स्वास्थ्य बजट में मात्र चार फीसदी का इजाफा
स्कन्द विवेक घर, हिन्दुस्तान, 2 फरवरी, 2020
भारत सरकार के तंगहाल खजाने का असर सामाजिक क्षेत्र से जुड़े मंत्रालयों, खासकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर पड़ा है। इस साल स्वास्थ्य बजट में मात्र चार फीसदी का इजाफा किया गया है। यहाँ तक कि स्वास्थ्य मंत्रालय की दो फ्लैगशिप योजनाओं के लिए भी बजट आवंटन में बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय को 64,559 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे, जो इस साल बढ़कर 67,112 करोड़ रुपए हो गए। यानी कुल 2553 करोड़ रुपए का इजाफा।
स्वास्थ्य मंत्रालय की सबसे पड़ी योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को इस साल 33,400 करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं। यह पिछले साल के बजट से 505 करोड़ रुपए अधिक और सशोधित बजट की तुलना में 390 करोड़ रुपए कम है। बजट में प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना को 6400 करोड़ का आवंटन हुआ है। आयुष्मान भारत के एक अन्य हिस्से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिए 1350 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जो कि पिछले साल के ही बराबर है। नए एम्स के निर्माण के लिए चल रही प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना को इस साल 6020 करोड़ रुपए का आवटंन हुआ है। दिल्ली एम्स के लिए 3489.96 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। यह राशि पिछले साल आवंटित 3599.65 करोड़ से करीब 110 करोड़ कम है।
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2025 तक स्वास्थ्य पर जीडीपी का 2.5% खर्च करना चुनौती
के.सुजाता राव, पूर्व स्वास्थ्य सचिव
हिन्दुस्तान, 2 फरवरी, 2020
स्वास्थ्य बजट में भले ही ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हुई हो, लेकिन राहत की बात ये है कि आर्थिक संकट के बावजूद स्वास्थ्य बजट में कटौती नहीं की गई है। इससे कम से कम जो योजनाएं चल रही हैं, उनमें कटौती नहीं होगी। वहीं, कुछ योजनाओं को प्राथमिकता के अनुसार अधिक राशि दी जा सकेगी।
बजट में दो महत्त्वपूर्ण योजनाओं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के आवंटन को बरकरार रखा गया है। जिलों में निजी क्षेत्र में सहयोग से जिला अस्पतालों को अपग्रेड करने की योजना में मुझे चुनौती नजर आ रही है। निजी अस्पताल तो बड़े शहरों में पहले से ही नुकसान में हैं। ऐसे में वे पिछड़े जिलों में क्यों जाएंगे? सरकार जो वायबिलिटी गैप फंड देने की बात कर रही है, इस फंड से वह खुद ही इन जिला अस्पतालों की तस्वीर क्यों नहीं सुधार देती? सरकार को यह भी सोचना होगा कि अगर इसी रफ्तार से स्वास्थ्य के क्षेत्र में आवंटन बढ़ेगा तो हम 2025 तक स्वास्थ्य पर जीडीपी का 2.5 फीसदी कैसें खर्च कर पाएंगे?
पिछले साल के मुकाबले इस साल 67112 करोड़ रुपए स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए प्रस्तावित हैं। 20 हजार से ज्यादा अस्पताल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पैनल में हैं। 112 आकांक्षी जिलों में निजी सरकारी भागीदारी से अस्पतालों का निर्माण किया जाएगा। जहाँ पैनल में अस्पताल नहीं हैं, उन्हें तवज्जों दी जाएगी। बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। हालांकि, आने वाला वक्त ही बताएगा कि केन्द्र सरकार की इन भारी भरकम योजनाओं को कैसे लागू किया जाएगा और इनसे लोगों को कितना फायदा मिलेगा।
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