ठाणें (थाना)

Submitted by Hindi on Tue, 08/16/2011 - 08:57

ठाणें (थाना)

1. जिला, महाराष्ट्र राज्य में है। इसका क्षेत्रफल 3,658 वर्ग मील, जनसंख्या 16,52,678, (1961) तथा प्रति वर्ग मील घनत्व 452 मनुष्य है। इसके उत्तर में सूरत (गुजरात) तथा नगर हवेली दक्षिण में कोलाबा तथा दक्षिण पश्चिम में बृहत्तर बंबई क्षेत्र, दक्षिण-पूर्व में पूणें (पूना), पूर्व में अहमदनगर तथा उत्तर-पूर्व में नासिक जिला और पश्चिम में अरब सागर है। यह कोंकण क्षेत्र में पड़ता है और पूर्व में पश्चिमी घाट पर्वत तथा पश्चिम में समुद्र के मध्य एक संकीर्ण समुद्रतटीय पट्टी इसका प्रमुख भाग है। उत्तर-पूर्व में पर्वत ऊँचे हैं, किंतु शेष क्षेत्र नीचा है, जिसमें 100 फुट से लेकर 2,500 फुट तक ऊँची पहाड़ी श्रेणियाँ बिखरी हैं। समुद्र की ओर तटीय बालू के टीलों की रोक के कारण नदियाँ अपना जल फैला देती हैं। अत: जहाँ जलप्लावन (inundation) का कुप्रभाव नहीं है, वहाँ भूमि उपजाऊ तथा कृषियोग्य है। यहाँ वृद्धाकार गाँव बसे हुए हैं, किंतु उत्तर-पूर्व के ऊँचे पर्वतांचलों में कृषियोग्य भूमि एवं सुविधाएँ कम हैं, अत: वहाँ छिटपुट एवं छोटी बस्तियों में अधिकांशत: आदिवासी रहते हैं। वैतरणा (मुहाने से 20 मील तक परिवहनीय) तथा उल्हास के अतिरिक्त अन्य नदियाँ छोटी और उथली हैं। वैतरणा नदी का मार्ग ऐतिहासिक महत्व का है जो समुद्र तथा उत्तरी दकन क्षेत्र को संबद्ध करता था। वेहार, तुलसी तथा तंसा नामक कृत्रिम झीलों से बंबई नगर की जलपूर्ति की जाती है। तटीय द्वीपों में साल्सेट बृहत्तम है। केवाल मिट्टी से बनी नदीघाटियों के अतिरिक्त जिले का शेष भाग लावा निर्मित दकन ट्रैप (Deccan trap) तथा संबद्ध चट्टानों से बना है। तटीय भागों में नारियल के झुरमुट, दलदलों में मैंग्रूव (Mangrove) तथा ऊँचाई पर सागौन एवं अन्य वृक्षों के वन मिलते हैं। सामुद्रिक प्रभाव के कारण जलवायु सम (औसत वार्षिक ताप 580 सें. तथा वर्षा 75') रहता है। धान के अतिरिक्त रबी, तिलहन, दलहन, पटुआ, चना तथा फल उगाए जाते हैं। मछली मारना, लकड़ी काटना तथा शहरों में नौकरी करना आदि अन्य व्यवसाय हैं।

प्रशासनार्थ जिले को बैसिन, भिवांडी, घटान, कल्याण, मोहदा, मुरबाद, पाल्घर, शाहपुर, ठाणें तथा वाड़ा नामक तालुकों में बाँटा गया है। तीव्र गति से औद्योगीकरण के कारण हजारों एकड़ भूमि विशेषत: रेलमार्गों तथा बंबई-आगरा एवं पूना राजमार्गों पर, विभिन्न उद्योगों के लिए सुरक्षित हो गई है। ठाणें के अतिरिक्त कल्याण नगर समूह जनसंख्या 1,93,186 (1961) जिसमें उल्हासनगर भी है, भिवांडी (47,630), अंबरनाथ (34,509), बैसिन (28,238), डोंबीवाली (18,407), दहानू (15,304), शिरगांव (10,455), विरार (9,413), पाल्दार (8,277), भयांडर (6,974), वाडा (6,338), शाहापुर (5,502), एवं जव्हर (4,732) आदि नगर तीव्र गति से बढ़ रहे हैं।

2. नगर स्थिति : 190 12' उ. अ. तथा 720 59' पू. दे.। यह बंबई से 21 मील उत्तर-पूर्व मध्य रेलवे पर साल्सेट गड्ड (creek) के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यह अत्यंत प्राचीन नगर है और समुद्र की ओर से उत्तरी दकन क्षेत्र की ओर जाने के लिए पश्चिमी घाट पर्वतश्रेणियों को पार करनेवाले मार्गों को नियंत्रित करने के कारण इसका ऐतिहासिक महत्व रहा है। इसके आसपास के पर्वतांचलों पर कितने ही किलों के भग्नावशेष प्राप्य हैं। हिंदू काल में यहाँ मौर्यों, पश्चिमी क्षत्रयों, चालुक्यों तथा गुजरात के राजवंशों का प्रभुत्व रहा। यहाँ का किला, पोर्तुगीज कैथेड्रल, विभिन्न स्थानों पर प्राप्य पत्थरों पर की नक्काशी तथा विशाल कृत्रिम जलाशय आदि इसकी ऐतिहासिक महत्ता की पुष्टि करते हैं।

उक्त नगर आधुनिक बृहत्तर बंबई के प्रभावक्षेत्र में आ गया है। यहाँ तीव्रता से औद्योगिक एवं व्यापारिक उन्नति हो रही है। यह कल्याण के बाद ठाणें (थाना) जिले का द्वितीय बृहत्तम नगर तथा प्रमुख प्रशासनिक केंद्र है। इसकी जनसंख्या बड़ी शीघ्रता से बढ़ी है जो सन्‌ 1961 में ही 1,09,215 हो गई थी। यहाँ मानसिक रोगों का चिकित्सालय तथा महाराष्ट्र का बृहत्तम कारावास भी स्थित है। [काशीनाथ सिंह]

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