वंदना शिवा

Submitted by admin on Mon, 06/14/2010 - 11:03
वंदना शिवावंदना शिवापर्यावरण के लिए किसी भी मंच पर लडाई लडने में सबसे पहले नाम आता है डॉ. वंदना शिवा का। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच से उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की आवाज बुलंद की है। इंटरनेशनल फोरम आन ग्लोबलाइजेशन की सदस्य वंदना शिवा ने 1984 में केंद्र सरकार की हरित क्रांति का भी विरोध किया था, क्योंकि उन्होंने हरित क्रांति के पीछे रासायनिक खादों के भयानक इस्तेमाल की तैयारी सूंघ रखी थी।

1982 में उन्होंने रिसर्च फाउंडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड इकोलॉजी की स्थापना की। वंदना जैविक खेती पर ज्यादा जोर देती हैं और देश भर के किसानों को जागरूक कर रही हैं। देहरादून में जन्मीं 58 साल की वंदना शिवा ने पर्यावरण पर दो दर्जन किताबें लिखी हैं।

1970 में वंदना शिवा चिपको आंदोलन से जुडी थीं। उसके बाद तो पर्यावरण संरक्षण की लडाई और वंदना शिवा एक दूसरे के पर्याय बन गए। ग्लोबल इकोफेमिनिस्ट मूवमेंट में भी वंदना शिवा ने जबरदस्त भूमिका निभाई है। डॉ. वंदना शिवा को दर्जनों प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2010 के सिडनी शांति पुरस्कार के लिए भी चुना गया है।