। इसके पत्तों में विटामिन-ए और बी पाए जाते हैं। अगर पानी में इसकी पूरी फली और पत्तियां डाल दी जाएं तो ये भी पानी के शुद्धीकरण का काम करती हैं। तमिलनाडु में वानी नदी के किनारे स्थित कुछ गावों में 3-4 वर्षों तक इस पर शोध भी किया गया है। इसे भी 24 घंटे बाद बदल दिया जाना चाहिए। यह पानी में ऐसे गुण पैदा कर देती है कि गुर्दे की पथरी को खत्म कर सकती है। यकृत के रोगों को दूर करती है। अर्श (बवासीर) में भी यह पानी फायदा पहुंचाता है। सहिजन के अन्य आयुर्वेदिक गुणों के बारे में हम फिर कभी बात करेंगे।
दरअसल, पानी साफ करने के ये तरीके इसलिए बेहतर हैं क्योंकि क्लोरीन-जैसे पदार्थों से पानी साफ करना कुछ इलाकों (बिहार वगैरह) के लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। वहीं फिटकरी का बार-बार प्रयोग अल्जाइमर को जन्म देने वाला माना गया है। उबालना तो शायद हर जगह संभव नहीं हो सकता। यानी स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि ऐसे समय में अजवाइन-जैसी वस्तु तो अमृत की तरह है। इसका देश के किसी हिस्से में कोई साइड-इफेक्ट नहीं देखा गया। इसी तरह सहिजन की फलियां और पत्तियां इस मानसून में बहुतायत में उपलब्ध हैं।
वैसे तो देश में क्लोरीन से, उबालकर, फिटकरी से और न जाने किन-किन तरीकों से पानी शुद्ध करने की विधियां प्रचलित हैं किंतु यहां मैं आपको दो आयुर्वेदिक विधियां बताती हूं जो आपके पीने के पानी को न सिर्फ शुद्ध करेंगी, बल्कि उसे एक टॉनिक के रूप में भी बदल देंगी।
• पहली वस्तु है अजवाइन। आप अगर किसी बर्तन में पीने का पानी एकत्र करके रखते हैं तो दस लीटर पानी में एक चम्मच (10 ग्राम) अजवाइन डाल दीजिए और बिलकुल निश्चिंत हो जाइए। यह अजवाइन जहां एक ओर आपके पानी को शुद्ध कर रही है वहीं दूसरी ओर पानी में ऐसे एंटीबायोटिक गुण भी पैदा कर रही है जो आपके शरीर की बुखार, हैजे और खुजली से रक्षा करेंगे। 24 घंटे बाद बचे पानी को छान लीजिए और नए पानी में पुनः बचा पानी और एक चम्मच नई अजवाइन मिला दीजिए।
क्लोरीन जैसे पदार्थों से पानी साफ करना कुछ इलाकों (बिहार वगैरह) के लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। वहीं फिटकरी का बार-बार प्रयोग अल्जाइमर को जन्म देने वाला माना गया है। उबालना भी शायद हर जगह संभव नहीं हो सकता। ऐसे में अजवाइन जैसी वस्तु तो अमृत की तरह है। इसी तरह सहिजन की फलियां और पत्तियां इस मानसून में बहुतायत में उपल्बध हैं।• दूसरी वस्तु है सहिजन। इसे शोभांजन, सुरजना, सैजन, और मोरिंगा नाम से भी जाना जाता है। यह एक सब्जी है, जो एक-एक फुट लंबी और 5 सेंमी. चौड़ी होती है, अक्सर इसे दाल या सब्जी में डालते हैं और खाते समय इसे चूस-चूस कर इसकी छाल फेंक देते हैं। इसके बीजों की अलग सब्जी भी बनाई जाती है। इसके पत्तों में विटामिन-ए और बी पाए जाते हैं। अगर पानी में इसकी पूरी फली और पत्तियां डाल दी जाएं तो ये भी पानी के शुद्धीकरण का काम करती हैं। तमिलनाडु में वानी नदी के किनारे स्थित कुछ गावों में 3-4 वर्षों तक इस पर शोध भी किया गया है। इसे भी 24 घंटे बाद बदल दिया जाना चाहिए। यह पानी में ऐसे गुण पैदा कर देती है कि गुर्दे की पथरी को खत्म कर सकती है। यकृत के रोगों को दूर करती है। अर्श (बवासीर) में भी यह पानी फायदा पहुंचाता है। सहिजन के अन्य आयुर्वेदिक गुणों के बारे में हम फिर कभी बात करेंगे।
दरअसल, पानी साफ करने के ये तरीके इसलिए बेहतर हैं क्योंकि क्लोरीन-जैसे पदार्थों से पानी साफ करना कुछ इलाकों (बिहार वगैरह) के लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। वहीं फिटकरी का बार-बार प्रयोग अल्जाइमर को जन्म देने वाला माना गया है। उबालना तो शायद हर जगह संभव नहीं हो सकता। यानी स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि ऐसे समय में अजवाइन-जैसी वस्तु तो अमृत की तरह है। इसका देश के किसी हिस्से में कोई साइड-इफेक्ट नहीं देखा गया। इसी तरह सहिजन की फलियां और पत्तियां इस मानसून में बहुतायत में उपलब्ध हैं।