श्याम पदार्थ (Dark Matter)

Submitted by Hindi on Tue, 09/06/2011 - 15:27
श्याम पदार्थ (Dark Matter) भौतिकी में श्याम पदार्थ उस पदार्थ को कहते है जो विद्युत चुंबकीय विकिरण (प्रकाश, क्ष किरण) का उत्सर्जन या परावर्तन पर्याप्त मात्रा में नहीं करता जिससे उसे महसूस किया जा सके किंतु उसकी उपस्थिति साधारण पदार्थ पर उसके गुरुत्व प्रभाव से महसूस की जा सकती है। श्याम पदार्थ की उपस्थिति के लिये किये गये निरीक्षणों में प्रमुख है, आकाशगंगाओं की घूर्णन गति, किसी आकाशगंगाओं के समुह में आकाशगंगा की कक्षा मे गति और आकाशगंगा या आकाशगंगा के समुह में गर्म गैसो में तापमान का वितरण है। श्याम पदार्थ की ब्रह्मांड के आकार ग्रहण प्रक्रिया (1) तथा महा विस्फोट केन्द्रीय संश्लेषण (Big Bang Ncleosynthesis) (2) प्रमुख भूमिका रही है। श्याम पदार्थ का प्रभाव ब्रह्मांडीय विकिरण के फैलाव और वितरण में भी रहा है। यह सभी सबूत यह बताते है कि आकाशगंगाये, आकाशगंगा समुह (Cluster) और ब्रह्मांड में पदार्थ की मात्रा निरीक्षित मात्रा से कहीं ज्यादा है, जो कि मुख्यतः श्याम पदार्थ है जिसे देखा नहीं जा सकता।

श्याम पदार्थ का संयोजन (3) अभी तक अज्ञात है लेकिन यह नये मूलभूत कणों जैसे विम्प (WIMP) (4) और एक्सीआन (Axions) (5), साधारण और भारी न्युट्रीनो, वामन तारो और ग्रहो (MACHO) (6) तथा गैसो के बादल से बना हो सकता है। हालिया सबूतों के अनुसार श्याम पदार्थ की संरचना नये मूलभूत कणों जिसे नानबायरोनिक श्याम पदार्थ (nonbaryonic dark matter) कहते है से होना चाहिये।

श्याम पदार्थ की मात्रा और द्रव्यमान साधारण दिखायी देने ब्रह्मांड से कहीं ज्यादा है। अभी तक की खोजों में ब्रह्मांड मे बायरान और विकिरण का घनत्व लगभग 1 हायड्रोजन परमाणु प्रति घन मीटर है। इसका लगभग 4% ऊर्जा घनत्व देखा जा सकता है। लगभग 22% भाग श्याम पदार्थ का है, बचा 74% भाग श्याम ऊर्जा का है। कुछ मुश्किल से जाँच किये जा सकने वाले बायरानीक पदार्थ भी श्याम पदार्थ बनाते है लेकिन इसकी मात्रा काफी कम है। इस लापता द्रव्यमान की खोज भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान के सबसे बड़े अनसुलझे रहस्यों में से एक है।

सबसे पहले श्याम पदार्थ के बारे में सबूत देने वाले कैलीफोर्निया ईन्स्टीट्युट ऑफ टेक्नालॉजी के एक स्वीस विज्ञानी फ्रीटज झ्वीस्की थे। उन्होंने कोमा आकाशगंगा समुह पर वाइरियल प्रमेय (7) का उपयोग किया और उन्हें लापता द्रव्यमान का ज्ञान हुआ। झ्वीस्की ने कोमा आकाशगंगा समुह के किनारे की आकाशगंगाओ की गति के आधार पर कोमा आकाशगंगा समुह के द्रव्यमान की गणना की। जब उन्होंने इस द्रव्यमान की तुलना आकाशगंगाओं और उनकी आकाश गंगा समुह (Cluster) की कुल प्रकाश दीप्ति के आधार पर ज्ञात द्रव्यमान से की तो उन्हें पता चला कि वहां पर अपेक्षा से 400 गुना ज्यादा द्रव्यमान है। इस आकाशगंगा समुह में दिखायी देने वाली आकाशगंगाओं का गुरुत्व इतनी तेज कक्षा के कारण काफी कम होना चाहिये, इन आकाशगंगाओं के पास अपने संतुलन के लिये कुछ और द्रव्यमान होना चाहिये। इसे लापता द्रव्यमान रहस्य (Missing Mass Problem) कहा जाता है। झ्वीस्की ने इन अनुमानों के आधार पर कहा कि वहां पर कुछ अदृश्य पदार्थ होना चाहीये जो इस आकाशगंगा समुह को उचित द्रव्यमान और गुरुत्व प्रदान कर रहा है जिससे यह आकाशगंगा समुह का विखण्डन नही हो रहा है।

