भूत्तारी
1. पतली शाखा, जो पौधे के आधार के समीप तने की भूमिगत भाग से निकल कर कुछ दूर तक मिट्टी के अंदर ही अंदर क्षैतिजतः बढ़ती है और जिस में से शल्कपत्र, अपस्थानिक मूल और कलिकाएं फुट-फूट कर नए पौधों में परिवर्धित हो जाती है। इस प्रकार वर्धीजनन संपन्न होता है जैसे स्ट्रॉबेरी।
2. राइजोपस निग्रिकैन्स का वह कवक-तंतु जिसके वायवीय समांतर बढ़ते हुए भागों में स्थान-स्थान पर मूलाभास (राइजॉइड) निकलते रहते हैं।
1. पतली शाखा, जो पौधे के आधार के समीप तने की भूमिगत भाग से निकल कर कुछ दूर तक मिट्टी के अंदर ही अंदर क्षैतिजतः बढ़ती है और जिस में से शल्कपत्र, अपस्थानिक मूल और कलिकाएं फुट-फूट कर नए पौधों में परिवर्धित हो जाती है। इस प्रकार वर्धीजनन संपन्न होता है जैसे स्ट्रॉबेरी।
2. राइजोपस निग्रिकैन्स का वह कवक-तंतु जिसके वायवीय समांतर बढ़ते हुए भागों में स्थान-स्थान पर मूलाभास (राइजॉइड) निकलते रहते हैं।