शुक्र (Venus)

Submitted by Hindi on Sat, 08/27/2011 - 09:16
शुक्र (Venus) ग्रह सभी ग्रहों में सर्वाधिक कांतिमय है। यही नहीं, यह अत्यधिक कांति के स्थिर तारों से भी अधिक कांतिवाला है। यदि आकाश की नीली पृष्ठभूमि प्राप्त हो, तो उच्चतम तारकीय कांतिमान 4.4 की अवस्था में जब यह उच्चतम कांति की अवस्था में होता है, तब इसे दिन में भी खाली नेत्रों से देखा जा सकता है। रात में जब यह क्षितिज के ऊपर आ जाता है तब इसके प्रकाश में वृक्षों की छाया बन सकती है। सूर्य और पृथ्वी से निकटता और अंशत: इसका उच्च, 61 प्रतिशत, काशानुपात इसकी कांति का कारण है। ग्रहों के सौरक्रम में इसका दूसरा स्थान है। इसकी सूर्य से औसत दूरी लगभग 6,70,00,000 मील है। इसका व्यास 7,584 मील है, जो करीब करीब पृथ्वी के व्यास के बराबर है। सूर्य से इसका प्रसर कोण (angle of elongation) 480 तक हो सकता है जिसके कारण इसे सूर्यास्त के बाद श्घंटे तक देख सकते हैं। चंद्रमा के समान ही इसकी भी कलाएँ होती हैं, किंतु इसके आकार में प्रतीत परिवर्तन अत्यधिक होता है। वैज्ञानिकों का विश्वास है कि इसका घूर्णन काल इसके 225 दिनों के परिक्रमण काल के बराबर हो सकता है। शुक्र सतह पर घने मेघों का अविच्छिन्न आवरण है। अभिनव अनुसंधानों से ज्ञात हुआ है कि शुक्र के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और बहुत बड़ी मात्रा में नाइट्रोजन है। ऑक्सीजन का अस्तित्व संदिग्ध है। इसके पृष्ठ का ताप 4380 सें. है। इससे यह संकेत मिलता है कि शुक्र ग्रह पर प्राणि या वनस्पति जीवन संभव नहीं है। (मंजुला मणिभाई)

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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