श्याम पदार्थ के बारे में और सबूत आकाशगंगाओं की गति के अध्ययन से प्राप्त हुये। इनमें से काफी आकाशगंगा एकसार है, इन पर वाइरियल प्रमेय लगाने पर इनकी कुल गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) इनके कुल गुरुत्व ऊर्जा का आधा होना चाहीये। प्रायोगिक नतीजों के अनुसार गतिज ऊर्जा इससे कहीं ज्यादा पायी गयी। आकाशगंगा के दृश्य द्रव्यमान के गुरुत्व को ही लेने पर, आकाशगंगा के केन्द्र से दूर तारों की गति वाइरियल्ल प्रमेय द्वारा गणित गति से कहीं ज्यादा पायी गयी। गैलेटीक घूर्णन वक्र कक्षा (8) जो घूर्णन गति और आकाशगंगा केन्द्र की व्याख्या करती है, इसे दृश्य द्रव्यमान से समझाया नहीं जा सकता। दृश्य पदार्थ आकाशगंगा समुह का एक छोटा सा ही हिस्सा है मान लेने पर इसकी व्याख्या की जा सकती है। आकाशगंगाये एक लगभग गोलाकार श्याम पदार्थ से बनी प्रतीत होती है जिनके मध्य में एक तश्तरी नुमा दृश्य पदार्थ है। कम चमकदार सतह वाली वामन आकाशगंगाये श्याम पदार्थ के अध्ययन के लिये जरूरी सूचना का महत्वपूर्ण श्रोत है क्योंकि इनमें असाधारण रूप से साधारण पदार्थ और श्याम पदार्थ का अनुपात कम है और इनके केन्द्र में कुछ ऐसे चमकीले तारे है जो बाहरी छोर पर स्थित तारों की कक्षा को विकृत कर देते है।

अगस्त 2006 में प्रकाशित परिणामों के आधार पर श्याम पदार्थ, साधारण पदार्थ से अलग पाया गया है। यह परिणाम दो अलग-अलग आकाशगंगा समुह की 1500 लाख वर्ष पहले हुयी भिड़ंत से बने बुलेट आकाशगंगा समुह (Bullet Cluster) के अध्ययन से मिले है। आकाशगंगा की घूर्णन वक्र कक्षा झ्वीस्की के निरीक्षण के 40 वर्षों बाद तक ऐसा कोई निरीक्षण नहीं मिला जिसमें प्रकाश और द्रव्यमान का अनुपात इकाई से अलग हो। अधिक प्रकाश और द्रव्यमान का अनुपात श्याम पदार्थ की उपस्थिति दर्शाता है। 1970 के दशक की शुरूवात मे कार्नेगी इन्सीट्युट ऑफ वाशिण्गटन की एक विज्ञानी वेरा रूबीन ने एक नये ज्यादा संवेदनशील स्पेक्ट्रोग्राफ (जो कुंडली नुमा आकाशगंगा के सिरे की गति कक्षा को ज्यादा सही तरीके से माप सकता था) की मदद से कुछ नये परिणाम प्राप्त किये। इस विस्मयकारी परिणाम के अनुसार किसी कुंडली नुमा आकाशगंगा के अधिकतर तारे एक जैसी गति से आकाशगंगा के केन्द्र की परिक्रमा करते है। इसका अर्थ यह था कि द्रव्यमान घनत्व अधिकतर तारो (आकाशगंगा केन्द्र) से दूर भी एकसार था। इसका एक अर्थ यह भी था कि या तो न्युटन का गुरुत्व नियम हर अवस्था में लागू नहीं किया जा सकता या इन आकाशगंगा का 50% से अधिक द्रव्यमान श्याम पदार्थ से बना है। इस परिणाम की पहले खिल्ली उडायी गयी लेकिन बाद में ये मान लिया गया कि आकाशगंगा का अधिकतर भाग श्याम पदार्थ से बना है।

