कृषि और सिंचाई
त्रिपुरा की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है। त्रिपुरा के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (एनएसडीपी) में लगभग 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ कृषि सबसे प्रमुख योगदानकर्ता बना हुआ है। वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक कामकाजी आबादी का 52 प्रतिशत हिस्सा खेती-बाड़ी के काम से जुड़ा है। 28 प्रतिशत किसान और शेष 24 प्रतिशत खेतिहर मजदूर के रूप में इस कार्य में लगे हैं। प्रदेश की कुल कृषक आबादी का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा छोटे और सीमांत किसान हैं। प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्र के केवल 27 प्रतिशत भाग पर ही खेती होती है।
राज्य में कुल कृषि योग्य भूमि 2‐55 लाख हेक्टेयर के लगभग है और इसमें से 1‐17 लाख हेक्टेयर या 45‐88 प्रतिशत ही सिंचित है (79 हजार हेक्टेयर की सिंचाई सतही पानी से तथा शेष 38 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की सिंचाई भूमिगत जल से)। वर्ष 2011 तक 23,441 हेक्टेयर भूमि को सुनिश्चित सिंचाई क्षेत्र के तहत लाना प्रस्तावित है। खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता पाने के लिए नौ बिंदुओ पर ध्यान केंद्रित करने वाली एक दस वर्षीय दृष्टिकोण योजना पर राज्य सरकार द्वारा काम किया जा रहा है।
इस दृष्टिकोण योजना को बनाते समय निम्न बातों पर जोर दिया गया
• पंजीकृत बीज उत्पादकों के द्वारा एचवायवी प्रमाणित बीज का उत्पादन
• विविधतापूर्ण प्रतिस्थापन
• पौध पोषकों की खपत बढ़ाना
• सिंचाई क्षमता का पूर्ण दोहन
• कृषि हेतु पर्याप्त बिजली की उपलब्धता
• संस्थागत साख की उपलब्धता
• किसानों के लिए प्रशिक्षण
• सहायता का विस्तार
• पंचायतीराज संस्थाओं की भागीदारी (पीआरआई)
दृष्टिकोण योजना में चावल आधारित खेती प्रणाली का अनुपालन कर खेती के फसल घनत्व को बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है।
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Hindi Title
त्रिपुरा
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संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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