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राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान
सच्ची प्रगति का सार है जल।
जग जीवन का आधार है जल।।
वस्तुतः भारतवर्ष के चहुँमुखी विकास में जल का योगदान सर्वोपरि है। जल संसाधनों का मात्रात्मक व गुणात्मक विश्लेषण वर्तमान की सबसे बड़ी मांग है।
इसी उद्देश्य से राजस्थान के गंगनहर सिंचित क्षेत्र के भूमिगत जल का गुणात्मक अध्ययन किया गया। इस हेतु गंगनहर के दायीं व बाईं ओर के सिंचित क्षेत्रों के 101 भूमिगत जल नमूने लेकर उनमें भौतिक व रसायनिक गुणों का अध्ययन किया गया। सभी नमूनों में पी.एच. मान 7.00 – 8.00 के बीच ही पाया गया। सोडियम आयन (Na+) की सांद्रता कैल्शियम आयन (Ca+2) व पोटेशियम आयन (K+) से अधिक पायी गई जबकि अधिकांश नमूनों में मैंग्नीशियम आयन (MG+2) की सांद्रता सोडियम आयन (Na+) से अधिक प्राप्त हुई। कार्बोनेट आयन (CO3-2) की सांद्रता क्लोराइड आयन (CI-) व बाईकार्बोनेट आयन (HCO3-) से अधिक प्राप्त हुई। वर्गीकरण करने पर गंगनहर सिंचित क्षेत्र के अधिकांश भूमिगत जल नमूने सिंचाई हेतु उपयुक्त पाये गये।
इस रिसर्च पेपर को पूरा पढ़ने के लिए अटैचमेंट देखें
जग जीवन का आधार है जल।।
वस्तुतः भारतवर्ष के चहुँमुखी विकास में जल का योगदान सर्वोपरि है। जल संसाधनों का मात्रात्मक व गुणात्मक विश्लेषण वर्तमान की सबसे बड़ी मांग है।
इसी उद्देश्य से राजस्थान के गंगनहर सिंचित क्षेत्र के भूमिगत जल का गुणात्मक अध्ययन किया गया। इस हेतु गंगनहर के दायीं व बाईं ओर के सिंचित क्षेत्रों के 101 भूमिगत जल नमूने लेकर उनमें भौतिक व रसायनिक गुणों का अध्ययन किया गया। सभी नमूनों में पी.एच. मान 7.00 – 8.00 के बीच ही पाया गया। सोडियम आयन (Na+) की सांद्रता कैल्शियम आयन (Ca+2) व पोटेशियम आयन (K+) से अधिक पायी गई जबकि अधिकांश नमूनों में मैंग्नीशियम आयन (MG+2) की सांद्रता सोडियम आयन (Na+) से अधिक प्राप्त हुई। कार्बोनेट आयन (CO3-2) की सांद्रता क्लोराइड आयन (CI-) व बाईकार्बोनेट आयन (HCO3-) से अधिक प्राप्त हुई। वर्गीकरण करने पर गंगनहर सिंचित क्षेत्र के अधिकांश भूमिगत जल नमूने सिंचाई हेतु उपयुक्त पाये गये।
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