बाद में इसी तरह के परिणाम इलीप्स के आकार की आकाशगंगाओं मे भी पाये गये। रूबीन के द्वारा 50% प्रतिशत द्रव्यमान की गणना अब बढ़कर 95% हो गयी है। कुछ ऐसे भी आकाशगंगा समुह है जो श्याम ऊर्जा की उपस्थिति नकारते है। ग्लोबुलर आकाशगंगा समुह एक ऐसा ही आकाशगंगा समुह है। हाल ही मे कार्डीफ विद्यापिठ के वैज्ञानिकों ने एक श्याम ऊर्जा की बनी हुयी आकाशगंगा की खोज की है। यह कन्या आकाशगंगा समुह (Virgo Cluster) से 50 प्रकाश वर्ष दूर है, इस आकाशगंगा का नाम VIRGOHI21 है। इस आकाशगंगा में तारे नहीं है। इसकी खोज हायड्रोजन की रेडियो तरंगों के निरीक्षण से हुयी है। इसके घूर्णन कक्षा के अध्ययन से वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसमें हायडोजन के द्रव्यमान से 1000 गुना ज्यादा श्याम पदार्थ है। इसका कुल द्रव्यमान हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी के द्रव्यमान का दसवाँ भाग है। हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी में भी दृश्य पदार्थ के द्रव्यमान से 10 गुना ज्यादा श्याम पदार्थ मौजूद है।

श्याम पदार्थ आकाशगंगा समुह पर भी प्रभाव डालता है। एबेल 2029 आकाशगंगा समुह जो की हज़ारों आकाशगंगाओं से बना है, इसके आस-पास चारों ओर गर्म गैसों और श्याम पदार्थ का आवरण फैला हुआ है। इस श्याम पदार्थ का द्रव्यमान 1014 सूर्यों के द्रव्यमान के बराबर है। इस आकाशगंगा समुह के केन्द्र में एक इलीप्स के आकार की आकाशगंगा (जो कुछ आकाशगंगाओं के मिलन से बनी है) है। इस आकाशगंगा समुह की कक्षा की गति श्याम ऊर्जा निरीक्षणों के अनुरूप है।

श्याम ऊर्जा के निरीक्षण के लिये दूसरा साधन गुरुत्विय वक्रता (gravitational lensing) (9) है। यह प्रक्रिया सापेक्षतावाद के सिद्धांत के द्रव्यमान गणना पर आधारित है जो गतिज ऊर्जा पर निर्भर नहीं करती है। यह पूरी तरह श्याम ऊर्जा के द्रव्यमान की गणना के लिये स्वतंत्र सिद्धांत है। एबेल 1689 के आसपास प्रबल गुरुत्विय वक्रता पायी गयी है। इस वक्रता को माप कर उस आकाशगंगा समुह का द्रव्यमान ज्ञात किया जा सकता है। द्रव्यमान और प्रकाश के अनुपात से श्याम पदार्थ की उपस्थिति जांची जा सकती है।

श्याम पदार्थ की संरचना


अगस्त 2006 मे श्याम पदार्थ को प्रकाशीय पद्धति से जांच लिया गया है लेकिन अभी भी यह अटकलों के घेरे में है। आकाशगंगा घूर्णन वक्र कक्षा, गुरुत्विय वक्रता, ब्रह्मांडीय पदार्थ का विभिन्न आकार बनाना (Structure Formation), आकाश गंगा समुह मे बायरान की अल्प उपस्थिति जैसे सबूत यह बताते है कि 85-90% पदार्थ विद्युत चुंबकीय बल से प्रतिक्रिया नहीं करता है। यह श्याम पदार्थ अपने गुरुत्विय बल से अपनी मौजूदगी दर्शाता है। इस श्याम पदार्थ की निम्नलिखित श्रेणियाँ हो सकती है।

• बायरानीक श्याम पदार्थ
• अबायरानीक श्याम पदार्थ (यह तीन तरह का हो सकता है)

a) अत्याधिक गर्म श्याम पदार्थ
b) गर्म श्याम पदार्थ
c) तल श्याम पदार्थ

अत्यधिक गर्म श्याम पदार्थ में कण सापेक्ष गति (relativistic velocities) (10) से गतिमान रहते है। न्युट्रीनो इस तरह का कण है। इस कण का द्रव्यमान कम होता है और इस पर विद्युत चुंबकीय बल और प्रबल आणविक बल का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसकी जांच एक दुष्कर कार्य है। यह भी श्याम ऊर्जा के जैसा है। लेकिन प्रयोग यह बताते है कि न्युट्रीनो श्याम पदार्थ का एक बहुत ही छोटा हिस्सा है। गर्म श्याम पदार्थ महा विस्फोट के सिद्धांत पर खरे नहीं उतरते है लेकिन इनका अस्तित्व है।

