तबाही का दूसरा नाम टॉरनेडो

Submitted by Hindi on Fri, 08/26/2011 - 17:52
टॉरनेडोटॉरनेडोअमेरिका के कई राज्यों में टॉरनेडो से जबर्दस्त तबाही होती रहती है। पिछले ही दिनों अमेरिका के नावारो काउंटी, टेक्सास और मिसौरी राज्य में इसका प्रकोप देखा गया। सैकड़ों लोग मारे गये। तीन सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाले ये तूफ़ान कई किलोमीटर तक के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लेते हैं। क्या है टॉरनेडो और यह कैसे उत्पन्न होता है, इन्हीं सारे पहलुओं की पड़ताल करता आज का नॉलेज। हॉलीवुड फ़िल्म टॉरनेडो आपने जरूर देखी होगी। फ़िल्म में टॉरनेडो को लेकर कई भ्रांतियों को स्पष्ट करने की कोशिश के साथ-साथ इसके भयावह रूप को दिखाया गया है। अमेरिकी के कई राज्यों में टॉरनेडो जबरदस्त तबाही मचाता रहा है। पिछले ही दिनों अमेरिका के नावारो काउंटी, टेक्सास और मिसौरी राज्य में टॉरनेडो (318 किलोमीटर प्रति घंटा की गति वाली हवा) आया था। इस तूफ़ान में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है। दरअसल, टॉरनेडो अपने दायरे में कई किलोमीटर तक के क्षेत्र को अपने चपेट में ले लेता है। इसे इमारतों, वृक्षों, बिजली व टेलीफ़ोन के तारों, रेलगाड़ी के पटरियों ओद को खाक में मिलाने में तनिक भी देर नहीं लगता है। हालांकि अमेरिका में टॉरनेडो कोई नयी बात नहीं है।

पिछले ही महीने अलबामा और छह अन्य दक्षिणी राज्यों में आये टॉरनेडो तूफ़ान में तीन सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी। वैज्ञानिकों ने तूफ़ान को अलग-अलग रूप में परिभाषित किया है। जिस तरह से भूकंप को अलग-अलग तीव्रता के आधार पर बांटा जाता है, ठीक इसी प्रकार तूफ़ान के भी अलग-अलग प्रकार होते हैं। इनको भी तीव्रता के आधार पर मापा जाता है। किसी की उत्पत्ति समुद्र से होती है, तो किसी की हवाओं के संयोग से। इसी आधार पर इन्हें भिन्न-भिन्न नामों से इसे पुकारा जाता है। टायफ़ून, टॉरनेडो विनाशकारी तूफ़ान की श्रेणी में आते हैं। हालांकि, इन दोनों में काफ़ी कुछ समानताएं भी हैं। लेकिन टॉरनेडो अपनी प्रकृति, रूप रंग और संरचना के हिसाब से अन्य तूफ़ानों और चक्रवातों से बिल्कुल अलग है। टॉरनेडो के कारण अक्सर घरों के छत उड़ जाते हैं। अन्य चक्रवातों का उद्गम जहां समुद्र होता है, वहीं टॉरनेडो मैदानी भागों में हवाओं के जरिये उत्पन्न होता है। टॉरनेडो को चक्रवात की श्रेणी में नहीं आता है। यह एक अलग प्रकार का तूफ़ान है।

क्या है टॉरनेडो?


टॉरनेडो लगभग आधी दुनिया में अपना प्रकोप दिखा चुका है। हालांकि, भारत में अमेरिका जैसे भयानक टॉरनेडो आने के मामले न के बराबर हैं। कुछ वर्ष पहले उड़ीसा में इसने भारी तबाही मचायी थी। इसके अलावा हर वर्ष छोटे-छोटे चक्रवात से देशवासियों का सामना होता रहता है। टॉरनेडो का प्रकोप सबसे ज्यादा उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में देखा जाता है। यहां एक वर्ष में लगभग 800 से ज्यादा बार इस तरह के प्राकृतिक तांडव होते हैं। टॉरनेडो हवा का गोलाकार घूमने वाला तेज वेग वाला तूफ़ान है। इसके साथ चलने वाली हवा की गति 250 किलोमीटर से भी ज्यादा की होती है। यह हवा काफ़ी शक्तिशाली होती है। इसकी शक्ति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यह अपने मार्ग आयी किसी भी चीज को बिना तहस नहस किये नहीं छोड़ती है। बड़ी-बड़ी इमारतें, वृक्षों ओद को पल भर में उड़ा ले जाती है। हर वर्ष उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में हजारों लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। इसके अलावा इसके बवंडर से धन-संपत्ति का भी नुकसान होता है। कभी-कभी टॉरनेडो अपने साथ ओलों की बारिश और भयंकर आंधी भी लाता है।

