सिंचाई के उपयुक्त है काली नदी का जल

Submitted by birendrakrgupta on Tue, 07/22/2014 - 11:10
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डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 22 जुलाई 2014
उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव जेएस यादव ने बताया कि दौराला, लावर रोड मेरठ एवं अपस्ट्रीम कन्नौज स्थल पर काली नदी के पानी में घुलित ऑक्सीजन, बीओडी एवं टोटल कोलीफार्म की मात्रा के आधार पर इस स्थल पर मत्स्य पालन एवं सिंचाई के लिए उपयुक्त पाया गया है।

मत्स्य पालन के लिए उपयोगी सई का पानी
उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव जेएस यादव ने बताया कि सई नदी हरदोई जिले से निकल कर उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ जिले से होती हुई जलालपुर, जौनपुर के पास गोमती नदी में मिल जाती है। उप्र प्रदूषण निगम बोर्ड द्वारा नेशनल वाटर प्रोग्राम के अंतर्गत दो स्थलों पर तथा स्वयं के संसाधनों से छह नमूना एकत्रण स्थलों पर प्रत्येक माह नियमित रूप से जलगुणता अनुश्रवण का कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2014 जनवरी से मई में किए गए अनुश्रवण के आंकड़ों से तथ्य परिलक्षित होते हैं कि सभी आठ नमूना स्थलों पर डीओए बीओडी एवं टोटल कोलीफार्म आंकड़ों के आधार पर सई नदी का जल मत्स्य पालन श्रेणी डी एवं सिंचाई के लिए उपयोगी पाया गया है।
आठ अनुश्रवण स्थलों सैनी मवाना रोड मेरठ, गढ़रोड मेरठ, खरखोदा मेरठ, बाबूगढ़ गाजियाबाद, मोहन कुटीर बुलंदशहर, भूसामंडी देवीपुरा बुलंदशहर, रामघाट अतरौली, अलीगढ़ एवं कासगंज नगर पर नदी के जल में प्रदूषण की अत्यधिक समस्या है। इसका पानी केवल सिंचाई के लिए उपयुक्त पाया गया है।

श्री यादव ने बताया कि काली नदी पूर्वी गंगा नदी की एक सहायक नदी है। यह मुजफ्फरनगर जिले के अंतवाड़ा गांव के पास से निकलती है तथा मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़ से होते हुए लगभग 500 किमी की दूरी तय कर गंगा नदी से कन्नौज में मधोपुर गांव के पास मिल जाती है।

यह नदी छोटे नाले के रूप में निकलती है। जिससे मुख्यत: गंगा नहर का सीपेज का पानी व अन्य मात्रा में प्राकृतिक श्रोतों का पानी रहता है लेकिन इसमें पानी की मात्रा अत्यंत कम है व वर्षा ऋ तु के अतिरिक्तअन्य मौसम में न के बराबर रहता है।

खतौली जनपद मुजफ्फरनगर में स्थित त्रिवेणी शुगर मिल का उत्प्रवाह एवं खतौली कस्बे से जनित घरेलू जल-मल इस नदी में आकर मिलते हैं जिससे कि प्रवाह बनता है एवं शुगर मिल के बंद होने के दौरान प्राय: सूखी रहती है, इस दौरान मेरठ शहर का जल-मल एवं औद्योगिक उत्प्रवाह ही रहता है।

उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड ने काली नदी के एक स्थल पर नेशनल वाटर क्वालिटी मानीटरिंग प्रोग्राम के अंतर्गत एवं 09 स्थलों पर स्वयं के संसाधनों द्वारा प्रत्येक माह नियमित रूप से जलगुणता का अनुश्रवण किया गया। ये नमूना मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ़, कांशीराम नगर एवं कानपुर जिलों में स्थित है।

वर्ष 2014 जनवरी से मई में बोर्ड द्वारा किए गए जलगुणता अनुश्रवण कार्य से प्राप्त आंकणों से ये निम्न तथ्य दृष्टिगत होते है कि दौराला, लावर रोड मेरठ एवं अपस्ट्रीम कन्नौज स्थल पर काली नदी के जल में घुलित ऑक्सीजन, बीओडी एवं टोटल कोलीफार्म की मात्रा के आधार पर इस स्थल पर मत्स्य पालन एवं सिंचाई के लिए उपयुक्त पाया गया है।

शेष आठ अनुश्रवण स्थलों- सैनी मवाना रोड मेरठ, गढ़रोड मेरठ, खरखोदा मेरठ, बाबूगढ़ गाजियाबाद, मोहन कुटीर बुलंदशहर, भूसामंडी देवीपुरा बुलंदशहर, रामघाट अतरौली, अलीगढ़ एवं कासगंज नगर पर नदी के जल में प्रदूषण की अत्यधिक समस्या विद्यमान है तथा जल केवल सिंचाई के लिए उपयुक्त है।