समय को बांटती इंसानी रेखाएं

Submitted by Hindi on Fri, 08/26/2011 - 17:17

अजय राय


अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा


इंटरनेशनल डेट लाइनइंटरनेशनल डेट लाइनदक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित देश समोआ, अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए अपनी घड़ी को पूरे एक दिन आगे करने जा रहा है। अभी तक इंटरनेशनल डेटलाइन के पूर्व में रहा यह देश अब लाइन के पश्चिम में आ जायेगा। इससे कई देशों के साथ इसके व्यापारिक संबंध मजबूत और आसान हो सकेंगे। डेट लाइन का दुनिया के व्यापार पर काफी फर्क पड़ता है। यह एक ऐसी रेखा है जहां कदम भर के फासले पर पूरे एक दिन का अंतर आ जाता है। यह अंतर सकारात्मक और नकारात्मक हो सकता है। अगर आपके जीवन के कैलेंडर को एक दिन पीछे खिसका दिया जाये तो आपको एक दिन तो ज्यादा मिल ही जायेंगे। दुनिया में समय और तारीख को निर्धारित करने के तरीके और उससे जुड़े अन्य पहलुओं के बीच ले जाता आज का नॉलेज। हम जानते हैं कि रात 12 बजे के बाद तारीख बदल जाती है? लेकिन, क्या पूरे विश्व में नया दिन एक साथ ही होता है? तारीखें एक साथ बदल जाती हैं? भारत में जब रात के 12 बजते हैं, तो पाकिस्तान में उसी समय रात के साढ़े ग्यारह ही बजे होते हैं। जबकि बांग्लादेश में साढ़े 12 बज चुके होते हैं। इसी प्रकार जब भारत में साढ़े 10 बजता है तो थाईलैंड में नये दिन का आगमन हो चुका होता है और जापान हमसे आठ घंटे पहले ही नये दिन की आबो-हवा में सांस ले चुका होता है। वहीं ब्रिटेन को साढ़े पांच घंटे और अमेरिका को इससे भी अधिक समय के बाद नित नये दिन से साक्षात्कार होता है।

समय का अंतर क्यों और कैसे


दो देशों के स्थानीय समय में अंतर पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण होता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे मे एक चक्कर लगाती है, जिसके कारण दिन और रात होते हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी पूर्व की तरफ घूमती जाती है वैसे-वैसे पूर्व से पश्चिम की दिशा में स्थित देशों में उजाला होता जाता है। हमारे देश में सवेरा करने से पहले यही सूर्य पूर्व में स्थित देशों में पहले ही सवेरा ला चुका होता है। यदि पृथ्वी को 360 अंशों में विभाजित किया जाये तो सूर्य की गति 15 डिग्री प्रति घंटा निकलेगी (24 घंटों में पूरी दुनिया का सफर)। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि किसी स्थान पर सूर्य अभी निकला है तो उस स्थान से 15 डिग्री पूर्व मे स्थित किसी दूसरे स्थान पर सूर्य उससे एक घंटा पहले उग चुका होगा। समय की गणना के लिए पृथ्वी पर काल्पनिक रेखाएं खींची गयी हैं जिन्हे अक्षांश और देशांतर कहा जाता है। देशांतर रेखाएं उर्ध्वाकार होती हैं और उत्तरी ध्रुव से शुरू होकर दक्षिणी ध्रुव तक जाती हैं। अक्षांश रेखाएं, पृथ्वी पर पूर्व से पश्चिम को मिलाती हुई, देशांतर रेखाओं को समकोण पर काटती हैं।

सूर्य जब किसी विशेष देशांतर रेखा के ठीक ऊपर पहुँचता है, तो उस स्थान पर दोपहर के 12 बजे होते हैं। अब जैसे-जैसे पृथ्वी अपनी धुरी पर चक्कर लगाती जाती है, सूर्य एक देशांतर रेखा से दूसरी देशांतर रेखा पर चलता हुआ दिखता है। इस प्रकार किसी एक विशेष समय पर सभी स्थानों का स्थानीय समय भिन्न-भिन्न होता है। 15 डिग्री देशांतर के अंतर पर समय में एक घंटे का फर्क आता है और प्रत्येक डिग्री देशांतर के अंतर पर यह फर्क चार मिनट का होता है। इसी कारण प्रत्येक देश का अपना अलग स्थानीय समय होता है, जो उस देश से होकर गुजरने वाली देशांतर रेखा पर निर्भर करता है। अधिकतर देशों ने अपने यहां केवल एक ही औसत समय का प्रावधान रखा है जो उस देश का मानक समय (स्टैंडर्ड टाइम) कहलाता है। इन देशों ने सुविधा के लिए ग्रीनविच (लंदन के पास) के देशांतर से 15 डिग्री पर बने क्षेत्रों में एक-एक घंटे के औसत समय का अंतर रखा है। समय का यह अंतर केवल देशांतर रेखाओं पर ही निर्भर करता है और इनमें शहरों के बीच की दूरी से कोई फर्क नहीं आता है। आवश्यक नहीं हैं कि समूचे देश में केवल एक ही औसत या स्टैंडर्ड समय हो। भौगोलिक रूप से बड़े देशों में ऐसा करना कई मुश्किलों को जन्म दे सकता है। यही कारण है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में छह स्थानीय समय है। अविभाजित रूस में तो 11 स्थानीय समय का इस्तेमाल होता था। रूस का स्थानीय समय इतना अधिक विस्तृत है कि वहां के पश्चिम में स्थित मॉस्को के समय और पूर्व में स्थित कामचटका द्वीप के समय में पूरे 9 घंटों का अंतर है। ध्रुवीय क्षेत्रों में जहां देशांतर रेखाएं एक दूसरे के बहुत पास होती हैं, वहां समय का निर्धारण करने में कठिनाई आती है।

