हावड़ा पटना लाइन पर जसडीह स्टेशन के पास वैद्यनाथ धाम में शिव गंगा सरोवर है। कहा जाता है रावण ने कैलाश पर कठोर तपस्या की तो प्रसन्न होकर शिव ने वर मांगने के लिए कहा। रावण ने अपना शीश काटकर जिस शिवलिंग पर चढ़ाया था, उसे लंका में स्थापित किए जाने का वर मांगा। शिव जी ने चेतावनी देते हुए कहा लेकिन मार्ग में इसे कहीं रखना नहीं, नहीं तो इसे जहां रखोगे वहीं स्थापित हो जायेगा। मार्ग में रावण को लघुशंका महसूस हुई, उसने शिवलिंग एक ब्राह्मण को दिया और स्वयं लघुशंका के लिए चला गया। ब्राह्मण रूपी विष्णु नहीं चाहते थे कि शिवलिंग लंका जाये। उन्होंने उसे वहीं रख दिया और चलते बने। लौटकर रावण ने पूरी शक्ति से उसे उखाड़ा लेकिन उखाड़ नहीं सका। वह अपना अंगूठा गड़ा कर चला गया। उस समय उसे पानी की आवश्यकता हुई थी उसने पदाघात से जल उत्पन्न किया था, वही शिव गंगा सरोवर नाम से जाना जाता है।
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शिव गंगा सरोवर
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