अलवर से 37 कि.मी. दूरी पर सरिस्का अभयारण्य में भी कई झीलें हैं। इन झीलों पर प्रवासी पक्षियों को कलरव करते देख हृदय् आनंदित हो उठता है। छोटी-सी ‘थेला झील’ अभयारण्य के एक ओर पसरी पड़ी है तो अलवर-सरिस्का मार्ग से थोड़ा हटकर 12 कि.मी. दूर सिलीसेढ़ नाम से प्रसिद्ध झील है। इसके चारों ओर अरावली की पहाड़ियां हैं। झील के सामने जो महल था अब उसे पर्यटक स्थल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। मगरों के लिए इस झील की बड़ी चर्चा है। झील में तमाम मगरों को देखकर रोमांच हो उठता है। कमोरेंट और मुर्गाबी पक्षियों के झुंड यहां सदैव देखे जा सकते हैं। वन्य पशुओं में सांभर, चीतल, जंगली कुत्तों को यहां बहुतायत से देखा जा सकता है।
ग्रीष्मकाल की अपेक्षा मई-जून में छोटी-छोटी जलगर्तिकाओं पर तमाम वन्य पशु-पक्षी यहां पानी पीने आते हैं। उस अवसर पर इन्हें देखने में बड़ी सुविधा रहती है।
ग्रीष्मकाल की अपेक्षा मई-जून में छोटी-छोटी जलगर्तिकाओं पर तमाम वन्य पशु-पक्षी यहां पानी पीने आते हैं। उस अवसर पर इन्हें देखने में बड़ी सुविधा रहती है।
Hindi Title
थेला व सिलीसेढ़ झील
अन्य स्रोतों से
संदर्भ
1 - प्रकाशन विभाग की पुस्तक - हमारी झीलें और नदियां - लेखक - राजेन्द्र मिलन - पृष्ठ - 43