शीतल श्याम पदार्थ जिसके कण सापेक्ष गति नहीं करते है। बडे द्रव्यमान वाले पिंड जैसे आकाशगंगा के आकार के श्याम विवर को गुरूतविय वक्रता के आधार पर अलग कर सकते है। संभव उम्मीदवारों मे सामान्य बायरोनिक पदार्थ वाले पिंड जैसे भूरे वामन या माचो (MACHO भारी तत्वों के अत्यंत घनत्व वाले पिंड) भी है। लेकिन महाविस्फोट के आणविक संयुग्मन (big bang nucleosynthesis ) प्रक्रिया ने विज्ञानीयो को यह विश्वास दिला दिया है कि MACHO जैसे बायरानिक पदार्थ कुल श्याम पदार्थ के द्रव्यमान का एक बहुत ही छोटा हिस्सा हो सकते है।

आज की स्थिती मे श्याम पदार्थ की संरचना अबायरानिक कणो, इलेक्ट्रान, प्रोटान, न्युट्रान, न्युट्रीनो जैसे कणों के अलावा, एक्सीआन, WIMP (Weakly Interacting Massive Particles कमजोर प्रतिक्रिया वाले भारी कण जिसमे न्युट्रलिनो भी शामील है), अचर न्युट्रीनो (sterile neutrinos) (10) से बनी हुयी मानी जाती है। इनमें से कोई भी कण साधारण भौतिकी की आधारभूत संरचना का कण नहीं है। श्याम पदार्थ की संरचना के उम्मीदवार कणों की खोज के लिये प्रयोग जारी है।

(1) आकार ग्रहण प्रक्रिया(Structure Formation) - यह ब्रह्मांड निर्माण भौतिकी का एक मूलभूत अन सुलझा रहस्य है। ब्रह्मांड जैसा की हम ब्रह्मांडीय विकिरण (Cosmic Microvave Background Radiation) के अध्ययन से जानते है, एक अत्यंत घने , अत्यंत गर्म बिन्दु के महा विस्फोट से बना है। लेकिन आज की स्थिती में हर आकार के आकाशीय पिंड मौजूद है, ग्रह से लेकर आकाशगंगाओं से आकार से गैसो के बादल (Cluster) के दानवाकार तक के है। एक शुरूवाती दौर के समांगी ब्रह्मांड से आज का ब्रह्मांड कैसे बना ?

(2) महा विस्फोट केन्द्रीय संश्लेषण (Big Bang Ncleosynthesis) : हायड्रोजन (H1) को छोड़कर अन्य तत्वों के परमाणु केन्द्रक निर्माण की प्रक्रिया।

(3) साधारण पदार्थ (Byaronic Matter) मुख्यतः इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान से बना होता है। इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान को बायरान भी कहते है।

(4) विम्प (WIMP : weakly interacting massive particles) : अभी तक ये काल्पनिक कण है। ये कण कमजोर आणविक बल और गुरुत्वाकर्षण बल से ही प्रतिक्रिया करते है। इनका द्रव्यमान साधारण कणों (बायरान) की तुलना में काफी अधिक होता है। ये साधारण पदार्थ से प्रतिक्रिया नहीं करते जिससे इन्हें देखा और महसूस नहीं किया जा सकता।

(5) एक्सीआन(Axions) : यह भी एक काल्पनिक मूलभूत कण है, इन पर कोई विद्युत आवेश नहीं होता है और इनका द्रव्यमान काफी कम 10-6 से 10-2 eV/c2 के बीच होना चाहिये। मजबूत चुंबकीय बलों की उपस्थिति में इन्हें फोटान में बदल जाना चाहिये।

(6) माचो (अत्यंत विशाल सघन प्रकाशित पिंड) (MACHO: Massive compact halo object) : ये उन पिंडों के लिये दिया गया नाम है जो श्याम पदार्थ की उपस्थिति को समझने में मदद कर सकते है। ये श्याम विवर (Black Hole) , न्युट्रान तारे, सफेद वामन तारे या लाल वामन तारे भी हो सकते है।

(7) वाइरियल प्रमेय अधिक जानकारी के लिये देखे : http://en.wikipedia.org/wiki/Virial_theorem

(8) देखे http://en.wikipedia.org/wiki/Galactic_rotation_curve

(9) गुरुत्विय वक्र (gravitational lensing) : प्रकाश किरणों के में उस समय आई वक्रता होती है जब ये किसी गुरुत्विय लेंस से गुज़रती है। ये गुरुत्विय लेंस श्याम विवर भी हो सकता है।

(10) अचर न्युट्रीनो (sterile neutrinos): जिन न्युट्रीनो पर किसी भी मूलभूत बलों का प्रभाव नहीं होता है।

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अन्य स्रोतों से




संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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