उत्पाद नहीं, जीने का जरूरी संसाधन है पानी

Submitted by Hindi on Tue, 12/11/2012 - 14:26
Source
समर्थन, 10 दिसंबर 2012
भोपाल। पानी एवं स्वच्छता एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अभाव में गुणवत्तापूर्ण जीवन का अधिकार सुनिश्चित नहीं हो सकता। सभी व्यक्तियों के लिए बिना किसी कीमत के न्यूनतम पानी उपलब्ध हो सके, इसके लिए विभिन्न संस्थाओं एवं संगठनों को संयुक्त रूप अभियान चलाने की जरूरत है। पानी की उपलब्धता को मानवाधिकार का मुद्दा बनाने की जरूरत है। साथ ही स्वच्छता (सेनिटेशन) को बढ़ावा देकर पानी को प्रदूषित होने से बचाने के साथ-साथ लोगों को बीमारियों से बचाने की जरूरत है।

उक्त बातें आज स्वैच्छिक संस्था समर्थन (Samarthan), वाटर एड (Water Aid) एवं वादा ना तोड़ो अभियान (Wada Na Todo Abhiyan) द्वारा संयुक्त रूप से पानी एवं स्वच्छता के अधिकार पर अभियान खड़ा करने के लिए भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय परामर्श बैठक (State level consultation to build a campaign on right to water and sanitation) में उभरकर आई। समर्थन के डॉ. योगेश कुमार ने कहा कि सरकार विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई वायदों पर हस्ताक्षर करती है, पर उस पर अमल नहीं हो पाता। सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों (Millennium Development Goals) के लिए केंद्र ने वायदा किया था, जिसे 2015 तक पूरा किया जाना है। इनमें स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं स्वच्छता भी शामिल है।

वादा ना तोड़ो अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक दत्ता पाटिल ने कहा कि सरकार जब वायदा करके उसे पूरा नहीं करे, तो वंचित समुदाय को सड़क पर आने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें बड़े स्तर पर काम करने के लिए सरकार का साथ भी लेना होगा। वाटर एड के एल. मैथ्यू (Luckose Mathew) ने कहा कि पानी को बाजार एक उत्पाद की तरह देख रहा है। पानी के अभाव में जीने का अधिकार में बाधा आती है। उन्होंने कहा कि पानी को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को खत्म करने एवं पानी पर प्रबंधन की जिम्मेदारी स्थानीय समुदाय को देने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है।

मध्यप्रदेश जल निगम के एन.पी. मालवीय ने कहा कि निगम भूजल के बजाय ऊपरी जल को लेकर पेयजल की योजना बना रहा है। यूनिसेफ के वॉश (WASH) विशेषज्ञ डॉ. ग्रेगर ने बताया कि प्रदूषित पानी से डायरिया एवं अन्य बीमारियों से लाखों बच्चों की 5 साल से कम उम्र में मौत हो जाती है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के डॉ. पी.के. जैन ने कहा कि भूजल का अत्यधिक दोहन, रसायनिक खेती, प्रदूषण एवं जल संरक्षण तकनीक को नहीं अपनाने से समस्याएं बढ़ी है। समर्थन के अमर प्रकाश ने कार्यक्रम का संचालन किया। पी.एफ.आइ. के जॉनसन (Johnson), महात्मा गांधी सेवा आश्रम के अनिल गुप्ता, वसुधा की सुश्री गायत्री सहित विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों ने विचार व्यक्त किया एवं भविष्य की कार्ययोजना बनाई।