यूरिया

Submitted by Hindi on Sat, 08/27/2011 - 10:06
यूरिया (Urea) या कार्बेमाइड, नाहा2 काऔ नाहा2 (NH2-CO.NH2), नामक यौगिक का आविष्कार 1773 ई. में रूएल (Rouelle) ने किया। यूरिया स्तनधारियों, पक्षियों और कुछ सरीसृपों के मूत्र में पाया जाता है। मनुष्य के मूत्र से लगभग 3 ग्राम यूरिया प्रति दिन निकलता है। वलर (Wohler) द्वारा इसका अमोनियम साइआनेट के तापन से संश्लेषण कार्बनिक रसायन के इतिहास में युगप्रवर्तक घटना थी।

निर्माण-प्राविधिक रूप में इसे पोटैशियम साइनेट और अमानियम सल्फेट के तापन से बनाया जाता है

(नाहा4)2 गंऔ4+2पोकानाओ-नाहा2 काऔनाहा2 पो2गंऔ4

((NH4)2 SO4+2KCNO-NH2CONH2+K2SO4)

व्यापारिक मात्रा में इसका निर्माण द्रवीकृत कार्बन डाइऑक्साइड और अमोनिया को उच्च दाब की स्थिति में तापित करके किया जाता है।

काऔ2 +2नाहा2श् 2000 से.

1,500-3,000 प्रति वर्ग इंच

नाहा2 आऔऔनाहा4-नाहा2काऔनाहा2 +हा2 औ

(CO2+2NH3 2000 C.

1500-3000 per sq inch)

NH2 COONH4- NH2CONH2+H2O)

उत्प्रेरक के रूप में, थोरियम ऑक्साइड की उपस्थिति में, यह अभिक्रया सामान्य दाब और 5000 सें. ताप पर होती है।

1100-1150 से. ताप पर साइऐनेमाइड, या कैल्सियम साइऐनेमाइड, पर सल्फ्यूरिक, नाइट्रिक या फ़ास्फ़ोरिक अम्ल को उपस्थिति में पानी क्रिया से पर्याप्त मात्रा में युरिया प्राप्त होता है:

नाहा2काना +हा2औ-0.5 भाग हा2गंऔ4 काऔ (नाहा2)2

110-115 (दाब) (80%)

(NH2CN+H2O-0.5 parts H2SO4- CO(NH2)2 (80%))

110-115 (pressure)

कैनाकाना हा2औ 10% हा2गंऔ4 काऔ (नाहा2)2 +कैगंऔ4

500 सें. पर

(CaNCN+H2O 10% H2 SO4

at 500 C.

CO(NH2)2+CaSO4)

युरिया की अमोनिया तथा फ़ासजीन (phosgene), या एथिल कार्बोनेट, या एथिल कार्बेनेट (ethyl carbamate) द्वारा तैयार किया जा सकता है तथा एकमात्र अमोनियम कार्बोनेट के तापन से भी प्राप्त किया जा सकता है।

यह रंगहीन, चतुष्कोणीय प्रिज्म के रूप में क्रिस्टलित होता है और 132.70 सें. पर मिलता है। यह ऐल्कोहॉल और पानी दोनों में विलय है और चखने पर जीभ में तरावट उत्पन्न करता है।

यौगिक-दुर्बल क्षार होने के कारण यूरिया नाइट्रिक और ऑक्सेलिक अम्लों के साथ लवण बनाता है:

(ना हा2)2 काऔ +हानाऔ3-(नाहा2)2 काऔहानाऔ3

((NH2)2 CO + HNO3-(NH2)2 CO . HNO3)

नाइट्रस अम्ल युरिया को नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में विघटित कर देता है। सोडियम हाइपोब्रोमाइट और पानी में विघटित कर देता है। सोडियम हाइपोब्रोमाइट और हाइपोक्लोराइट यूरियाश् को विघटित करके सोडियम ब्रोमाइड और क्लोराइड बनातेश् हैं। यूरिया के परिमाणात्मक आकलन में इस अभिक्रिया का उपयोग किया जाता है।

यूरिया को कम ताप पर गरम करने से बाइयुरेट और तीव्र तापन से सायनिक और सायनयूरिक अम्ल मिलते हैं।

2 नाहा2 ऱ्. काऔ. नाहा - नाहाऱ्2 काऔ - नाहा. काऔ - नाहा2

[2NH2. CO.NH2- NH2CO-NH.CO-NH2]

(नाहा2)2 काऔ - नाहा3 + हाका नाऔ

[(NH2)2 CO - NH3+HCNO]

3 हाका.नाऔ - (हाका.नाऔ)3

[3HC.NO - (HC.NO3)]

यूरिया अनेक ऐलिफेटिक आणविकम यौगिक बनाता है, जो प्राय: नॉनस्टॉइकायोमेट्रिक (nonstoichhiometric) होते हैं, यद्यपि सक्सिनिक, ऐडिपिक अम्ल के साथ इसे स्टॉइकायोमेट्रिक आणविक यौगिक भी ज्ञात हैं। इनमें से कुछ विलयन में भी स्थिर है।

उपयोग -


उर्वरक के रूप में इसका उपयोग व्यापक है। इसमें नाइट्रोजन की प्राप्यता 47% है। रबर के पौधों के लिये इसका उपायोग अमोनियम लवणों और साडियम नाइटेट की अपेक्षा अधिक फलदायक है। चिकित्साश् में मूत्रल (diuretic) के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। अनेक शमक (sedatives) और निद्राकारियों (hypnotics) में जैसे वेरोनल, प्रोपानल, डाइऐल्यूमिनल, ऐडेलाइन और ब्रोमिनल यूरिया से निर्मित होते हैं। उद्योग में यूरिया फ़ॉर्मेल्डिहाइड रेज़िन (यूरिया और फ़र्मेल्डिहाइड का संघनन उत्पाद) के निर्माण के लिये यूरिया का उपयोग होता है। आसंजकश् उत्पाद) के निर्माण के लिये यूरिया का उपयोग होता है। आसंजक (adhesives) के रूप में शिकनरोक (crease resistant) वस्त्रों के निर्माण में और वार्निशों तथा लैकरों (lacquers) के अवयवों के बनाने में इन रेज़िनों का उपयोग होता है। यूरिया का उपयोग तेल और वसाश् रसायन में होता है, क्योंकि यह वसीय अम्लों के साथ यूरिया संकर (Complex) बनाता है। [मोहम्मद उमर फारूक]

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संदर्भ
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बाहरी कड़ियाँ
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