सम्मिश्रण

Submitted by Hindi on Sat, 08/27/2011 - 11:23
सम्मिश्रण (Adulteration अपमिश्रण) किसी व्यापारिक वस्तु में किसी अन्य सस्ती वस्तु को मिला देना अथवा उसके वर्ग (grade) को खराब कर देना सम्मिश्रण या अपमिश्रण कहलाता है। सम्मिश्रित वस्तु असली या मौलिक वस्तु बनाकर बेची जाती है किंतु वास्तव में यह उसकी नकल मात्र होती है। अत: सम्मिश्रण में कपट का अंश स्वाभाविक रूप से विद्यमान होता है। व्यापार में अत्यधिक या अवैध लाभ कमाने के लिए सम्मिश्रण किया जाता है; अत: यह आवश्यक है कि जिस वस्तु का सम्मिश्रण के लिए प्रयोग हो वह उस वस्तु से सस्ती हो जिसमें उसका सम्मिश्रण किया जाता है। सम्मिश्रण से उपभोक्ता या क्रता को हानि या क्षति होती है और कभी कभी यह भयानक रूप धारण कर लेती है। द्वितीय महायुद्ध के समय में क्लोरोमाइसटीन (chloromycetine) नामक औषधि की खाली शीशी में सफेद तरल पदार्थ भरकर बेचना भारत में एक सामान्य सी बात हो चली थी जिससे मोतीझरा (typhoid) के रोगियों को, जिनके लिए यह औषधि अचूक है, बहुधा अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ता था।

बहुधा खाद्य सामग्रियों, औषधियों एवं कांतिवर्धक पदार्थों (cosmetics) में सम्मिश्रण किया जाता है; किंतु इसका क्षेत्र बहुत विस्तृत है। मुनाफाखोर व्यापारी (profiteers) ठेके के व्यवसाय में, सार्वजनिक भवनों के निर्माण में सीमेंट के स्थान पर बालू प्रयुक्त करते पाए जाते हैं; और इसी प्रकार ऊनी माल के निर्माता सूत मिले कपड़ों को शुद्ध ऊनी माल कहकर बेचते देखे जाते हैं। दूध में से कभी कभी मक्खन निकाल लिया जाता है और फिर उसमें इस प्रकार का एक पीला रंग मिलाया जाता है कि वह असल दूध सा प्रतीत होने लगे। सबसे भयानक सम्मिश्रण वह होता है जब विषैली या सड़ी गली या हानिकारक वस्तु सम्मिश्रण के लिए प्रयुक्त की जाती है। इसका एक उदाहरण ऊपर दिया जा चुका है। सड़े गले फलों को अच्छे फलों में मिलाकर उन्हें टीन में बंद करा देना, बोरे में ऊपर से अच्छा और नीचे से खराब आटा भर देना, और चीनी में लकड़ी का बुरादा मिला देना इसके अन्य उदाहरण हैं।

सम्मिश्रण का आरंभ पूर्व-ऐतिहासिक काल में हुआ जान पड़ता है क्योंकि सभ्य जगत्‌ के आदिकाल से ही इसके उदाहरण मिलते हैं। विशेषतया मध्यकाल में इसके लिखित प्रमाण पाए जाते हैं। इंग्लैंड में जॉन (John) के राज्य में रोटी के सम्मिश्रण के विरुद्ध सन्‌ 1203 में सर्वप्रथम अधिनियम बनाया गया। खाद्य सामग्री की शुद्धता को बनाए रखने के लिए फ्रांस तथा जर्मनी में भी 13वीं शताब्दी में अधिनियम बनाए गए। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में सम्मिश्रण के विरुद्ध नियम बताए गए हैं।

प्रत्येक सभ्य सरकार सम्मिश्रण (अपमिश्रण) को रोकने का प्रयास विधान बनाकर करती है। सम्मिश्रण की साधारण क्रियाओं पर छल संबंधी सामान्य विधान (common law) द्वारा रोकथाम की जा सकती है, पर खाद्य पदार्थों तथा औषधियों के सम्मिश्रण को रोकने के लिए विशेष विधान बनाना आवश्यक होता है। समस्त देशों का यह सामान्य अनुभव है कि सम्मिश्रण की रोकथाम के लिए विधान बनाना सरल है पर उसको सफलतापूर्वक लागू करना कठिन है।

समाजवादियों के मत में सम्मिश्रण पूँजीवादी व्यवस्था के खोखलेपन का उदाहरण है। पूँजीवाद की कड़ी आलोचना करते समय वे इस बात पर बल देते हैं कि सम्मिश्रण व्यापारिक छल का जीताजागता उदाहरण है और इससे उपभोक्ताओं को जो भयानक हानि पहुँचाती है उसकी उपेक्षा की जाती है। उनके अनुसार समाजवाद के अंतर्गत समस्त उत्पादन सरकार के नियंत्रण में होगा और लाभ की भावना का लोप जो जाने के कारण सम्मिश्रण का प्रश्न ही नहीं उठेगा तथा उपभोक्ताओं को शुद्ध वस्तुएँ मिल सकेंगी। सार्वजनिक उपक्रमों के पक्ष में भी यह युक्ति दी जाती है। (अमर नारायण अग्रवाल.)

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