ग्रीनविच मीन टाइम


ब्रिटेन के ग्रीनविच नामक स्थान (जहां से शून्य डिग्री देशांतर रेखा गुजरती हैं) के समय को ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) कहा जाता है, जो कि पूरे विश्व का मानक समय है। ग्रीनविच के पूर्व में स्थित क्षेत्रों की घड़ियां जीएमटी से आगे होती हैं, जिसे (+) से और पश्चिम के स्थानों की घड़ियां जीएमटी से पीछे होती हैं, जिसे (-) से दिखाया जाता है। अब इसके स्थान पर यूटीसी (यूनिवर्सल को-ऑर्डिनेटेड टाइम) का नाम प्रयोग में लाया जाता है। भारत की औसत देशांतर रेखा 82.5 डिग्री पूर्व है जो नैनी (इलाहाबाद के निकट) के निकट से होकर गुजरती है। इस प्रकार भारत का स्थानीय समय जीएमटी से +5.30 घंटा आगे है और इसे ही भारतीय मानक (आइएसटी) समय कहा जाता है। न्यूयार्क की घड़ियां जीएमटी से पांच घंटे पीछे हैं, क्योंकि वह ग्रीनविच के पश्चिम में स्थित है। हम जैसे-जैसे पश्चिम की ओर बढ़ते जाते हैं, यह समय का अंतर क्रमशः बढ़ता ही जाता है। 179 डिग्री पश्चिम के स्थानों की घड़ियां जीएसटी से 12 घंटे पीछे हो जाती हैं और यदि हम ग्रीनविच से पूर्व को चलकर अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा तक पहुँचें तो यह समय जीएमटी से 12 घंटे आगे हो जायेगा। इस प्रकार रेखा को पार करते ही समय में 24 घंटे का अंतर आ जाता है। अर्थात 180 डिग्री देशांतर के पश्चिम और पूर्व में स्थित देशों के समय में -12 और +12 अथवा 24 घंटे का अंतर हो जाता है। जिससे तारीख और दिन में तब्दीली देखने को मिलती है।

अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (इंटरनेशनल डेट लाइन)


दुनिया के देशों में तिथियों का निर्धारण करने के लिए इंटरनेशनल डेट लाइन का इस्तेमाल करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा प्रशांत महासागर के बीचो-बीच 180 डिग्री देशांतर पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची गयी एक काल्पनिक रेखा है। यह रेखा सीधी न होकर टेढ़ी-मेढ़ी है। इस रेखा पर तिथि का परिवर्तन होता है। इस रेखा का निर्धारण 1884 में वाशिंगटन में एक सम्मेलन के दौरान किया गया। इसीलिए जब कोई जलयान इस रेखा के पश्चिम दिशा में यात्रा करता है, तो उसकी तिथि में एक दिन जोड़ दिया जाता है और यदि वह पूर्व की ओर यात्रा करता है, तो एक दिन घटा दिया जाता है। यदि इस रेखा को पूर्व की ओर पार किया जाये तो तारीख में एक दिन की कमी हो जायेगी और यदि पश्चिम की ओर पार किया जाये तो एक दिन की वृद्धि हो जायेगी। दूसरे शब्दों में अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा से पूर्व के देशों में जब 11 मई होगा तब इस रेखा के पश्चिम के देश अपने कैलेंडर में 12 मई दिखायेंगे।

अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा प्रशांत महासागर से हो कर गुजरती है। इसका अधिकतर भाग जल के ऊपर है। न्यूजीलैंड, फ़िजी, समोआ, टोंगा, पूर्वी साइबेरिया का कुछ हिस्सा और अल्युशिन द्वीप समूह ओद से होकर यह रेखा गुजरती है। इन देशों के दैनिक जीवन पर तारीख की तब्दीली का काफी असर पड़ता है। अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को अपने पथ से इस प्रकार विचलित किया गया है कि फ़िजी, टोंगा और पूर्वी साइबेरिया रेखा के पश्चिम की ओर और अल्युशिन द्वीप व पश्चिमी समोआ इसके पूर्व की ओर आ गये हैं। इसलिए फ़िजी और समोआ द्वीप समूहों में मुश्किल से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी होने के बावजूद भी जब फ़िजी में रविवार रहता हैं उस समय समोआ में शनिवार रहता है। इसी प्रकार रूस के पूर्वी साइबेरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के अलास्का राज्य के कुछ स्थानों पर केवल 50 किलोमीटर की दूरी के अंतर पर भी उनकी तिथियों में एक दिन का अंतर रहता है। अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा का निर्धारण इस तरह से किया गया है कि एक देश रेखा के एक ही तरफ रहे। जहां यह रेखा किसी देश के बीच से हो कर जाती है, वहां पर इसे अपने पथ से विचलित कर के सारे देश को रेखा के एक तरफ कर दिया है, जिस कारण सारे देश में केवल एक ही दिन व तारीख रहती है। कभी किरीबाती द्वीप समूह के कैरोलीन नामक द्वीप के बीच से हो कर अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा गुजरती थी, इसलिये यहां पर देश के अलग-अलग भागों में दो तारीखें होती थीं। 1995 में अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा को अपने देश के पूरब में ढकेल कर सारे देश को रेखा के पश्चिम में कर लिया था। इसी कारण हवाई द्वीप और किरीबाती द्वीप जो पहले कभी एक ही देशांतर पर हुआ करते थे अब उनकी तारीखों में पूरे 24 घंटे का अंतर आ गया है।

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