मौसम वैज्ञानिकों को कहना है कि इसके आने से पहले आसमान में कुछ खास तरह के परिवर्तन देखे जाते हैं। कुछ घंटे पहले हवा की दिशा बदल जाती है। हवा की रफ्तार में तेजी आ जाती है और एक चौड़ी-सी लकीर जमीन से आसमान में खड़े होते हुए देखे जाते हैं। इसके बाद इसका विस्तार तेजी से होता है। यह लगभग छह मील तक की दूरी में फ़ैल जाता है। इसके बाद प्रकृति द्वारा जनित तबही का नया अध्याय शुरू होता है। तेज बारिश और ओलों के साथ यह पूरी ताकत से आगे बढ़ता हुआ सब कुछ नष्ट कर देता है।

टॉरनेडो के हैं कई रूप


टॉरनेडो विश्व के किसी भी इलाके में आ सकता है, लेकिन पूर्वी अमेरिका का रॉकी माउंटेन के आसपास वसंत और गर्मी के दिनों में टॉरनेडो के बनने की संभावना अधिक होती है। यहां आने वाला तूफ़ान अक्सर एक विशाल धूल के गुब्बारे जैसे गोल चक्कर लगाता हुआ देखा जाता है। वैज्ञानिकों को कहना है कि एक साथ दो टॉरनेडो भी प्रकोप दिखा सकते हैं। टॉरनेडो को वैज्ञानिक तीन रूप में बांटते हैं। ये हैं वीक, स्ट्रांग और वॉयलेंट टॉरनेडो। दरअसल, इन सभी की अलग-अलग खासियतें हैं। जैसे वीक टॉरनेडो में हवा की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, वहीं स्ट्रांग में यह बढ़कर 200 किलोमीटर और वॉयलेंट में यह 250 तक या इससे ज्यादा भी हो सकती है। वॉयलेंट टॉरनेडो काफ़ी खतरनाक माना जाता है। जहां, वीक टॉरनेडो 10 मिनट के लिए आता है, वहीं स्ट्रांग 20 मिनट के लिए और वॉयलेंट एक घंटे के लिए या इससे ज्यादा समय तक विनाश का तांडव कर सकता है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी इससे बचने का कोई खास उपाय नहीं है। एक वर्ष में आये कुल टॉरनेडो में वीकटॉरनेडो का हिस्सा 69 फ़ीसदी, स्ट्रांग टॉरनेडो का 29 फ़ीसदी और वॉयलेंट टॉरनेडो का 2 फ़ीसदी तक होता है। वीक टॉरनेडो में सबसे कम नुकसान होता है।

टॉरनेडो की वजह से मरने वाले में स्ट्रांग टॉरनेडो की हिस्सेदारी 30 फ़ीसदी और वॉयलेंट की हिस्सेदारी 70 फ़ीसदी होती है। इस प्रकार वॉयलेंट टॉरनेडो से बड़ी तबाही आती है। सैटेलाइट से मिली तसवीरों के जरिये और हवा की स्पीड मापने वाले यंत्र जैसे- डॉप्लर रडार की मदद से इसकी पूर्व सूचना मिल जाती है। जिससे आसपास के लोग अपनी जान बचाने के लिए महफ़ूज जगह की तालाश करने लगते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो इसकी शक्ति को मापने के क्रम में आपनी जान गंवा बैठते हैं। लोगों के बीच धारणा है कि नदी, झील और पहाड़ के पास चले जाने से बचा जा सकता है। लेकिन वैज्ञानिकों को मानना है कि एक बार टॉरनेडो की चपेट में आ जाने के बाद बचना मुश्किल है। इमारतों की छतों के उड़ने की वजह वॉयलेंट टॉरनेडो होते हैं। प्रकृति द्वारा जनित टॉरनेडो में असीम शक्ति होती है जिसे मापना आसान काम नहीं है।

