वॉटर हार्वेस्टिंग (Water Harvesting)

Submitted by Hindi on Fri, 12/25/2009 - 08:55
फोटो याभार भास्करसौरभ सुमन, हिन्दुस्तान दैनिक
बरसात के पानी को किसी खास माध्यम से जमा करना या इकट्ठा करना वाटर हार्वेस्टिंग कहलाता है। पृथ्वी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। दुनियाभर में पेयजल संकट एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने है। पशुओं के पीने के पानी की उपलब्धता, फसलों की सिंचाई के विकल्प के रूप में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाया जा रहा है।

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में घरों की छतों, स्थानीय संस्थाओं की छतों या फिर विशेष रूप से बनाए गए क्षेत्र से इकट्ठा किया जाता है। इसमें दो तरह के गड्ढे बनाए जाते हैं। एक जिसमें दैनिक इस्तेमाल के लिए पानी इकट्ठा किया जाता है और दूसरे का सिंचाई के काम में। दैनिक इस्तेमाल के लिए पक्के गड्ढे को सीमेंट व ईंट से बनाया जाता है। इसकी गहराई 7 से 10 फीट व लंबाई और चौड़ाई 4 फीट होती है। इन गड्ढों को पाइप द्वारा छत की नालियों और टोटियों से जोड़ दिया जाता है, ताकि बारिश का पानी साधे इन गड्ढों में आ सके, जबकि दूसरे गड्ढे को यूं ही रखा जाता है। इससे खेतों की सिंचाई की जाती है। घरों की छत से जमा किए गए पानी को तुरंत ही इस्तेमाल में लाया जा सकता है। न्यूजीलैंड में कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां लोग वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम पर ही निर्भर हैं। यहां के लोग बारिश होने पर अपने घरों के छत से पानी इकट्ठा करते हैं। राजस्थान के थार इलाके में लोग वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से पानी इकट्ठा करते हैं। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम उन स्थानों के लिए उचित है,जहां प्रतिवर्ष न्यूनतम 200 मिमी बारिश होती हो। वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम का खर्च 400 स्कवायर वर्ग में नया घर बनाते समय करीब 1500 रुपए आता है।