टैनिन और टैनिक अम्ल

Submitted by Hindi on Fri, 08/12/2011 - 15:08
टैनिन और टैनिक अम्ल वनस्पतियों से प्राप्त उन पदार्थों को टैनिन कहते हैं जो चमड़े के कमाने में प्रयुक्त होते हैं। रसायनत: ये विभिन्न प्रकार के होते हैं। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त टेनिन के नाम विभिन्न हैं। एक स्रोत रस इमिआलाटा (Rhus emialata) से प्राप्त टैनिन को 'चीनी टैनिन' दूसरे स्रोत क्वर्कस इन्फेक्टोनियस (Quercus infectonius) से प्राप्त 'टैनिनका टर्की टैनिन' बंजुल से प्राप्त टैनिन को 'बंजुल टैनिन' तथा किनो से प्राप्त टैनिन को 'किनो टैनिन' कहते हैं। टैनिन में टैनिक अम्ल, गैलिक अम्ल, इलेगिक अम्ल आदि अम्ल रहते हैं।

सबसे अधिक महत्व का अम्ल टैनिक अम्ल है। इसका 50 प्रतिशत तक माजूफल में रहता है। बंजुल जाति के वृक्षों की डाल और पत्तों के रोगग्रस्त होने के कारण यह बनता है। चाय, सुमैक (sumach) और अन्य कई पौधों में भी यह पाया जाता है। महीन पीसे हुए माजूफल के ईथर और ऐल्कोहल द्वारा निष्कर्षण से यह प्राप्त हो सकता है। बहुत सावधानी से शोधन करने पर भी यह समावयव नहीं होता, अत: यह मिश्रण समझा जाता है।

शुद्ध टैनिक अम्ल वर्णहीन, अमणिभीय ठोस है। यह जल में द्रत विलेय, पर ऐल्कोहल और ईथर में अल्प विलेय है। जलीय विलयन का स्वाद तिक्ताकषाय होता है। फेरिक लवणों से यह गाढ़ा नीला रंग देता है। अत: स्याही बनाने में वह व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है। टैनिक अम्ल के जलीय विलयन में पशुओं की खाल रखने से वह पक कर चमड़ा ब जाती है। इसी से चर्म पाक में यह प्रयुक्त होता है। ऐल्कालॉयड और प्रोटीन के जलीय विलयन से टैनिक अम्ल उन्हें अवक्षिप्त कर देता है। यह समाक्षारीय रंजकों का रंगस्थापक भी है। ओषधियों में और सुरा के निर्मलीकरण में भी काम आता है। (रामचंद्र हरि सहश्बुद्धे)

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संदर्भ
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