टॉरनेडो बनने की वजह


अधिकतर टॉरनेडो तड़ित झंझावात से उत्पन्न होते हैं। एक तरफ़ से मैक्सिको की खाड़ी से आने वाली गर्म और नमी युक्त हवा और दूसरी तरफ़ कनाडा से आने वाली शीत और शुष्क हवा आती हैं। ये हवाएं वर्ष भर चलती रहती हैं, लेकिन जब कभी इन दोनों हवाओं में किसी जगह संयोग होता है, तो उस स्थान पर वायुमंडल की हवाएं ऊपर की ओर उठने लगती हैं। इस स्थिति को वायुमंडल में इनस्टेबिलीटी कहा जाता है। हवा की दिशा में परिवर्तन होने और फ़िर हवा की गति बढ़ने से यहां की हवा ऊपर उठने लगती है।जिससे हवा की बहुत ऊंची घेरा बनता जाता है। ये वायुमंडल के निचले स्तर में क्षैतिज दिशा में घूर्णन करने लगती हैं। इसके बाद तेजी से घूमती हुईं ये हवाएं क्षैतिज से उर्ध्वधर होने लगती है। हवा का घूर्णन क्षेत्र 2 से 6 मील चौड़ी हो सकता है। हालांकि इसकी चौड़ाई बढ़ने की संभावना बनी रहती है। घूर्णन करने की वहज से ही यह काफ़ी खतरनाक हो जाती है। टॉरनेडो एक बार में एक मील से 50 मील के क्षेत्र में तबाही ला सकती है। रॉकी माउंटेन, मैदानी इलाके और पश्चिमी क्षेत्रों में आने वाला टोरनेडा मुख्यत तड़ित झंझावत के बाद ही आता है। हालांकि, अमेरिका में आने वाला टॉरनेडो की उत्पत्ति मैदानी भागों में होती है। हालांकि यह समुद्र में भी यह उत्पन्न हो सकता है।

अमेरिका के तीन क्षेत्रों के टॉरनेडो


कैरोलिनास टॉरनेडो यह तटीय इलाका है। 28 मार्च, 1984 से अब तक अमेरिका में आये कुल टॉरनेडो में से 15 फ़ीसदी से अधिक यहीं आते हैं। इनका समय काल दोपहर के बाद शाम तक रहता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को टॉरनेडो से भारी क्षति होती है। प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान में यहां आने वाले टॉरनेडो की हिस्सेदारी 26 फ़ीसदी है।

पेनसिल्वेनिया-ओहियो टॉरनेडो यह पहाड़ी इलाका है। 31 मई 1985 से अब तक अमेरिका में आये कुल टॉरनेडो में से 35 फ़ीसदी से अधिक टॉरनेडो यहीं आते हैं। इसमें 27 फ़ीसदी पेनसिल्वेनिया और ओहियो से संबंधित रहे हैं। यहां टॉरनेडो के आने की अवधि दोपहर के बाद और शाम तक रही है। इसके वजह से अमेरिका में अब तक सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है। प्राकृति आपदा से होने वाले नुकसान में यहां आने वाले टॉरनेडो की हिस्सेदारी सबसे अधिक 50 फ़ीसदी है। अमेरिकी मैदान यह मैदानी इलाका है। 26 से 27 अप्रैल 1991 के बाद अमेरिका में आये लगभग आधे टॉरनेडो यहीं आये हैं। यहां 26 तारीख के दोपहर से शुरू हो कर 27 के सुबह तक टॉरनेडो आते हैं। कुल क्षति में इसकी हिस्सेदारी लगभग 25 फ़ीसदी मानी जाती है।

टॉरनेडो की अवधि


अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में मार्च से मई तक टॉरनेडो के आने की प्रक्रिया तेज रहती है। वहीं उत्तरी राज्यों में गर्मी के दिनों में सबसे ज्यादा टॉरनेडो आते हैं। इसके अलावा कुछ राज्यों में सेकेंडरी टॉरनेडो पतझड़ के दिनों में आते हैं। टॉरनेडो की अधिकतर घटना दोपहर तीन बजे से शाम के 9 बजे तक देखी जाती है। हालांकि इसके लिए कोई निश्चित समय नहीं है। औसत टॉरनेडो की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर होती है। लेकिन यह किसी भी दिशा में आगे बढ़ सकता है। टॉरनेडो अमेरिका के पश्चिमी राज्यों में सबसे अधिक आता है।

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