वृंदावन के ब्रह्म सरोवर का पुनरोद्धार

Submitted by admin on Tue, 09/22/2009 - 16:03

तस्वीर में दिखाई दे रहा ब्रह्म सरोवर को देखकर आप सोच नहीं सकते कि यह तालाब कभी ऐसा नहीं था। पिछली सर्दियों में एक स्वयंसेवी समूह ने जब कचरे के ढेर तले दबे पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक सरोवर का पुनरोद्धार कार्य आरंभ किया तो जनता आमतौर पर उदासीन थी। कुछ लोगों ने तो इसे समय की बर्बादी भी कहा था।

ब्रज रक्षक दल और ब्रज फाउंडेशन ने लोगों की प्रतिक्रिया की ओर ध्यान देते हुए ब्रह्म कुंड के पुनरोद्धार का अपना प्रयास आरंभ किया और इस समय यह सरोवर प्रतिदिन वृंदावन आने वाले हजारों तीर्थयात्रियों के आकर्षण का नया केंद्र बन गया है।

प्रसिद्ध रंगजी मंदिर के उत्तरी द्वार के पास स्थित ब्रह्म कुंड का उल्लेख वराह पुराण में भी मिलता है। यह शिव, योगमाया और चैतन्य महाप्रभु से भी जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि मीराबाई ने वृंदावन में अपनी प्रथम रात्रि इसी पवित्र कुंड के पास व्यतीत की थी।

भारी उपेक्षा के कारण यह तालाब कचरे का ढेर बन गया था और स्थानीय निवासी वास्तव में इसके अस्तित्व को भूल चुके थे। ब्रज मंडल क्षेत्र में इस प्रकार के कई अष्टकोणीय सरोवर हैं।

एक स्थानीय संत रमेश बाबा ने कहा कि दशकों से यह सरोवर उपेक्षित पड़ा था और कचरे के ढेर में बदल गया था। लेकिन बजरंग फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं के प्रयास से यह फिर से जीवंत हो उठा है।

शहर के ही एक अन्य साधु राधा नाथ स्वामी ने कहा कि ब्रज फाउंडेशन के स्वयंसेवकों ने जो कार्य किया वह वाकई प्रशंसनीय है।

सरोवर की गाद निकालने तथा इसके चारों ओर के पाल का नवीनीकरण करने के बाद स्वयंसेवकों ने तालाब को और इसके पास खाली पड़ी जमीन पर बाड़ भी खड़ी की। सरोवर के मध्य में कमल के पुष्प पर स्थित चार मुख वाले ब्रह्मा की मूर्ति भी स्थापित की गई।

भारतीय प्रौद्यागिकी संस्थान, खड़गपुर के छात्र व इस परियोजना के निदेशक राघव मित्तल ने आईएएनएस को बताया कि कमल पुष्प की हर पंखुड़ी से पानी की धारा निकलती रहती है। जबकि तालाब के चारों ओर लगाए गए पौधों के लिए फव्वारे भी लगाए गए हैं।

मित्तल इस पूरी परियोजना के खिलाफ कुछ समूहों द्वारा खड़ी की गई मुश्किलों को याद करते हैं।

उन्होंने कहा, “स्थानीय राजनीतिज्ञों ने हर तरह की समस्याएं व आशंकाएं खड़ी कीं। तालाब के चारों ओर किए गए अतिक्रमण के कारण मशीनों को वहां चला पाना बहुत कठिन था। लेकिन हमने धैर्य से काम लिया और अंतत: हमें सफलता मिली।”